New generation fresh love story, screenplay a bit weak, but Ibrahim-Khushi’s chemistry and romance impresses | मूवी रिव्यू- नादानियां: नई जनरेशन फ्रेश लव स्टोरी, स्क्रीनप्ले थोड़ा सा कमजोर, लेकिन इब्राहिम-खुशी की केमिस्ट्री और रोमांस इंप्रेस करता है


37 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान ने फिल्म ‘नादानियां’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया है। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है। रोमांस, कॉमेडी और इमोशन्स से भरी यह एक यूथ-सेंट्रिक फिल्म है। शौना गौतम के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में इब्राहिम अली खान के साथ खुशी कपूर, दीया मिर्जा, महिमा चौधरी, अर्चना पूरन सिंह, सुनील शेट्टी, अपूर्वा मखीजा और आलिया कुरैशी की अहम भूमिका है। इस फिल्म की लेंथ 1 घंटा 59 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?

फिल्म की कहानी पिया जयसिंह (खुशी कपूर) और अर्जुन मेहता (इब्राहिम अली खान) के इर्द-गिर्द घूमती है। एक गलतफहमी के चलते पिया अपने दोस्तों से झूठ बोलती है और अर्जुन को अपना रेंटल बॉयफ्रेंड बना लेती है। धीरे-धीरे उनके बीच नजदीकियां बढ़ती हैं, लेकिन उनकी कहानी आगे क्या मोड़ लेती है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। फिल्म में टीनएज लव, फैमिली इमोशन्स और मॉडर्न रिलेशनशिप के अलग-अलग एंगल को दिखाया गया है।

स्टार कास्ट की एक्टिंग कैसी है?

खुशी कपूर हर फिल्म के साथ बेहतर हो रही हैं और उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें अभी अपनी एक्टिंग में और निखार लाने की जरूरत है। इब्राहिम अली खान का डेब्यू ठीक रहा, लेकिन एक्सप्रेशंस और डायलॉग डिलीवरी में उन्हें अभी और मेहनत करनी होगी। सपोर्टिंग कास्ट में दीया मिर्जा, महिमा चौधरी, अर्चना पूरन सिंह, सुनील शेट्टी, अपूर्वा मखीजा और आलिया कुरैशी ने छोटे लेकिन दमदार किरदार निभाए हैं।

फिल्म का डायरेक्शन कैसा है?

शौना गौतम का डायरेक्शन ठीक है, लेकिन स्क्रीनप्ले में कुछ लूपहोल्स रह गए हैं। कुछ जगहों पर बेवजह का ड्रामा कहानी को कमजोर करता है। हालांकि फिल्म में आज की जनरेशन की लव स्टोरी और उनके चैलेंजेस को दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म में ताजगी है, लेकिन कुछ सीन अगर हटा दिए जाते तो फिल्म ज्यादा एंगेजिंग बन सकती थी। डायरेक्शन के अलावा सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग की बात करें तो कई फ्रेम्स खूबसूरत लगते हैं और एडिटिंग क्रिस्प है, लेकिन अगर कुछ सीन्स को छोटा किया जाता, तो फिल्म ज्यादा एंटरटेनिंग हो सकती थी।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

फिल्म का म्यूजिक औसत है। आमतौर पर रोमांटिक ड्रामा में म्यूजिक एक मजबूत पक्ष होता है, लेकिन यहां इसकी कमी साफ झलकती है। कोई भी गाना ऐसा नहीं है, जो याद रह जाए या जो कहानी को और प्रभावी बनाए।

फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं

अगर आप लाइट हार्टेड रोमांटिक फिल्में पसंद करते हैं और नई जनरेशन के रिलेशनशिप डायनामिक्स को देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है। हालांकि, इसमें परफेक्ट फिल्म जैसा कुछ नहीं है, लेकिन खुशी और इब्राहिम की केमिस्ट्री और हल्की-फुल्की कॉमेडी इसे एक टाइम-पास वॉच बनाते हैं।



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