Lesson of lord shriram and laxman, Shriram and Shabari story, life management tips from ramayana in hindi | श्रीराम की सीख: आसपास के लोगों के साथ समय व्यतीत करें और रिश्ते निभाएं, लेकिन अपने लक्ष्य का भी ध्यान रखें

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23 मिनट पहले

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रामायण में रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था। श्रीराम और लक्ष्मण देवी सीता की खोज कर रहे थे। बहुत कोशिशों के बाद भी सीता के बारे में कोई खबर नहीं मिल पा रही थी। सीता को खोजते हुए श्रीराम-लक्ष्मण शबरी के आश्रम में पहुंच गए।

शबरी राम जी की परम भक्त थीं। शबरी से उनके गुरु ने कहा था कि एक दिन तुम्हारे आश्रम में राम आएंगे। गुरु की बात मानकर शबरी अपने आश्रम में राम का इंतजार कर रही थीं। जब श्रीराम-लक्ष्मण शबरी के आश्रम में पहुंचे तो वह बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने दोनों भाइयों को सम्मान के साथ अपने आश्रम में बैठाया। राम-लक्ष्मण को भूख लग रही थी तो शबरी उनके खाने के लिए बेर ले आईं।

शबरी चाहती थीं कि वे राम जी को अच्छे बेर खाने के लिए दे, बेर खट्टे न निकल जाएं, इसलिए शबरी पहले खुद बेर चखतीं और फिर राम जी को खाने के लिए देतीं। राम भी शबरी के जूठे बेर को प्रेम से खा रहे थे, क्योंकि वे बेर मीठे होते थे।

ये देखकर लक्ष्मण को हैरानी हुई। लक्ष्मण सोचने लगे कि राम जी खुद तो जूठे बेर खा रहे हैं और मुझे भी जूठे बेर खिला रहे हैं। लक्ष्मण ने आगे सोचा कि हमें तो सीता जी की खोज करनी है और भैया यहां आराम से बेर खा रहे हैं। क्या भैया ये बात भूल गए हैं कि हमें सीता को ढूंढना है।

श्रीराम ने जब बेर खा लिए तो उन्होंने शबरी से कहा कि आप जो चाहती थीं, वह मैंने किया, हमने बेर खा लिए हैं। मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं, हम दोनों भाई सीता को खोज रहे हैं। आप वन में रहती हैं, कृपया हमें आगे जाने का रास्ता बताइए। शबरी ने श्रीराम को आगे जाने का सही रास्ता बताया, जिस रास्ते पर चल कर राम-लक्ष्मण की भेंट हनुमान से हुई। हनुमान ने राम जी की मित्रता सुग्रीव से करा दी और फिर सीता की खोज का अभियान तेजी से आगे बढ़ा।

श्रीराम की सीख

जब राम शबरी के दिए हुए बेर खा रहे थे, तब लक्ष्मण के मन में शंका जरूर हुई थी कि भैया कहीं अपना लक्ष्य तो नहीं भूल गए, लेकिन बाद में वे समझ गए कि भैया कितने सचेत हैं, वे शबरी के जूठे बेर प्रेम से खा रहे थे, उसके साथ बातें भी कर रहे थे, लेकिन उन्हें देवी सीता की खोज करने का लक्ष्य भी ध्यान था। हमें भी अपने मूल लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए। हमें आसपास के लोगों से मिलते समय भी अपने लक्ष्य को भूलना नहीं चाहिए। लोगों के साथ समय व्यतीत करना हो, किसी जगह रुकना हो तो वह भी करें, लेकिन अपना काम कभी न भूलें।

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