‘Mahavatara Universe’ a grand cinematic experience of Indian mythology, | ‘महावतार यूनिवर्स’ भारतीय पौराणिक कथाओं का एक भव्य सिनेमाई अनुभव,: डायरेक्टर अश्विनी कुमार बोले- आज की पीढ़ी को भारत की आध्यात्मिक परंपरा से जोड़ना है


भोपाल25 मिनट पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता

  • कॉपी लिंक

साउथ की ब्लॉकबस्टर फ्रेंचाइज “केजीएफ’, “कांतारा’, “सालार’ और “बघीरा’ जैसी बड़ी फिल्में बनाने वाले प्रोडक्शन हाउस होम्बले फिल्म्स, क्लीम प्रोडक्शंस के साथ मिलकर ‘महावतार सिनेमैटिक यूनिवर्स’ ला रहे हैं। यह सीरीज 2025 में ‘महावतार नरसिम्हा’ से शुरू होकर 2037 में ‘महावतार कल्कि पार्ट 2’ के साथ समाप्त होगी। यह पहल भारतीय आध्यात्मिक परंपरा को आधुनिक सिनेमाई अंदाज में दुनिया के सामने लाने का एक खास प्रयास है। पहली फिल्म 25 जुलाई को 3D में और पांच भारतीय भाषाओं में 1000 स्क्रीन्स पर रिलीज होगी।

फिल्म के डायरेक्टर अश्विन कुमार ने बातचीत के दौरान बताया कि यह सिनेमैटिक यूनिवर्स सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे विभिन्न प्लेटफॉर्म पर दर्शकों से जोड़ने की तैयारी है। इसकी कहानियों को ग्राफिक किताबों के रूप में भी तैयार किया जाएगा। इससे जुड़े ऐसे गेम्स बनाए जाएंगे जहां दर्शक कहानी का हिस्सा बन सकें। इसकी डिजिटल कहानियां भी तैयार होंगी। हमारा मुख्य उद्देश्य एक ऐसा भावनात्मक संसार बनाना है जो आज की पीढ़ी को भारत की आध्यात्मिक परंपरा से जोड़े।

हॉलीवुड फिल्मों जैसा भव्य सिनेमाई अनुभव देने का प्रयास होगा

अश्विन इस बात से भी वाकिफ हैं कि ‘कल्कि’ या ‘परशुराम’ जैसे प्रोजेक्ट्स अन्य मेकर्स द्वारा भी अनाउंस हैं। इसके बावजूद वह ‘महावतार यूनिवर्स’ अलग बनाने वाले हैं। उन्होंने कहा…‘ये कथाएं सनातन हैं और इनके कई स्वरूप हैं। हमारा लक्ष्य शास्त्रों और पौराणिक स्रोतों के अनुसार कहानियों को प्रामाणिक रूप से पेश करना है, जिसमें मठों की सहमति भी शामिल होगी। जहां कहीं अतिशयोक्ति होगी, उसे स्पष्ट रूप से बताया जाएगा। साथ ही, दर्शकों को हॉलीवुड फिल्मों जैसा भव्य सिनेमाई अनुभव देने का प्रयास किया जाएगा।

भगवान नरसिम्हा की कहानी से ही शुरुआत करने का एक खास कारण था कि यह कहानी आज के युग और पीढ़ी के लिए बहुत प्रासंगिक है, क्योंकि इसमें विचारधाराओं का टकराव, एक पिता और पुत्र के बीच का संघर्ष दिखाया गया है। यह कहानी संघर्षों को सुलझाने के लिए एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है, जहां धर्म की विजय होती है।’

यह पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ प्रोडक्ट है, गहरी रिसर्च के साथ बनी है फिल्म

फिल्म के भव्य एनीमेशन पर बात करते हुए अश्विन ने कहा…‘यह पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ प्रोडक्ट है। इस टीम में पूरे भारत के कलाकार शामिल हैं, जिन्होंने इन-हाउस पाइपलाइन विकसित की है। यह एक ऐसा अनुभव बनाने का प्रयास है जो भारतीय सिनेमा में पहले कभी नहीं देखा गया।

‘नरसिम्हा…’ फिल्म में कहानी की गहराई भी काफी रिसर्च के साथ है। यह केवल हिरण्यकश्यप, प्रहलाद और नरसिंह अवतार तक सीमित नहीं होगी। इसमें भगवान वराह का अवतार भी दिखाया जाएगा, जो हिरण्याक्ष द्वारा पृथ्वी को पाताल में छिपाने से संबंधित है। हम एक कहानी में दो या तीन संबंधित अवतारों को शामिल करेंगे, ताकि भगवान की पूरी लीला को दिखाया जा सके।

प्रोडक्शन में तेजी के लिए AI का भी इस्तेमाल किया गया है

अश्विन इस बात पर भी जोर देते हैं कि ‘फिल्म के लिए एनीमेशन का ही चुनाव इसलिए किया गया ताकि दर्शक किसी एक्टर की छवि में भगवान को न देखें, बल्कि शुद्ध स्वरूप में उनका अनुभव करें। इसे “रियलिस्टिक एनीमेशन’ का रूप दिया गया है, न कि कार्टून का, ताकि देखने वाले को लगे कि यह सजीव है। इस फिल्म को बनाते समय AI उतना प्रचलन में नहीं था लेकिन बाद में AI का इस्तेमाल किया गया है, खासकर प्रोडक्शन को तेज करने के लिए।

AI को एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है जिससे फिल्मों को कम समय में बनाया जा सकता है। दो से तीन साल के गैप पर फिल्मों की रिलीज भी इसलिए है कि हमेें दर्शकों की प्रतिक्रिया मिल जाएगी। यदि एक प्रोजेक्ट को जबरदस्त सफलता मिलती है, तो बाकी फिल्मों की स्पीड तेज की जा सकती है। अगली फिल्म ‘महावतार परशुराम’ की तैयारी शुरू हो चुकी है। कई डायरेक्टर्स जुड़ना चाह रहे हैं और हम स्वागत करेंगे। ये एक आदमी का काम नहीं है, बल्कि एक संकल्प है जो सामूहिक प्रयास से ही पूरा होगा।’

इसमें कोई हॉलीवुड प्रोडक्शन या VFX स्टूडियो शामिल नहीं है…

बकौल, अश्विन “इस महावतार यूनिवर्स की पहली फिल्म को शुरुआत में पांच भारतीय भाषाओं में 2D और 3D में रिलीज किया जाएगा। इसके बाद इसे पांच अंतरराष्ट्रीय भाषाओं (अंग्रेजी, जापानी, कोरियाई, रूसी, स्पेनिश) में भी जारी किया जाएगा। इसका उद्देश्य भारतीय सभ्यता और कहानियों का विश्व स्तर पर प्रचार करना है। हालांकि इसमें कोई हॉलीवुड प्रोडक्शन या VFX स्टूडियो शामिल नहीं है।

यह पूरी तरह से देश में बनी है। हमारा उद्देश्य न केवल मनोरंजन करना है बल्कि भारतीय संस्कृति को विश्व मंच पर भी ले जाना है। ऐसी हाई क्वालिटी एनिमेशन फिल्मों को बनाने के लिए भी अच्छा-खासा समय चाहिए होता है। हमारा लक्ष्य भारतीय दर्शकों को ‘हैरी पॉटर’ या ‘जुरासिक पार्क’ जैसी बड़ी सिनेमाई फ्रेंचाइजी का अनुभव देना है, जो भारत में अभी तक बड़े पैमाने पर नहीं देखी गई हैं।



Source link

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top