Polling Stations Webcasting Election Rule; CCTV | Webcasting Videography Photography | चुनाव आयोग सभी पोलिंग स्टेशनों की वेबकास्टिंग कराएगा: अभी तक 50% सेंटर्स पर ही होती थी; बिहार चुनाव से नया नियम लागू होगा


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नई दिल्ली12 मिनट पहले

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वोटिंग प्रोसेस की निगरानी बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग (EC) अब सभी मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग करेगा। EC ने सोमवार को बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव से यह फैसला लागू किया जाएगा।

वेबकास्टिंग डेटा आयोग के इंटरनल यूज के लिए होगा। मतलब इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। अभी तक 50% पोलिंग स्टेशन की ही वेबकास्टिंग की जाती थी।

इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले इलाकों में वेबकास्टिंग की जाएगी। जिन इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है वहां वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी जैसी ऑप्शनल व्यवस्था की जा सकती है।

प्रदेश, जिला और विधानसभा सीट स्तर पर वेबकास्टिंग मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। इसकी देखरेख और निगरानी के लिए प्रत्येक स्तर पर नोडल ऑफिसर नियुक्त किए जाएंगे।

सरकार ने पिछले साल नियम बदला था

केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर, 2024 को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए नियम बदले थे

EC की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल- 1961 के नियम 93(2)(A) में बदलाव किया था। नियम 93 कहता है- “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे।”

इसे बदलकर “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज ‘नियमानुसार’ पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे” कर दिया गया था। नियम में बदलाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की याचिका लंबित है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले की वजह से बदला नियम अधिकारियों ने बताया था कि AI के इस्तेमाल से पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज से छेड़छाड़ करके फेक नरेटिव फैलाया जा सकता है। इसी कारण इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पब्लिक करने पर रोक लगाई गई।

हालांकि बदलाव के बाद भी ये रिकार्ड्स कैंडिडेट्स के लिए उपलब्ध रहेंगे। अन्य लोग इसे लेने के लिए कोर्ट जा सकते हैं।

दरअसल, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस में हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता से साझा करने का निर्देश दिया था। इसमें CCTV फुटेज को भी नियम 93(2) के तहत माना गया था।

हालांकि चुनाव आयोग ने कहा था कि इस नियम में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल नहीं है। इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए नियम में बदलाव किया गया।

EC ने कहा था- इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पब्लिक करने का नियम नहीं

EC ने हाईकोर्ट को बताया था कि नामांकन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति, रिजल्ट और इलेक्शन अकाउंट स्टेटमेंट जैसे दस्तावेजों का उल्लेख कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल में है।

आचार संहिता के दौरान उम्मीदवारों के CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते।

EC के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि पोलिंग स्टेशन की CCTV कवरेज और वेबकास्टिंग कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल के तहत नहीं की जाती, बल्कि यह ट्रांसपेरेंसी के लिए होती है।

वहीं, आयोग के एक अधिकारी ने कहा था कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां नियमों का हवाला देकर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए। संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि नियमों में बताए गए कागजात ही सार्वजनिक हों। अन्य दस्तावेज जिनका नियमों में जिक्र नहीं है, उसे पब्लिक करने की अनुमति न हो।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धोखाधड़ी CCTV फुटेज से सामने आई थी

तब के CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनाव अधिकारी अनिल मसीह का यह वीडियो देखने के बाद तल्ख टिप्पणी की थी।

तब के CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनाव अधिकारी अनिल मसीह का यह वीडियो देखने के बाद तल्ख टिप्पणी की थी।

जनवरी, 2024 में चंडीगढ़ मेयर चुनाव में चुनाव अधिकारी के बैलट पेपर से छेड़छाड़ का CCTV वीडियो सामने आया था। यह चुनाव AAP और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था।

वोटिंग के बाद चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने रिजल्ट घोषित किया। इसमें भाजपा कैंडिडेट मनोज सोनकर को 16 और AAP-कांग्रेस कैंडिडेट कुलदीप टीटा को 12 वोट मिले।

चुनाव अधिकारी ने गठबंधन कैंडिडेट के 8 वोट इनवैलिड बताए। इस पर AAP-कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मसीह ने बैलेट पर खुद निशान लगाकर इनवैलिड किया है।

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 5 फरवरी को सुनवाई में तब के CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने वह वीडियो देखा, जिसमें चुनाव अधिकारी बैलट पेपर पर क्रॉस लगाते दिख रहे थे। चंद्रचूड़ ने इस पर कड़ी टिप्पणी की थी।

कोर्ट ने 8 इनवैलिड वोटों को सही माना और गठबंधन उम्मीदवार को मेयर बनाने का फैसला सुनाया था।

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