Kishanganj has 1.05 lakh more Aadhaar cards than the population | किशनगंज में जनसंख्या से 1 लाख ज्यादा आधार कार्ड: कटिहार, अररिया, पूर्णिया में भी ऐसे ही आंकड़े; चारों जिले मुस्लिम बाहुल और पश्चिम बंगाल से सटे – Kishanganj (Bihar) News

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बिहार के 4 जिलों में आबादी से ज्यादा आधार कार्ड बनाए गए हैं। किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया मुस्लिम बाहुल के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की बॉर्डर से सटे इलाके हैं।

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, किशनगंज की आबादी 20 लाख 26 हजार 541 है, लेकिन यहां 21 लाख 31 हजार 172 आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। मतलब यहां आबादी से 1 लाख अधिक आधार कार्ड बनाए गए।

किशनगंज में मुस्लिमों की आबादी 68 फीसदी है। यहां आधार सैचुरेशन 126% है यानी कि यहां 100 लोगों पर 126 आधार कार्ड जारी हुए हैं।

ऐसा ही हाल कटिहार का है यहां की मुस्लिम आबादी 44 फीसदी है। यहां का आधार सैचुरेशन 123% है। मतलब इस जिले में भी 100 लोगों पर 123 आधार कार्ड बनाए गए।

बिहार में औसत आधार सैचुरेशन 94% है। अररिया में मुस्लिमों की आबादी 43% है। यहां का आधार सैचुरेशन 123% है। यहां भी 100 लोगों पर 123 आधार कार्ड बनाए गए।

पूर्णिया में भी मुस्लिमों की आबादी 38% है, लेकिन यहां आधार सैचुरेशन 121% है। ये आंकड़े बताते हैं कि इन जिलों में आबादी से ज्यादा आधार कार्ड बनाए गए हैं।

किशनगंज में फर्जी आधार रैकेट का भंडाफोड़

किशनगंज जिले के जियापोखर थाना क्षेत्र के गिलहाबाड़ी गांव में अशराफुल नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया है। अशराफुल पर आरोप है कि वो बांग्लादेशी और नेपाली घुसपैठियों को भारतीय दस्तावेज मुहैया करवाकर आधार कार्ड बनवाता था।

पुलिस ने उसके पास से कई फर्जी आधार कार्ड, लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर, रेटिना स्कैनर मशीन, नेपाली सिम कार्ड, दस्तावेज बनाने से जुड़ा पूरा सेटअप बरामद किया है।

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के रिवीजन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र मानें। अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन पर अदालत में करीब 3 घंटे सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वोटर लिस्ट रिवीजन नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। वोटर की नागरिकता जांची जा रही है। ये कानून के खिलाफ है।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन में नागरिकता के मुद्दे में क्यों पड़ रहे हैं? अगर आप वोटर लिस्ट में किसी शख्स का नाम सिर्फ देश की नागरिकता साबित होने के आधार पर शामिल करेंगे तो फिर ये बड़ी कसौटी होगी। यह गृह मंत्रालय का काम है। आप उसमें मत जाइए।

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन पर अदालत में करीब 3 घंटे सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वोटर लिस्ट रिवीजन नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। वोटर की नागरिकता जांची जा रही है। ये कानून के खिलाफ है।

वोटर लिस्ट रिवीजन के लेकर पटना में महागठबंधन ने किया था प्रदर्शन

वोटर लिस्ट रिवीजन के विरोध में ‘इंडिया’ गठबंधन ने बुधवार को बिहार बंद किया था। बंद के समर्थन में राज्य के सभी जिलों में सुबह ही महागठबंधन के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दिल्ली से पटना पहुंचा। पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन के नेताओं ने वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर हल्ला बोला था।

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बिहार विधानसभा चुनाव से वोटर लिस्ट में विशेष संशोधन प्रक्रिया (SIR) को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस, RJD और वाम दलों समेत INDIA गठबंधन ने इसे पक्षपाती और संदिग्ध बताया है। वहीं, चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि वेरिफिकेशन (सत्यापन) का काम ऑर्टिकल-326 और लोक प्रतिनिधित्व कानून के दायरे में ही किया जा रहा है। इससे किसी वैलिड (वैध) वोटर का नाम नहीं कटेगा, बल्कि विदेशी घुसपैठियों सहित वोटर लिस्ट में गलत तरीके से नाम जुड़वाने वाले बाहर होंगे। पूरी खबर पढ़ें

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