MP Shahdol Judge Sexual Harassment | High Court Chief Justice | शहडोल में महिला जज ने इस्तीफा दिया: चीफ जस्टिस को भेजा पत्र, लिखा- जिस पर उत्पीड़न का आरोप, उसे हाईकोर्ट का जज बनाया – Jabalpur News

[ad_1]

शहडोल में पदस्थ एक महिला सिविल जज ने न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे की वजह भी बताई। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजे पत्र में उन्होंने लिखा- जिस वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, उसी को हाईकोर्ट का जज बना दिया

.

बता दें, जिन पर आरोप लगे हैं उन अधिकारी की हाल ही में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नियुक्ति को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी। हालांकि, उन्होंने अभी शपथ ग्रहण नहीं की है।

उन्होंने अपने इस्तीफे के फैसले को विरोध का प्रतीक बताया और कहा ‘आपके रिकॉर्ड में यह याद रहना चाहिए कि मध्यप्रदेश में एक महिला जज थी, जो पूरी ईमानदारी से न्याय के लिए लड़ी, लेकिन उसी व्यवस्था ने उसे तोड़ दिया जो सबसे ज्यादा न्याय की बातें करती है।’

दो साल पहले लगाया था आरोप महिला जज ने साल 2023 में एक जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उन्होंने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र लिखकर उनकी पदोन्नति रोकने की अपील की थी। साथ ही, दो अन्य महिला न्यायिक अधिकारियों ने भी उनके खिलाफ लिखित शिकायतें दी थीं।

इसके बावजूद कोई जांच नहीं हुई और हाईकोर्ट ने आरोपित को जज बनाए जाने की सिफारिश कर दी, जिसे केंद्र ने 28 जुलाई 2025 को मंजूरी दे दी।

महिला जज ने 28 जुलाई को इस मंजूरी के कुछ घंटों बाद ही इस्तीफा दे दिया। इससे पहले इस साल की शुरुआत में उन्होंने भारत के राष्ट्रपति, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, रजिस्ट्रार जनरल, सुप्रीम कोर्ट और कोलेजियम को कई शिकायतें भेजी थीं। इन शिकायतों में उन्होंने आरोपित जज की पदोन्नति पर दोबारा विचार करने की अपील की थी।

पहले सेवा से निकाली जा चुकी थीं जून 2023 में छह महिला जजों को मध्यप्रदेश सरकार ने सेवा से हटा दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि उनकी प्रशिक्षण अवधि में प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर संज्ञान लेते हुए सभी को फिर से बहाल करने का आदेश दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने कहा था- “न्यायिक संस्थाओं के भीतर भी महिलाओं के साथ न्याय होते दिखना चाहिए।” आरोप लगाने वाली जज मार्च 2024 से शहडोल में सिविल जज के रूप में कार्यभार में लौटी थीं।

इस्तीफा देने वाली महिला जज के पिता प्रशासनिक सेवा में थे। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई भोपाल से की। इसके बाद उन्होंने बीए और एलएलबी (ऑनर्स) की पढ़ाई भोपाल यूनिवर्सिटी से की। जज बनने के लिए उन्होंने जबलपुर में कोचिंग ली। साल 2009 में उनके पिता का हार्ट अटैक से निधन हो गया।

उन्होंने एमपी सिविल जज 2017 की परीक्षा में भाग लिया। 17 मई को रिजल्ट आने पर उनका सिविल जज के पद पर चयन हुआ। उन्होंने 93 सीटों में से ऑल इंडिया रैंक 21 हासिल की थी।

ये खबरें भी पढ़ें…

न्यायाधीशों की बर्खास्तगी पर सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान:MP में 6 महिला जज की सेवा समाप्ति का मामला

मध्यप्रदेश में जून 2023 में बर्खास्त की गईं 6 महिला न्यायाधीशों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की डबल बेंच ने शुक्रवार को अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को इस मामले में न्यायालय की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें….

UP की महिला जज ने CJI से मांगी इच्छा मृत्यु:लिखा- कोर्ट में शोषण हुआ यूपी के बांदा जिले में तैनात एक महिला जज ने इच्छा मृत्यु मांगी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को लेटर लिखा है। इसमें कहा- भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ। मैं दूसरों को न्याय देती हूं, लेकिन खुद अन्याय का शिकार हुई। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

[ad_2]

Source link

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top