Praising a film and not giving it an award is a double standard | आशुतोष गोवारिकर पर भड़के ‘द गोट लाइफ’ के डायरेक्टर ब्लेसी: बोले-फिल्म की तारीफ कर तकनीकी आधार पर कैसे खारिज कर सकते हैं? ये डबल स्टैंडर्ड


22 मिनट पहले

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पृथ्वीराज सुकुमारन और डायरेक्टर ब्लेसी की फिल्म ‘द गोट लाइफ’ को नेशनल फिल्म अवॉर्ड में किसी भी कैटेगरी में अवॉर्ड नहीं मिला। इस वजह से अब नेशनल फिल्म अवॉर्ड को लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।

फिल्म को लेकर चल रही कंट्रोवर्सी के बीच डायरेक्टर ब्लेसी ने ओनमनोरमा को एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने अपनी निराशा जाहिर की। साथ ही बताया कि जूरी के चेयरपर्सन आशुतोष गोवारिकर ने ‘द गोट लाइफ’ की तुलना साल 1962 में आई फिल्म ‘लॉरेंस ऑफ अरेबिया’ से की थी। आशुतोष ने पहले फिल्म की तारीफ की थी, लेकिन अब वे इसमें तकनीकी कमियां बता रहे हैं। ब्लेसी ने दावा किया कि ऑस्कर कैंपेन के दौरान मुंबई में फिल्म की स्क्रीनिंग के समय इस पर उनकी आशुतोष से बात हुई थी। उन्होंने फिल्म के बारे में बहुत अच्छी बात कही थी।

यह फिल्म, बेन्यामिन की नॉवेल पर आधारित है।

यह फिल्म, बेन्यामिन की नॉवेल पर आधारित है।

उन्होंने यह भी याद किया कि आशुतोष ने ‘द गोट लाइफ’ की तुलना ‘लॉरेंस ऑफ अरेबिया’ से की थी और कहा था कि उन्होंने उसके बाद से ‘रेगिस्तान को इतनी खूबसूरती से दिखाते कोई फिल्म नहीं देखी। ब्लेसी ने कहा, ‘अगर किसी ने पहले ही फिल्म की इतनी डिटेल में तारीफ की है, फिर वो इसे तकनीकी आधार पर कैसे खारिज कर सकते हैं? ये डबल स्टैंडर्ड जैसा लगता है।’ फिल्ममेकर ने यह भी दावा किया कि उन्हें आशुतोष के साथ लंच के लिए इनवाइट किया गया था, जिसे उन्होंने पहले से किए गए कमिटमेंट की वजह से मना कर दिया था।

बता दें कि जूरी में एकमात्र मलयाली प्रतिनिधि प्रदीप नायर ने भी ओनमनोरमा से इस पर बात की थी। उन्होंने इंटरव्यू में खुलासा किया कि ब्लेसी निर्देशित फिल्म असल में पुरस्कार की दौड़ में थी, लेकिन फाइनल डिस्कशन में वो पीछे छूट गई।

ब्लेसी मलयालम इंडस्ट्री में काम करते हैं। उन्होंने एक नेशनल फिल्म अवॉर्ड, 3 फिल्मफेयर और 9 केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड मिल चुका है।

ब्लेसी मलयालम इंडस्ट्री में काम करते हैं। उन्होंने एक नेशनल फिल्म अवॉर्ड, 3 फिल्मफेयर और 9 केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड मिल चुका है।

‘द गोट लाइफ’ के बारे में प्रदीप नायर ने बताया था कि जूरी के चेयरपर्सन और फिल्ममेकर आशुतोष गोवारिकर को ब्लेसी निर्देशित फिल्म की कहानी और एक्टिंग को लेकर चिंता थी। जूरी के अध्यक्ष आशुतोष गोवारिकर ने गोवा में आयोजित पिछले फिल्म समारोह में यह फिल्म देखी थी और उन्हें फिल्म के एडॉप्टेशन और एग्जीक्यूशन पर गंभीर चिंताएं थीं। उन्होंने बताया, ‘गोवारिकर और अन्य लोगों को भी लगा कि एडॉप्टेशन में नैचुरल नहीं है और परफॉर्मेंस भी प्रामाणिक नहीं लगता।’

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