8 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
- कॉपी लिंक

’मैं TVF के सारे शोज देखता था। पंचायत सीरीज का बहुत बड़ा फैन था। कोविड के दौरान पंचायत सीरीज देखा। इस सीरीज ने मेरे दिल को छू लिया था। कभी सोचा नहीं था कि एक दिन इस शो को डायरेक्ट करने का मौका मिलेगा।’ यह कहना है पंचायत 4 के डायरेक्टर अक्षत विजयवर्गीय का। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अक्षत ने पंचायत सीरीज से जुड़ने और करियर को लेकर दिलचस्प खुलासे किए। पेश है कुछ खास अंश…

सवाल- सबसे पहले अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताएं?
जवाब- इंदौर के पास एक छोटी सी जगह धार है। वहां का रहने वाला हूं। मेरे दादा जी एक्टर बनना चाहते थे। उनका सपना पूरा नहीं हो पाया, लेकिन दादा जी के चार भाइयों ने मिलकर धार में सिनेमा हॉल बनवा दिया। मैं बचपन से ही फिल्में देखते पला बढ़ा हूं। सिनेमा हमारे लिए सब कुछ है।
हालांकि आज छोटे शहरों के सिंगल थिएटर की स्थिति ठीक नहीं है। मेरे पेरेंट्स को पता था कि सिनेमा के जरिए सरवाइव करना बहुत मुश्किल है। इसलिए वो नहीं चाहते थे कि सिनेमा हॉल के बिजनेस में ध्यान दूं।
सवाल- पेरेंट्स क्या बनाना चाहते थे?
जवाब- वे चाहते थे कि इंजीनियर बनूं। मैंने इंजीनियरिंग की परीक्षा देने की कोशिश की, लेकिन मन नहीं था। फिर मम्मी से बात किया। मम्मी ने दादा जी को समझाया और बोलीं कि जो करना चाहते हो, करो। मैंने Arena Animation से मल्टीमीडिया का कोर्स किया, एडिटिंग सीखी। उसके बाद सोचा कि मुंबई जाकर कुछ करते हैं।
सवाल- मुंबई पहली बार कब आए?
जवाब- 2013 में पहली बार मुंबई आया और मुझे एक ग्राफिक्स स्टूडियो में प्रूफ रीडिंग का जॉब मिला। मुझे ग्राफिक डिजाइनिंग भी आती थी। 6 महीने में उस ऑफिस का मैनेजर बन गया। उस समय मुझे 35 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। घर वाले भी बहुत खुश थे, लेकिन मन में बार-बार यही ख्याल आता था कि यह काम नहीं करने आया हूं।
सवाल- फिर क्या किया आपने?
जवाब- मैं वापस इंदौर चला गया और अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया। वह अच्छा चला, लेकिन फैमिली प्रॉब्लम की वजह बंद करना पड़ा। मैंने जॉब ढूंढना शुरू किया, क्योंकि उस समय पैसे की बहुत जरूरत थी, लेकिन जॉब नहीं मिल रहा था। फिर एक दोस्त रितेश के साथ मिलकर नाइट फूड सर्विस ‘किचन टु होम’ शुरू की। इंदौर में यह बिजनेस अच्छा चलने लगा, तभी एक प्रतिद्वन्द्वी आ गया और उसने बड़े इन्वेस्ट के साथ 24 घंटे की सर्विस शुरू कर दी।
फिर हमने फूड सर्विस बंद कर दी। मेरे दोस्त को उस बिजनेस को चलाना था। उसने उसे जारी रखा और ‘किचन टु होम’ नाम से ही फूड मेस चलाने लगा। मैंने Wittyfeed में प्रोडक्शन का जॉब कर लिया। वहीं से मेरी इस फील्ड की जर्नी शुरू हुई।
सवाल- इसके बाद आगे की जर्नी कैसे आगे बढ़ी?
जवाब- मैं इंदौर में ही सेटल होने की सोच रहा था। वहीं पर राइटिंग, डायरेक्शन और एक्टिंग का छोटा मोटा काम चल रहा था। छोटी सी दुनिया में बहुत खुश था। मेरी गर्लफ्रेंड, जो अब मेरी पत्नी हैं। उन्होंने मुझे मुंबई आने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका आईटी सेक्टर में मुंबई में जॉब लग गया। मैं उनके साथ आया और मुझे भी आरवीसीजे डिजिटल मीडिया में जॉब मिली।
वहीं पर मैंने डायरेक्शन के अलावा बहुत सारी टेक्निकल चीजें सीखी। ‘फ्रेंड रिक्वेस्ट’ मिनी सीरीज वहीं पर बनाई थी। मुझे लगा कि कुछ और करना चाहिए। फिर TVF में आ गया। मैं TVF के सारे शोज देखता था। पंचायत सीरीज का बहुत बड़ा फैन था। कोविड के दौरान पंचायत देखकर खूब हंसता था। कभी सोचा नहीं था कि एक दिन इस शो को डायरेक्ट करने का मौका मिलेगा।

सवाल- फिर पंचायत 4 डायरेक्ट करने का मौका कैसे मिला?
जवाब- जब मैं TVF में आया तब पंचायत सीजन 2 की शूटिंग चल रही थी। उस समय मुझे पता चला कि इसकी शूटिंग मध्य प्रदेश के सीहोर में हुई है। यह लोकेशन तो मेरे घर के पास ही है। TVF में सबसे पहले क्रिएटिव प्रोड्यूसर बना। इसके बाद ‘दादूगिरी’, ‘रबिश की रिपोर्ट’ जैसे छोटे-छोटे स्केच डायरेक्ट किए। फिर अरुणाभ कुमार सर ने मुझे ‘The Adventures of LLeo’ डायरेक्ट करने का मौका दिया। यह बड़ा ही अतरंगी शो था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। उसी दौरान पंचायत के डायरेक्टर दीपक कुमार मिश्रा से मुलाकात हुई।
मैं एक शो ‘अंग्रेजी मत झाड़’ का क्रिएटिव प्रोड्यूसर था। उस शो में दीपक कुमार मिश्रा एक्टिंग कर रहे थे। उस समय हमारे बीच अच्छी बॉन्डिंग बन गई। उन दिनों वे एसोसिएट डायरेक्टर ढूंढ रहे थे। उन्होंने मुझे ऑफिस में यह न्यूज दी कि मैं चाहता हूं कि ‘पंचायत’ की जर्नी में एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में शामिल हो जाऊं। यह मेरे लिए बहुत बड़ा मौका था। इस तरह से पंचायत सीजन 3 से जुड़ा। उस दौरान बहुत सारे सीन डायरेक्ट करने के भी मौके मिले।
सवाल- पंचायत सीजन 4 डायरेक्ट करने के बाद किस तरह की फीडबैक मिले?
जवाब- फीडबैक तो बहुत अच्छे मिले। कुछ फीडबैक और बेहतर काम करने के लिए मिलते हैं। अच्छा बुरा सब सुनता पड़ता है। पहले दिन जब शो रिलीज हुआ, लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं आई। मुझे लगा कि कहीं मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई। 3-4 दिन के बाद जब दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया आनी शुरू हुई और उनका प्यार दिखने लगा, तब मुझे महसूस हुआ कि मैं दर्शकों के प्यार को बरकरार रख पाया। आगे इसे और बेहतर करने की कोशिश करूंगा।
जिन लोगों ने मुझ पर विश्वास दिखाया उस पर और खरा उतरने की कोशिश करूंगा। मुझे लगता है कि इस शो ने सबको बहुत कुछ दिया है। मेरी लाइफ की जर्नी तो अभी शुरू हुई है। यह शो मेरे दिल के हमेशा बहुत करीब रहेगा। मैं यह बात सबको बोलना चाहूंगा कि खुद के लिए भी खुश होना चाहिए।
सवाल- एक छोटे से कस्बे से आकर इतना बड़ा शो डायरेक्ट करना, किसी सपने से कम नहीं है?
जवाब- मैं इसका क्रेडिट नहीं लेता हूं। यह कोई गर्व की बात नहीं है। बस अपने आपको खुश करने की कोशिश कर रहा हूं। अभी तो जिंदगी में थोड़ी सी शुरुआत हुई है।

सवाल- छोटे शहरों से जो लोग इंडस्ट्री में सपने लेकर आते हैं, कहीं ना कहीं आप उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं?
जवाब- मुझे भी मजा आया। मेरे पेरेंट्स बहुत खुश हैं। उन्होंने मेरे बैनर बनवाकर पूरे शहर में लगवाया।
सवाल- आपके एक्टर्स ने क्या फीडबैक दिया?
जवाब- सभी लोग बहुत ही सपोर्टिव हैं। शो के रिलीज के दिन जब कुछ लोगों से निगेटिव प्रतिक्रिया मिली, तब सभी से फोन करके मेरा हौसला बढ़ाया। सभी एक्टर्स बहुत खुश हैं। मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि सबकी उम्मीदों पर खरा उतर पाया हूं।
सवाल- आपसे सीजन 5 की भी बहुत उम्मीदें हैं?
जवाब- सीजन 5 की उम्मीद तो सबको है। जब भी आए, पर आए। लोग इंतजार कर रहे हैं। मैं भी इंतजार कर रहा हूं। इसे और अच्छे से लिखा जाए और हम मजेदार तरीके से लेकर आएं।
सवाल- इस समय का महत्वाकांक्षा क्या है?
जवाब- अपने अंदर शांति लेकर आनी है। इसके अलावा एक कहानी, जिसे खुद से कह सकूं। उस कहानी की तलाश में हूं। यहां सारी चीजें स्टैब्लिश” थी, जिसे चलाना एक अलग टास्क था। जिसे खुद कहना चाहते हैं, वह एक अलग टास्क है। उस पर मेरा फोकस है।
सवाल- फिल्में भी डायरेक्ट करेंगे?
जवाब- वह तो मेरा सपना है। मैं चाहता हूं कि मेरी डायरेक्ट की गई फिल्में मम्मी-पापा और दादा जी देखें। कहीं ना कहीं यह उनका भी सपना है। वो कहते हैं कि हमारा सपना तुम जी रहे हो। हम सब बहुत खुश हैं। अपनी फिल्म में दादा जी के लिए एक रोल जरूर रखूंगा जो कि उनका सपना था। मैं चाहूंगा कि फिल्म उसी थिएटर में भी रिलीज हो जिसे दादाजी ने अपने भाइयों के साथ मिलकर बनवाया था।