Last Monday of Sawan is on 4th August, significance of savan somwar in hindi, Shiv puja vidhi, easy steps for shiv puja | सावन का आखिरी सोमवार 4 अगस्त को: 9 अगस्त तक रहेगा सावन, जानिए शिवलिंग पर बिल्व पत्र के साथ और कौन-कौन सी पत्तियां चढ़ा सकते हैं?


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12 मिनट पहले

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अभी सावन चल रहा है और महीने का आखिरी सोमवार 4 अगस्त को है। इसके बाद 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर सावन मास खत्म हो जाएगा। सावन में रोज और खासतौर पर सोमवार की सुबह शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। ऐसी मान्यता है। शिवलिंग पर बिल्व पत्र के साथ शमी के पत्ते, दूर्वा, आंकड़े के फूल, धतूरा चढ़ा सकते हैं। बिल्व पर राम नाम लिखकर शिव जी को चढ़ाएंगे तो बहुत शुभ रहेगा।

हिंदू पंचांग में सावन (जुलाई-अगस्त) पांचवां महीना है। ये मास भगवान शिव को समर्पित है। स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण जैसे ग्रंथों में इस मास की महिमा बताई गई है। शिव पुराण में लिखा है कि-

श्रावणस्य तु मासस्य यं कर्ता शंकरं प्रति।

स शर्वलोकमावाप्य स्वर्गलोकं स गच्छति।।

इस श्लोक का अर्थ ये है कि सावन मास में जो भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान शिव की पूजा करता है, वह सभी सुख प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद स्वर्ग में जाता है।

सावन सोमवार भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। खासतौर पर जो भक्त अविवाहित हैं, वे इस दिन व्रत-उपवास रखते हैं और शिव पूजा करते हैं, माना जाता है कि इस व्रत के शुभ फल से भक्त को मनचाहा और सुयोग्य जीवन साथी मिलता है। सुहागिन स्त्रियां भी अपने परिवार के सुख-समृद्धि और पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, सावन मास में समुद्र मंथन हुआ था और भगवान शिव ने विषपान किया था। विष पान की वजह से शिव जी को तीव्र जलन हो रही थी। शिव जी की जलन को शांत करने के लिए सभी देवी-देवताओं और ऋषियों में शिव जी ठंडे जल से अभिषेक किया था। इसी वजह से जल चढ़ाकर भगवान शिव को शीतलता प्रदान करने की परंपरा है। शिव जी को ऐसी ही चीजें चढ़ाई जाती हैं, जिनसे शीतलता मिलती है।

सावन सोमवार को ऐसे कर सकते हैं शिव पूजा

प्रातःकाल स्नान के बाद करें पूजा का संकल्प: सावन सोमवार के दिन भक्त को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। फिर घर के मंदिर में भगवान के सामने व्रत करने और पूजा करने का संकल्प लें।

शिवलिंग का अभिषेक करें: शिवलिंग का जल, दूध, शहद, घी, दही, गंगाजल और शक्कर से पंचामृत बनाकर अभिषेक करें। अभिषेक के बाद बिल्व पत्र, भांग, सफेद फूल, और आंकड़े के फूल अर्पित करें। शिवलिंग पर बिल्व पत्र के साथ ही शमी और दूर्वा भी चढ़ा सकते हैं।

मंत्रों का जप करें: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जप करें: ऊँ नमः शिवाय

महामृत्युंजय मंत्र – ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

प्रसाद वितरण और दान करें: पूजा में भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांटें और खुद भी लें। इस दिन भोजन, वस्त्र, दक्षिणा और अन्य सामग्री दान करना करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।

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