Rajasthan School Collapse Accident; Students Death | Jhalawar Aklera | स्कूल की मरम्मत के लिए गांववालों से मांगे थे रुपए: 4 साल से जर्जर थी बिल्डिंग, किसी ने नहीं सुना; 7 मौतों का जिम्मेदार कौन – akrela News

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झालावाड़ का पिपलोदी गांव। राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में सुबह 7:30 बजे घंटी बजी। हंसते-खेलते बच्चे मैदान में पहुंचे। बारिश हो रही थी तो शिक्षकों ने कहा- कमरे में चलो, वहीं प्रार्थना होगी।

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20 मिनट में सब बच्चे कमरे में आ गए। प्रार्थना शुरू ही की थी कि छत से चूना-कंकड़ गिरने लगा। पानी टपकने लगा। बच्चों ने बोला- सर, कंकड़ गिर रहे हैं, शिक्षकों ने ध्यान ही नहीं दिया।

…और फिर भरभराकर छत गिर गई। बच्चों की चीख निकल पड़ी। बचने के लिए भागे, लेकिन कहां भागते, छोटा सा दरवाजा था। भारी भरकम पटि्टयां सिर पर गिरी, एक के बाद एक बच्चे गिरते गए, दम तोड़ते गए। हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई और 28 घायल हो गए।

मौके पर पहुंचे भास्कर रिपोर्टर ने हालात देखे और हादसे के पीछे की हकीकत जानने की कोशिश की? इस स्कूल की हालत इतनी खराब थी कि बाकी 6 कमरे भी कभी भी गिर सकते थे। दीवारों पर सीलन आई हुई थी। कमरों-छत में दरारें थी। बारिश के सीजन में लगातार पानी टपकता था। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

बच्चों के शव को झालावाड़ अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया ।

बच्चों के शव को झालावाड़ अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया ।

चार साल से टपक रही थी स्कूल की छत अस्पताल में भर्ती बच्चों और उनके पेरेंट्स से बातचीत में सामने आया कि स्कूल की छत आज से नहीं, चार साल से टपक रही थी। बच्चों से लेकर पेरेंट्स तक इसकी शिकायत कर चुके थे, लेकिन किसी ने नहीं सुना। हद तो तब हो गई, जब स्कूल के शिक्षकों ने पेरेंट्स से ही कह दिया कि हर घर से दो सौ रुपए इकट्‌ठे कर लो, स्कूल की छत डलवा देंगे।

गांव वालों का कहना है कि हमने पैसे जुटा कर छत की मरम्मत भी करवाई।

स्कूल परिसर की जर्जर हालात की फोटोज…

स्कूल के अधिकांश कमरों की हालात जर्जर अवस्था में है।

स्कूल के अधिकांश कमरों की हालात जर्जर अवस्था में है।

स्कूल की दीवारों पर सीलन आई हुई थी।

स्कूल की दीवारों पर सीलन आई हुई थी।

स्कूल की जर्जर दीवारों को दुरुस्त नहीं कराया गया था।

स्कूल की जर्जर दीवारों को दुरुस्त नहीं कराया गया था।

अब जानिए- किसने क्या कहा?

बच्चे विक्रम के पिता बाबूलाल ने बताया- हमने खूब शिकायत की। स्कूल के टीचर गांववालों से पैसा इकट्‌ठा कर छत ठीक कराने को बोलते थे। हमने कहा- जब आप नौकरी कर रहे हो। पैसा आ रहा है तो मरम्मत क्यों नहीं करवाई। आप अपने बच्चों के लिए महल बनाते हो, हम गरीबों के लिए टूटी हुई स्कूल। आपके कांटा भी लग जाता है तो दर्द होता है कि मेरे बच्चे के कांटा लग गया। छत तो डलवानी चाहिए थी न।

8वीं क्लास की छात्रा टीना ने बताया- एक ही कमरे में स्कूल के सभी कक्षा के बच्चों को बैठाया हुआ था। कुछ बच्चों ने बताया था कि छत से कंकड़ गिर रहे थे। टीचर जावेद को बच्चों ने बोला तो उन्होंने कहा कि कुछ नहीं होगा, चुपचाप बैठे रहो। थोड़ी ही देर में क्लास के एक कोने से तेज आवाज के साथ छत का हिस्सा गिरा। आवाज सुनकर मैं बाहर भागी। मेरे साथ बैठे कुछ बच्चे ही बाहर आए थे कि पूरी छत ही गिर गई और सारे बच्चे उसी के नीचे दब गए।

वीडीओ ने कहा- 4 साल पहले ग्राम पंचायत ने मरम्मत कराई थी ग्राम विकास अधिकारी दौलत गुर्जर ने बताया-चार साल पहले इस स्कूल की मरम्मत के लिए लेटर आया था। ग्राम पंचायत ने इसकी मरम्मत करवाई थी। लोगों की ओर से पैसे लेने के आरोप पर वे बोले- किसी से दान नहीं लिया गया।

गांव के ही खुशांग शर्मा बताते हैं- स्कूल की छत जर्जर थी। पहले 15 अगस्त और 26 जनवरी पर स्कूल में आए दान के पैसों से हमने स्कूल की मरम्मत करवाई थी।

कलेक्टर अजय सिंह की मानें स्कूल प्रबंधन ने कभी बिल्डिंग के जर्जर होने की सूचना ही नहीं दी। हम कोशिश करेंगे कि भविष्य में ऐसी कोई घटना नहीं होगी।

घटना के बाद मौके पर पहुंचे कलेक्टर अजय सिंह ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें सूचना नहीं थी कि स्कूल जर्जर है।

घटना के बाद मौके पर पहुंचे कलेक्टर अजय सिंह ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें सूचना नहीं थी कि स्कूल जर्जर है।

दिलावर बोले- मैं शिक्षा मंत्री हूं तो जिम्मेदार मैं ही हूं… शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से भास्कर रिपोर्टर ने जब पूछा- इस घटना की जिम्मेदारी किसकी थी, तो शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया कि मैं शिक्षा मंत्री हूं तो जिम्मेदार मैं ही हूं…। मैं ये कहूं..इसकी जिम्मेदारी थी या किसी और की तो ये मेरी ही जिम्मेदारी है।

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