Lord Ram’s teaching, don’t give your problems to others, Lesson of lord ram, ramayana life management tips in hindi, motivational story in hindi | श्रीराम की सीख- अपनी परेशानियां दूसरों को न दें: श्रीराम ने वनवास के दिनों के भी राक्षसों को मारकर ऋषि-मुनियों की परेशानियां कर रहे थे दूर


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33 मिनट पहले

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रामायण में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता अयोध्या से वनवास के लिए निकल गए थे। वनवास के दिनों में ये तीनों जंगल-जंगल भटक रहे थे। वनवास में इनका मिलना अलग-अलग ऋषि-मुनियों से भी हो रहा था और कभी-कभी राक्षसों से भी श्रीराम का सामना हो रहा था। राम जी राक्षसों का तो वध कर देते थे और ऋषि-मुनियों के साथ उनके आश्रम में रहते थे।

वनवास के समय में एक बार बहुत सारे ऋषि-मुनि श्रीराम के साथ उनकी यात्रा में शामिल हो गए। सभी ऋषि-मुनि भी उनके साथ चल रहे थे और रास्ते में श्रीराम की नजर एक विचित्र पहाड़ पर पड़ी। श्रीराम ने ऋषि-मुनियों से पूछा कि ये कैसा पहाड़ है।

ऋषि-मुनियों ने श्रीराम को बताया कि ये हड्डियों का ढेर है। ये हड्डियां ऋषि-मुनियों की हैं, रावण के राक्षस आए दिन यहां आ जाते हैं और यहां के आश्रमों उजाड़ देते हैं। मुनियों को मारकर खा जाते हैं। ये उन्हीं की हड्डियों का ढेर है।

श्रीराम ने ये दृश्य देखा तो विचार किया कि राक्षसों ने इतना अत्याचार किया है। तब उन्होंने सभी ऋषि-मुनियों से कहा कि मैं आप सबको आश्वस्त करता हूं कि मैं सभी राक्षसों का अंत कर दूंगा। इसके बाद वे कई ऋषि-मुनियों के आश्रम में गए और सभी को सभी को सुख देते थे, लेकिन श्रीराम ने कहीं भी किसी भी ऋषि से अपनी परेशानियों के विषय में बात नहीं की।

श्रीराम के जीवन में कई परेशानियां आईं। उनका राजतिलक होना था, लेकिन उन्हें वनवास के लिए आना पड़ गया। पत्नी सीता का रावण ने हरण कर लिया था, लेकिन इसके बाद भी वे दूसरों का दुख दूर करने की कोशिश करते रहे। विपरीत परिस्थितियों में भी दूसरों को सुख देना, श्रीराम का स्वभाव था।

श्रीराम से सीखें दूसरों को सुख देना

  • परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, दूसरों को दुख न दें

श्रीराम का जीवन स्वयं संघर्षों से भरा था, अयोध्या छोड़कर उन्हें वनवास आना पड़ा, पत्नी सीता का हरण हुआ, लेकिन फिर भी वे जहां भी गए, जिन लोगों से भी मिले, सभी को सुरक्षा और सुख देने का प्रयास किया।

  • समस्याओं से घबराए नहीं, दूसरों के लिए समाधान बनें

श्रीराम ने जब देखा कि राक्षसों के आतंक से ऋषि-मुनियों को कितनी परेशानी हो रही है तो उन्होंने राक्षसों का अंत करने का संकल्प ले लिया। श्रीराम राक्षसों से डरे नहीं, बल्कि समस्या का समाधान बनकर खड़े हुए।

  • अपनी परेशानी दूसरों को न दें

श्रीराम स्वयं परेशान थे, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने आचरण से किसी को दुखी नहीं होने दिया। श्रीराम ने अपनी परेशानी दूसरों को नहीं बताई, बल्कि दूसरों के दुख दूर करने का भरोसा दिया।

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