ठाणे25 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

जीतेंद्र आव्हाड ने कहा- सनातन धर्म ने डॉ. बीआर अंबेडकर को पानी पीने और स्कूल तक जाने नहीं दिया।
NCP (शरद गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया। सनातन धर्म नाम का कोई धर्म कभी था ही नहीं। इसकी विचारधारा विकृत है। हम हिंदू धर्म के अनुयायी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया- इसी तथाकथित सनातन धर्म ने हमारे छत्रपति शिवाजी महाराज को राज्याभिषेक से वंचित रखा, छत्रपति संभाजी महाराज को बदनाम किया। इसके अनुयायियों ने ज्योतिराव फुले की हत्या की कोशिश की।
आव्हाड ने कहा कि सावित्रीबाई फुले पर गोबर और गंदगी फेंकी गई। इसी सनातन धर्म ने शाहूजी महाराज की हत्या की साजिश रची। इसने डॉ. बीआर अंबेडकर को पानी पीने और स्कूल जाने तक नहीं दिया।
आव्हाड ने ये भी कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ही थे, जो सनातन धर्म के खिलाफ उठे, मनुस्मृति को जलाया और उसकी दमनकारी परंपराओं को खारिज किया।
आव्हाड का ये बयान मालेगांव ब्लास्ट के सभी 7 आरोपियों को बरी किए जाने और भगवा आतंकवाद पर जारी राजनीतिक बहस के बीच आया है। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को धमाका हुआ था। इसमें 6 लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हुए थे। मालेगांव ब्लास्ट केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी। 2011 में केस NIA को सौंप दिया गया था।

31 जुलाई: मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी बरी किए गए
महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी 7 आरोपियों को NIA स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई को बरी कर दिया था। फैसले के बाद कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि आतंकवादियों के लिए ‘भगवा’ शब्द का प्रयोग न करके ‘सनातन’ या ‘हिंदुत्ववादी’ शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
मेरे मुख्यमंत्री काल (महाराष्ट्र) में ‘सनातन’ संगठन की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता थी। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए मैंने एक गोपनीय रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी। उसी संदर्भ में मैंने ‘सनातन’ शब्द का इस्तेमाल किया था, क्योंकि उस संगठन का कार्य आतंकवादी प्रवृत्ति का था। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए था।

1 अगस्त: भाजपा ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
भाजपा सांसद संबित पात्रा ने 1 अगस्त को भगवा आतंकवाद और सनातन आतंकवादी जैसे शब्दों के इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा था- कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने दो बातें कही हैं। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, जो तुष्टिकरण का प्रतीक है। साथ ही वे हिंदू आतंकवादी या सनातन आतंकवादी जैसे शब्द भी इस्तेमाल कर जाते हैं। सुशील कुमार शिंदे ने अपने एक सम्मेलन में ‘भगवा आतंक’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
कुछ साल पहले जब शिंदे से पूछा गया था कि क्या उन्हें अब भी ‘भगवा आतंक’ शब्द का इस्तेमाल करना सही लगता है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें इस शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा था।
हम सब जानते हैं कि वे किसके बारे में बात कर रहे थे। गांधी परिवार ने उन पर ‘भगवा आतंक’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए दबाव डाला था।
1 अगस्त: ATS के पूर्व इंस्पेक्टर ने कहा- RSS चीफ को पकड़ने का दबाव था

1 अगस्त को ही महाराष्ट्र ATS के पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने बड़ा दावा किया था। उन्होंने कहा था- मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। भगवा आतंकवाद स्थापित करने के लिए भागवत की गिरफ्तारी का दबाव बनाया गया था। मेरे पास इस दावे के दस्तावेज मौजूद हैं।
उन्होंने कहा था कि कोई भगवा आतंकवाद नहीं था। सब कुछ फर्जी था। मैं किसे के पीछे नहीं गया, क्योंकि मुझे वास्तविकता पता थी। मोहन भागवत जैसे व्यक्ति को पकड़ना मेरी क्षमता से बाहर था। अब इस मामले में सातों आरोपियों को बरी किया गया है। इससे ATS के फर्जी कामों का पर्दाफाश हो गया।
मुजावर के दावे पर भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा- सबकुछ गांधी परिवार के कहने पर हो रहा था। मोहन भागवत को झूठे केस में फंसाने की साजिश थी। उन्होंने कहा कि भगवा आतंकवाद का नरेटिव रचा गया।
मुजावर ने कहा-

इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी की फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। मैं यह नहीं कह सकता कि ATS ने तब क्या जांच की और क्यों, लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और RSS प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि कोई उनका पालन कर सके।

नोट- कोर्ट को बताया गया था कि ब्लास्ट में 101 लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा 101 नहीं, 95 लोग घायल हुए थे।
पूर्व भाजपा सांसद सांसद साध्वी प्रज्ञा आरोपियों में शामिल थीं
मालेगांव ब्लास्ट केस में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी। केस में 3 जांच एजेंसियां और 4 जज बदले। NIA की स्पेशल कोर्ट का मालेगांव ब्लास्ट केस में 8 मई 2025 को फैसले आने वाला था, लेकिन इसे सुरक्षित रखा गया था।
31 जुलाई को जज एके लाहोटी ने पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी को बरी किया।
करीब 17 साल बाद आए फैसले में कोर्ट ने कहा- जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई है, ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था।
कोर्ट ने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम थी। यह भी साबित नहीं हो सका कि लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने बम बनाया।

पीड़ित के वकील बोले- जांच एजेंसियां और सरकार फेल हुई
कोर्ट के फैसले पर पीड़ितों के वकील शाहिद नवीन अंसारी ने कहा- हम NIA कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस मामले में जांच एजेंसियां और सरकार फेल हुई है।
———————————————
मालेगांव ब्लास्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
‘बम फटा, बेटा मरा, नहीं पता मालेगांव का गुनहगार कौन’: प्रज्ञा समेत 7 आरोपी बरी, विक्टिम फैमिली बोलीं- फिर अजहर-फरहीन को किसने मारा

महाराष्ट्र के मालेगांव में रहने वाले सैयद निसार का बेटा अजहर नमाज पढ़ने निकला था। शाम को लौटते वक्त वह भीकू चौक पहुंचा। अजहर एक बाइक के बगल से गुजर रहा था, तभी ब्लास्ट हो गया। 19 साल के अजहर के अलावा 5 और लोग मारे गए। जवान बेटे की मौत पर सैयद उस दिन खूब रोए। उस दिन तारीख थी 29 सितंबर 2008.., पूरी खबर पढ़ें…