Major security flaws at airports like Mumbai-Delhi | मुंबई-दिल्ली जैसे एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा में बड़ी खामियां: DGCA बोला- रनवे मार्किंग धुंधली, प्लेन के टायर घिसे; 7 दिन में जरूरी कदम उठाएं ऑपरेटर्स


नई दिल्ली3 मिनट पहले

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अहमदाबाद में 12 जून को हुए प्लेन हादसे के बाद डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) पूरे देश के एयरपोर्ट्स पर जांच टीमें भेज रहा है। जांच के बाद सामने आया कि मुंबई, दिल्ली सहित कई बड़े एयरपोर्ट पर सुरक्षा में बड़ी खामियां हैं।

DGCA ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया कि एक एयरपोर्ट पर रनवे पर लाइन मार्किंग ही धुंधली थी। ये प्लेन की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए बनाई जाती हैं। एक एयरपोर्ट पर टेकऑफ से पहले प्लेन के टायर घिसे हुए मिले। कुछ जगहों पर दस्तावेज सही तरह मेंटेन नहीं किए गए, तो कहीं शिकायत बुक में खामी दिखी। एयरपोर्ट्स के आसपास की ईमारतों के निर्माण का डेटा 3 साल से अपडेट नहीं था।

2 टीमों ने फ्लाइट ऑपरेशन, सुरक्षा मानकों की जांच की DGCA के जॉइंट डायरेक्टर जनरल की निगरानी में दो टीमों ने 7 मानकों पर जांच की। ये जांच 19 जून के बाद की गई थी। एक टीम सुबह के वक्त और दूसरी टीम रात की वर्किंग की जांच कर रही थी। इस दौरान फ्लाइट ऑपरेशन, उड़ान का समय, रैंप सेफ्टी, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC), कम्यूनिकेशन, नेविगेशन एंड सर्विलांस सिस्टम और उड़ान से पहले की जांच शामिल थी।

अहमदाबाद हादसे के बाद सख्ती

यह तस्वीर 12 जून को हुए अहमदाबाद हादसे से कुछ क्षण पहले ली गई थी। एअर इंडिया की फ्लाइट एक डॉक्टर्स हॉस्टल से टकरा गई थी। इस घटना के बाद ही DGCA सुरक्षा मानकों को लेकर सख्ती बरत रहा है।

यह तस्वीर 12 जून को हुए अहमदाबाद हादसे से कुछ क्षण पहले ली गई थी। एअर इंडिया की फ्लाइट एक डॉक्टर्स हॉस्टल से टकरा गई थी। इस घटना के बाद ही DGCA सुरक्षा मानकों को लेकर सख्ती बरत रहा है।

एयरपोर्ट्स की जांच में मिलीं खामियां, 4 पॉइंट्स

1. एयरपोर्ट पर पिछले तीन सालों से ऑब्स्ट्रक्शन लिमिटेशन डेटा को अपडेट नहीं एयरपोर्ट के आसपास के इलाके में किसी भी तरह की ऊंचाई वाली रुकावट (जैसे- इमारतें, टावर, पेड़, क्रेन आदि) की पूरी डिटेल और उसकी ऊंचाई का डेटा रखा जाता है। कई एयरपोर्ट्स पर यह डेटा अपडेट नहीं था। एक एयरपोर्ट पर यह डेटा 3 साल से अपडेट नहीं था, जबकि एयरोड्रम के आसपास नए निर्माण हो चुके थे।

इस डेटा की जरूरत क्यों: उड़ान भरते समय और उतरते समय विमान का रूट पूरी तरह से साफ होना चाहिए। अगर रनवे के आसपास कोई ऊंची इमारत या अन्य रुकावट हो तो विमान के लिए खतरा हो सकता है। इसे ऑब्स्ट्रक्शन लिमिटेशन डेटा कहलाता है। यह डेटा पायलट, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और एयरपोर्ट के सुरक्षा मानकों के लिए जरूरी है।

2. टायर घिस जाने के कारण घरेलू उड़ानें लेट DGCA ने जांच में पाया कि एक एयरपोर्ट पर घरेलू फ्लाइट टेकऑफ करने वाली थी। तभी विमान के टायरों की बुरी स्थिति नजर आई। ये टायर घिसे हुए थे। इसे ठीक करने के बाद ही उसे रवाना किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि टायर घिसने की वजह से उड़ानों में देरी हो रही है।

टायर घिसने पर क्या खतरा: घिसे टायरों में ग्रिप कम हो जाती है। इससे विमान को रोकने के लिए ज्यादा दूरी की जरूरत पड़ने लगती है। अगर रनवे गीला हो तो घिसे टायरों की वजह से विमान फिसल सकता है। टेकऑफ या लैंडिंग के दौरान बहुत ज्यादा लोड आने पर टायर फट सकते हैं।

3. एयरपोर्ट पर रनवे पर मौजूद सेंटर लाइन मार्किंग फीका पड़ा जांच में सामने आया कि एक एयरपोर्ट पर रनवे पर सेंटर लाइन मार्किंग फीकी पड़ी थी। रनवे के बीचों-बीच बनी एक सफेद डॉटेड लाइन होती है। यह पायलट को बताती है कि रनवे का सेंटर कहां है। टेकऑफ और लैंडिंग के समय यह लाइन दिशा पकड़ने में मदद करती है।

सेंटर लाइन मार्किंग फीकी पड़ने पर खतरा: विमान के लैंडिंग के वक्त दिशा भटकने का खतरा। अगर सेंटर लाइन साफ न दिखे, तो विमान थोड़ा किनारे उतर सकता है। जिससे रनवे से फिसलने या बाहर जाने का खतरा बढ़ जाता है। खासकर छोटे हवाईअड्डों पर जहां टेक्नोलॉजिकल गाइडेंस कम होती है, वहां सेंटर लाइन की अहमियत और बढ़ जाती है।

4. एयरक्रॉफ्ट सिस्टम की खामियां को लॉगबुक में दर्ज नहीं किया गया एयरकक्रॉफ्ट टेक्निकल लॉगबुक एक आधिकारिक रिकॉर्ड बुक होती है, जिसमें हर फ्लाइट से पहले और बाद में विमान की तकनीकी स्थिति दर्ज की जाती है। कुछ एयरपोर्ट पर जांच के दौरान पाया गया कि कुछ रिपोर्ट बुक में दर्ज नहीं हैं।

लॉगबुक में रिपोर्ट मिसिंग का क्या खतरा: अगर कोई खराबी दर्ज नहीं हुई तो अगली बार वही समस्या फिर हो सकती है। टेक्नीशियन को पता ही नहीं चलेगा कि किस सिस्टम में दिक्कत आई थी। अनजानी खामियां उड़ान के दौरान गंभीर इमरजेंसी (जैसे इंजन फेल, हाइड्रोलिक लीक) बन सकती हैं।

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