Manusmriti and Baburnama will not be included in DU Course Says DU VC Yogesh Kumar | DU के कोर्स में नहीं जुड़ेंगे मनुस्‍मृति, बाबरनामा: हिस्‍ट्री के सिलेबस में बदलाव का प्रपोजल वापिस लेगी यूनिवर्सिटी


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3 दिन पहले

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दिल्‍ली यूनिवर्सिटी अपने अंडरग्रेजुएट हिस्‍ट्री के सिलेबस में मनुस्‍मृति और बाबरनामा जोड़ने का प्रपोजल वापिस लेने जा रही है। टीचर्स के भारी विरोध के चलते यूनिवर्सिटी ने ये फैसला लिया है।

वाइस चांसलर योगेश सिंह ने बताया कि उन्‍होंने अपनी इमरजेंसी पावर्स का इस्‍तेमाल करके ये प्रपोजल रुकवाया है ताकि ये एकेडमिक काउंसिल यानी AC के सामने पेश न हो।

वाइस चांसलर योगेश सिंह ने बताया कि उन्‍होंने अपनी इमरजेंसी पावर्स का इस्‍तेमाल करके ये प्रपोजल रुकवाया है ताकि ये एकेडमिक काउंसिल यानी AC के सामने पेश न हो।

इन दोनों विषयों को सिलेबस में जोड़ने का प्रस्‍ताव 19 फरवरी को यूनिवर्सिटी की हिस्‍ट्री डिपार्टमेंट जॉइंट कमेटी ने लिया था। इसे रिव्‍यू के लिए एकेडमिक काउंस‍िल और एग्जिक्‍यूटिव काउंसिल के सामने पेश किया जाना था। योगेश सिंह ने कहा कि ऐसे कोई भी टॉपिक सिलेबस में नहीं जोड़े जाएंगे जो सोसाइटी में डिवाइड पैदा करे।

फैकल्‍टी ने किया था प्रपोजल का विरोध

यूनिवर्सिटी के इस फैसले का फैकल्‍टी ने विरोध किया था। एसोसिएट प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार ने VC को इस फैसले पर पुर्नविचार के लिए पत्र लिखा था। उन्‍होंने लिखा था कि मनुस्‍मृति जाति आधारित भेदभाव और उत्‍पीड़न को प्रमोट करती है, जो कि भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के खिलाफ है।

उनका ये भी कहना था कि बाबरनामा, जिसमें मुगल बादशाह बाबर की कहानियां हैं, ऐसे आक्रमणकारी का महिमामंडन करता है जिसने पूरे देश में लूटपाट की।

जहां एक ओर फैकल्‍टी इस फैसले का विरोध कर रही थी, कई टीचर्स का कहना था कि सही इतिहास जानना स्‍टूडेंट्स के लिए जरूरी है। उनका तर्क था कि हमें ये देखना चाहिए कि ऐसी किताबों का ऐतिहासिक महत्‍व क्‍या है, न कि उनका समाज पर असर क्‍या होगा।

पिछले साल भी आया था मनुस्मृति पढ़ाने का प्रपोजल

DU में मनुस्‍मृति पढ़ाए जाने का यह प्रपोजल पहला नहीं है। पिछले साल भी लॉ के सिलेबस में मनुस्‍मृति जोड़ने का प्रस्‍ताव रखा गया था जिसे विरोध के बाद वापिस ले ल‍िया गया।

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