lesson of lord hanuman, Inspirational story of lord hanuman, motivational story in hindi | हनुमान की सीख: घर-परिवार के बड़े लोगों से आशीर्वाद लेकर और भगवान का ध्यान करके शुरू करना चाहिए काम


3 घंटे पहले

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रामायण में सीता माता का अपहरण रावण द्वारा किया जा चुका था, और वानर सेना का एक दल समुद्र किनारे चिंतित बैठा था। वानरों को ये निश्चित करना था कि लंका जाकर कौन देवी सीता की खोज करेगा। इस दल में हनुमान, जामवंत, अंगद थे। इन सभी को संपाति नामक गिद्ध ने ये बता दिया था कि सीता जी लंका में ही हैं। लेकिन समस्या यह थी कि समुद्र के उस पार लगभग सौ योजन की दूरी पर लंका थी। इतनी दूर लंका कौन जा सकता था?

वानर दल चिंतित था। कोई भी इस कठिन काम को करने में सक्षम नहीं दिख रहा था। वानर आपस में विचार-विमर्श कर रहे थे, लेकिन किसी के पास इतना बल और आत्मविश्वास नहीं था कि वह इस विशाल समुद्र को पार कर सके।

हनुमान जी को जामवंत ने दिलाई उनकी शक्ति की याद

रामभक्त हनुमान भी चुपचाप बैठे हुए थे। वे भगवान राम के प्रति समर्पित थे, लेकिन उन्हें अपनी शक्ति का आभास नहीं था, इस वजह से वे भी शांत थे। वानरों की सेना के सबसे वृद्ध और अनुभवी जामवंत ने इस परिस्थिति को भांप लिया।

जामवंत जानते थे कि हनुमान के पास दिव्य शक्तियां हैं, लेकिन वे स्वयं इसे पहचान नहीं पा रहे हैं। जामवंत ने हनुमान को प्रेरित करते हुए कहा कि हे हनुमान, आपका जन्म ही प्रभु श्रीराम के कार्यों के लिए हुआ है। आप क्यों चुपचाप बैठे हैं? ये कार्य केवल आप ही कर सकते हैं। अब समय आ गया है कि आप लंका जाने के लिए तैयार हो जाएं और सीता माता की खोज करें।

जामवंत के इन शब्दों ने हनुमान को उनकी शक्तियों का एहसास करा दिया। वे अपनी शक्तियों को पहचान गए और लंका जाने के लिए स्वयं को तैयार कर लिया।

लंका जाने से पहले हनुमान ने ली थी जामवंत से सलाह

जब हनुमान लंका की ओर उड़ान भरने के लिए तैयार हुए, तब उन्होंने जामवंत से विनम्रतापूर्वक पूछा कि आप मुझे सलाह दें कि लंका जाकर मुझे क्या करना चाहिए?

यहां हनुमान जी ने अपने अद्भुत व्यक्तित्व का परिचय दिया है। वे बलवान और बुद्धिमान हैं, इसके बाद भी अनुभवी लोगों की सलाह को महत्व देते थे। जामवंत ने उन्हें समझाया कि लंका में सावधानी से प्रवेश करें, वहां सीता माता से मिलें और फिर भगवान श्रीराम को उनकी स्थिति की सही जानकारी दें।

हनुमान ने इस सलाह को गंभीरता से सुना। इसके बाद हनुमान ने जामवंत को प्रणाम किया और फिर वानर सेना के सभी साथियों को नमन किया। इसके बाद वे अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अभियान पर निकल पड़े।

इस प्रसंग से सीखें 4 बातें

1. आत्मविश्वास और अपनी शक्ति को पहचानें – हनुमान को खुद अपनी शक्ति का अंदाजा नहीं था, लेकिन जामवंत ने उन्हें प्रेरित किया और उन्होंने अपनी शक्तियों को पहचाना। इसी तरह हमें भी अपनी क्षमताओं को समझना चाहिए।

2. अनुभवी लोगों की सलाह लेकर आगे बढ़ें – भले ही हम अपने कार्य में सक्षम हैं, लेकिन हमें बड़े-बुजुर्गों और अनुभवी लोगों की सलाह लेनी चाहिए। बड़ों की सलाह हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है।

3. बड़ों का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ें – हनुमान ने अपने अभियान पर जाने से पहले जामवंत और वानर सेना के अन्य साथियों को प्रणाम किया। हमें भी इस बात ध्यान रखना चाहिए कि हम जब भी कोई बड़ा कार्य करें, तब हमें अपने परिवार, गुरु और समाज के बड़े लोगों का आशीर्वाद लेना चाहिए।

4. मजबूत संकल्प से मिलती है सफलता – हनुमान के भीतर न केवल बल था, बल्कि उन्होंने अपने उद्देश्य को पूरा करने का दृढ़ संकल्प भी किया था। इसी संकल्प के कारण वे सीता माता की खोज करने में सफल हुए।

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