26 मिनट पहले
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कल (14 मार्च) सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। मीन राशि का स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति है। बृहस्पति सूर्यदेव के भी गुरु हैं। अपने गुरु की मीन राशि में सूर्य प्रवेश करेगा। इस संबंध में ज्योतिष की मान्यता है कि सूर्य देव अब एक माह तक अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहेंगे। इस माह को खरमास कहा जाता है।
सूर्य के मीन राशि में आने से सूर्य और गुरु, दोनों ग्रह कमजोर हो जाते हैं। इस वजह से खरमास में विवाह जैसे मांगलिक कर्मों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। खरमास में सूर्य पूजा, मंत्र जप, दान-पुण्य और नदी में स्नान करने की परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक मांगलिक कार्यों में देवी-देवताओं के साथ ही ग्रहों की भी विशेष पूजा की जाती है। किसी भी मांगलिक कार्य में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की शुभ स्थिति देखी जाती है। जब ये ग्रह शुभ स्थिति में होते है, तब ही मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त मिल पाते हैं।
खरमास में सूर्य और गुरु, ये दोनों ग्रह कमजोर हो जाते हैं। साल में दो बार खरमास आता है। पहला सूर्य जब धनु राशि में रहता है और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में रहता है। सूर्य 13 अप्रैल को मेष राशि मे प्रवेश करेगा, तब खरमास खत्म होगा। इसके बाद ही मांगलिक कार्यों के लिए फिर से मुहूर्त मिलेंगे।
खरमास में कौन-कौन से शुभ कर्म करना चाहिए
- सूर्य जब तक मीन राशि में रहता है, तब तक रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य पूजा करनी चाहिए। तांबे के लोटे में जल भरें, फूल और चावल डालकर सूर्य को चढ़ाएं। अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- किसी जरूरतमंद व्यक्ति को छाता, जूते-चप्पल, सफेद सूती कपड़े दान करें। दूध, दही, घी का दान करें। किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।
- खरमास में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिए। जप कम से कम 108 बार करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर, हार-फूल अर्पित करें। भोग लगाएं। दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
- हनुमान जी की पूजा में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें। गणपति जी को दूर्वा चढ़ाएं और धूप-दीप जलाकर श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें।
- श्रीकृष्ण की भक्ति करना चाहते हैं, कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। विष्णु जी के लिए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- खरमास में पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी घर पर ही तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।