Kota Student Suicide Case; Supreme Court | NEET IIT Kharagpur | स्टूडेंट सुसाइड, सुप्रीम कोर्ट बोला- ये सिस्टम की नाकामी: इसे अनदेखा नहीं कर सकते; NCRB की रिपोर्ट- 2022 में 13 हजार छात्रों ने खुदकुशी की

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नई दिल्ली28 मिनट पहले

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कोर्ट ने कहा कि स्टूडेंट सुसाइड के बढ़ते मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। - Dainik Bhaskar

कोर्ट ने कहा कि स्टूडेंट सुसाइड के बढ़ते मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्टूडेंट सुसाइड की बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जताई और इसे सिस्टम की नाकामी बताया। कोर्ट ने कहा कि इन घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में बढ़ते आंकड़े परेशान करने वाले हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में देशभर में कुल 1,70,924 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 13,044 छात्र थे। साल 2001 में यह आंकड़े 5,425 थे।

100 आत्महत्याओं में करीब 8 छात्र शामिल थे। इनमें से 2,248 छात्रों ने सिर्फ इसलिए जान दे दी, क्योंकि वे परीक्षा में फेल हो गए थे।

कोर्ट ने कहा;-

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जब युवा बच्चे पढ़ाई के बोझ, समाज के तानों, मानसिक तनाव और स्कूल-कॉलेज की बेरुखी जैसी वजहों से अपनी जान दे रहे हैं, तो यह साफ दिखाता है कि हमारी पूरी व्यवस्था कहीं न कहीं फेल हो रही है।

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कोर्ट 15 अहम दिशा-निर्देश जारी किए

सुप्रीम कोर्ट ने 17 वर्षीय NEET की तैयारी कर रही छात्रा की मौत के मामले में सुनवाई की, जो विशाखापट्टनम में पढ़ रही थी। उसकी मौत की जांच CBI से कराने की मांग आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूरे देश के लिए 15 अहम दिशा-निर्देश जारी किए। इसका मकसद छात्रों की मानसिक स्थिति को सुधारना और आत्महत्या की घटनाओं को रोकना है।

इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह 90 दिनों के अंदर हलफनामा जमा करे, जिसमें यह बताया जाए कि छात्रों की मानसिक परेशानियों पर काम कर रही नेशनल टास्क फोर्स की रिपोर्ट और सुझाव कब तक पूरे किए जाएंगे।

मार्च में कोर्ट ने टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में छात्रों की मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए ‘नेशनल टास्क फोर्स’ (NTF) बनाने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि यूनिवर्सिटीज न केवल लर्निंग सेंटर बनें, बल्कि छात्रों के कल्याण और विकास के लिए जिम्मेदार संस्थान की भूमिका भी निभाएं।

कॉलेजों को माता-पिता की तरह भूमिका निभानी होगी कोर्ट ने कहा कि कॉलेजों में आज भी जातिगत भेदभाव है, जिससे वंचित समुदायों के छात्रों में अलगाव की भावना बढ़ रही है। कॉलेज परिसरों में जाति आधारित भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 15 का स्पष्ट उल्लंघन है।

जब छात्र अपने घरों से दूर जाकर कॉलेजों में पढ़ते हैं, तो विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को लॉको पेरेंटिस (अभिभावक की भूमिका) निभाने की जरूरत है। कॉलेजों को सिर्फ नियम लागू नहीं करना है, बल्कि संकट की घड़ी में छात्रों को भावनात्मक सहारा भी देना है।

भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए

1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017

इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।

2. एंटी रैगिंग मेजर्स

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।

3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम

स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।

4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF

NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।

5. NEP 2020

टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

सुप्रीम कोर्ट की राजस्थान सरकार को फटकार, पूछा- स्टूडेंट्स कोटा में ही क्यों जान दे रहे, इसे रोकने के लिए अब तक क्या किया

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में हो रहे स्टूडेंट्स सुसाइड के मामलों को भी गंभीर बताया और राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा, ‘कोटा में इस साल अब तक 14 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं। आप एक राज्य के तौर पर इसे लेकर क्या कर रहे हैं? स्टूडेंट्स कोटा में ही क्यों आत्महत्या कर रहे हैं? एक राज्य के तौर पर क्या आपने इस पर कोई विचार नहीं किया?’ पूरी खबर पढ़ें…

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