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मुंबई14 मिनट पहले
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शिवसेना (उद्धव गुट) नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के पास तो फर्जी डिग्री है। ऐसे इंसान को कोई हक नहीं कि वह हमें बताए कि क्या करना चाहिए।
उन्होंने कहा- हमें हिंदी भाषी लोगों से कोई परेशानी नहीं है। शिवसेना ने कभी उन पर हमला नहीं किया। राउत ने कहा-

सबसे पहले तो ये दुबे हैं कौन? मैं महाराष्ट्र के हिंदी भाषी नेताओं से अपील करता हूं कि वे दुबे के बयान की निंदा करें। तभी मैं मानूंगा कि आप महाराष्ट्र से हैं।
निशिकांत दुबे ने सोमवार को कहा था कि ठाकरे अपने घर महाराष्ट्र में अगर बहुत बड़े बॉस हो तो चलो बिहार, चलो यूपी, चलो तमिलनाडु, तुमको पटक-पटक कर मारेंगे। दुबे ने यह जवाब राज ठाकरे के उस बयान पर दिया, जिसमें राज ने कहा था- मराठी ना बोलने पर मारो, लेकिन वीडियो मत बनाओ।

राउत की 2 बड़ी बातें…
- राउत ने कहा कि बीजेपी सांसद द्वारा मराठी लोगों के खिलाफ दिए गए बयान पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट की चुप्पी हैरान करने वाली है। ऐसे मुख्यमंत्री को छत्रपति शिवाजी महाराज और बाला साहेब ठाकरे का नाम लेने का कोई हक नहीं है।
- महाराष्ट्र में कभी भी हिंदी भाषी लोगों पर हमले नहीं हुए हैं। ऐसे में निशिकांत दुबे का बयान महाराष्ट्र की छवि को खराब करने की कोशिश है। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार दुबे को तुरंत जवाब दें और स्थिति स्पष्ट करें।
दुबे ने कहा था- किसी हिंदी-उर्दू भाषी को पीटकर दिखा दें तो मैं मानूंगा
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को कहा, ‘अगर ठाकरे में ज्यादा हिम्मत है, आप हिंदी भाषी को मारते हैं तो उर्दू भाषी, तमिल, तेलुगु को भी मारो। आप ये घटिया हरकत कर रहे हो।
दुबे ने कहा- ये अराजकता नहीं चलेगी। हम मराठी का सम्मान करते हैं। हम शिवाजी महाराज, तात्या टोपे, तिलक, लाजपत राय का सम्मान करते हैं। ये उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे जो कर रहे हैं, उसका हम प्रतिकार करते हैं।

राज ठाकरे ने कहा था- अगर आप किसी को पीटते हैं, तो वीडियो न बनाएं महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने ‘मराठी एकता’ पर शनिवार यानी 5 जून को मुंबई के वर्ली सभागार में ‘मराठी विजय रैली’ की थी। दोनों ने 48 मिनट तक हिंदी-मराठी भाषा विवाद, मुंबई-महाराष्ट्र, भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
दोनों नेताओं ने कहा- तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया। हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं।
राज ठाकरे ने कहा था, ‘चाहे गुजराती हो या कोई और, उसे मराठी आनी चाहिए, लेकिन अगर कोई मराठी नहीं बोलता तो उसे पीटने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कोई बेकार का ड्रामा करता है तो आपको उसके कान के नीचे मारना चाहिए। अगर आप किसी को पीटते हैं, तो घटना का वीडियो न बनाएं। पूरी खबर पढ़ें…

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 20 साल बाद एक मंच पर दिखे थे।
जानिए, महाराष्ट्र में भाषा विवाद क्या है
- महाराष्ट्र में अप्रैल में 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी अनिवार्य की गई थी। ये फैसला राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर लागू किया गया था।
- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के नए करिकुलम को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र में इन क्लासेज के लिए तीन भाषा की पॉलिसी लागू की गई थी।
- विवाद बढ़ने के बाद अपडेटेड गाइडलाइंस जारी की गई। मराठी और अंग्रेजी मीडियम में कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं।
- इसके लिए शर्त बस यह होगी कि एक क्लास के कम से कम 20 स्टूडेंट्स हिंदी से इतर दूसरी भाषा को चुनें। ऐसी स्थिति में स्कूल में दूसरी भाषा की टीचर भी अपॉइंट कराई जाएगी। अगर दूसरी भाषा चुनने वाले स्टूडेंट्स का नंबर 20 से कम है तो वह भाषा ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जाएगी।

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20 साल बाद ठाकरे परिवार एक साथ: उद्धव बोले- मराठी ने दूरियां खत्म कीं; राज बोले- फडणवीस ने वो किया जो बालासाहेब नहीं कर पाए

5 जुलाई को महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने ‘मराठी एकता’ पर रैली की थी। इस मौके पर दोनों की तरफ से आगे साथ मिलकर राजनीति करने के संकेत दिए थे। राज ठाकरे ने कहा था कि मैंने अपने इंटरव्यू में कहा था कि झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है। 20 साल बाद हम एक मंच पर आए हैं आपको दिख रहे हैं। हमारे लिए सिर्फ महाराष्ट्र और मराठी एजेंडा है, कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। पूरी खबर पढ़ें…
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