शूटिंग के दौरान अन्य कलाकारों को दिशा निर्देश देते हुए प्रताप सिंह विश्वासी।- फाइल फोटो
हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने डायरेक्टर और प्रोड्यूसर प्रताप सिंह विश्वासी का सोमवार दोपहर निधन हो गया। वे 55 साल के थे और गले के कैंसर की दूसरी स्टेज से जूझ रहे थे। करीब 15 से 20 दिन पहले ही उन्हें बीमारी का पता चला था। उनका इलाज झज्जर स्थित
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सोमवार को दोपहर 2 बजे उनकी घर पर अचानक तबीयत बिगड़ गई। सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजन उन्हें नजदीकी प्राइवेट अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके निधन के बाद सोमवार शाम को ही पैतृक गांव कनीना में अंतिम संस्कार किया गया।
प्रताप विश्वासी ने हरियाणवी थिएटर में काफी काम किया, साथ ही उन्होंने कई हिट नाटकों में निर्देशन किया। उनका पहला नाटक साल 1992-93 में ‘खतरे में है भारत मां’ रहा, जो काफी हिट हुआ। इसी नाटक से उन्होंने थिएटर की दुनिया में पहचान बनाई और आगे चलकर कई एल्बम, नाटक और टेलीफिल्में बनाई।
उनके भाई राजेश ने बताया कि विश्वासी ने राख नाम की फिल्म को डायरेक्ट किया था। जिस पर 10 करोड़ रुपए लग चुके थे। जब विश्वासी ने कहा कि इसके अंदर अभी और पैसे लगेंगे तो फाइनेंसर ने वह फिल्म किसी दूसरे को बेच दी। जिसके बाद उन्होंने एल्बम पर ही फोकस किया।
डायरेक्टर विश्वासी के परिवार के PHOTOS…

माता बनारसी देवी के साथ नाटक डायरेक्टर विश्वासी की फाइल फोटो। उनकी मां का भी निधन हो चुका है।

विश्वासी की पत्नी रोशनी और बेटी ज्योति (19), उनकी बेटी अभी पढ़ाई कर रही है।

विश्वासी का बेटा महेश, जो एक निजी कंपनी में नौकरी करता है।
3 पॉइंट्स में विश्वासी के बारे में जानिए…
- चार भाई, पिता पहलवान, : विश्वासी महेंद्रगढ़ जिले के कनीना कस्बे से ताल्लुक रखते थे। वह चार भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। इनमें सबसे बड़े चंद्राश, फिर सुभाष, प्रताप व राजेश हैं। उनके पिता अमर सिंह पहलवान स्थानीय स्तर के जाने-माने पहलवान थे। उनका भी निधन हो चुका है। माता बनारसी देवी का निधन एक साल पहले हुआ था।
- बेटी अभी पढ़ाई कर रही: विश्वासी का एक लड़का महेश (21) और एक लड़की ज्योति (19) है। महेश एक निजी कंपनी में काम करता है और ज्योति बीए की छात्रा है। विश्वासी आम परिवार से निकलकर हरियाणवी थिएटर जगत में अपना मुकाम बनाने वाले कलाकारों में गिने जाते हैं।
- थिएटर से लेकर टेलीफिल्म तक का सफर: प्रताप विश्वासी ने कनीना क्षेत्र में रंगकर्म को बढ़ावा देने का लंबा काम किया। ‘खतरे में है भारत मां’, ‘एक और शहीद’, ‘आबरू-ए-वतन’, ‘मान जा पाकिस्तान’, ‘आत्मसमर्पण’ जैसे कई नाटक उनके निर्देशन में बने। इन नाटकों में उन्होंने डायलॉग लेखन से लेकर निर्देशन और एक्टिंग भी की है।
- अपने डायलॉग के लिए मशहूर थे: विश्वासी ने नाटकों में ही नहीं रामलीला में भी काम किया, उनके नाटकों में बोले जाने वाले डायलॉग वो खुद लिखते थे और दर्शक भी उनके लिखे हुए डायलॉग काफी पसंद करते थे। विभिन्न स्कूलों में जब भी कोई प्रतियोगिता आयोजित होती थी तो उन्हें विशेष रूप से बुलाया जाता था।

अपनी एक फिल्म की शूटिंग के दौरान अपनी टीम के साथ खड़े प्रताप विश्वासी।
प्रशासन ने इजाजत देने से इनकार किया, स्कूल में भीड़ लगी कनीना के पूर्व पार्षद मोहन सिंह ने प्रताप विश्वासी से जुड़ा एक किस्सा साझा करते हुए बताया—”मुझे अच्छी तरह याद है, जब हम ‘खतरे में है भारत मां’ नाटक का मंचन करने जा रहे थे, तभी प्रशासन ने अचानक इसकी इजाजत देने से मना कर दिया था। हालात मुश्किल थे, लेकिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चेयरमैन राजबीर जटराणा और विशिष्ट अतिथि यादव सभा के प्रधान धर्मपाल भुंगारका ने प्रशासन से बातचीत की। तब जाकर स्कूल के मैदान में भारी भीड़ के बीच यह नाटक सफलतापूर्वक किया गया।
मोहन सिंह ने आगे कहा- प्रताप विश्वासी में बहुत कला थी, लेकिन कभी घमंड नहीं किया। वे साधारण परिवार से थे, फिर भी मेहनत से उन्होंने थिएटर की दुनिया में खास पहचान बनाई। “

एक हरियाणवी फिल्म की शूटिंग के दौरान एक्टिंग करते विश्वासी।
युवा कलाकारों को भी प्रमोट किया प्रताप विश्वासी ने कई नए कलाकारों को मंच तक पहुंचाने में मदद की थी। कनीना के आकाश शर्मा, जिन्होंने बाद में विदेशों तक हरियाणा का नाम रोशन किया, उन्हीं में से एक हैं। शुरुआती दौर में प्रताप विश्वासी ने आकाश को संगीत सिखाया और कई एल्बमों में काम दिलवाया।
इससे आकाश को पहचान मिलनी शुरू हुई। आकाश शर्मा के पिता शिवकुमार शर्मा ने कहते हैं- प्रताप ने शुरुआत से ही आकाश का पूरा सपोर्ट किया। उन्होंने ‘सांई’ नाम का एक एल्बम सिर्फ आकाश के लिए तैयार किया था।