4 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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राजकुमार राव फिल्म ‘मालिक’ के जरिए जल्द ही एक नए अवतार में नजर आने वाले हैं। ये पहली बार होगा, जब वो गैंगस्टर के रोल में दिखेंगे। साथ ही, पर्दे पर एक्शन करते नजर आएंगे। इस फिल्म में उनके अपोजिट पूर्व मिस वर्ल्ड और एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर नजर आने वाली हैं। मानुषी के लिए भी ये फिल्म अब तक उनके किए गए फिल्मों से अलग है।
इस फिल्म में वो डी ग्लैम लुक में ऑडियंस के सामने आने वाली हैं। राजकुमार और मानुषी ने फिल्म और किरदार के प्रोसेस पर दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है।
राजकुमार,’मालिक’ में आपका किरदार बहुत इंटेंस दिख रहा है। इस रोल के लिए आपका क्या प्रोसेस रहा है?
इसका प्रोसेस बाकी फिल्मों से अलग था। किरदार के लिए फिजिकल अपीयरेंस चेंज करना था। इसके अलावा इस किरदार के अंदर जो पावर थी, उसे शूट खत्म करने तक अपने अंदर बरकरार रखना था। मालिक बहुत दबंग और निर्भीक आदमी है। वो दुनिया में किसी से नहीं डरता है। उस भावना को अपने अंदर बनाए रखना, ये मेरा प्रोसेस था। हर पल किरदार के कोर को पकड़कर चलना था। ये वो इंसान है, जो अपने नियम खुद बनाता है। उसे जो फॉलो करना है करता है और नहीं मन होता तो नहीं करता है।

राजकुमार पहली बार गैंगस्टर के रोल में दिखेंगे।
असल जिंदगी में आप काफी अलग हैं। ‘मालिक’ के किरदार और आपके बीच कोई समानता है?
हमारे बीच बस एक ही समानता है। जैसे मालिक अपनी पत्नी शालिनी को बहुत प्यार करता है। मैं भी अपनी वाइफ पत्रलेखा से बहुत मोहब्बत करता हूं। इसके लिए अलावा मैं निर्भय हूं। स्कूल के दिनों में तो काफी निर्भीक था। लेकिन जब लगा कि एक्टर बनना है, फिर लाइफ में थोड़ा फोकस करना पड़ा।
मानुषी, आपको इस फिल्म में ऐसा क्या नजर आया, जिसकी वजह से आपने हां बोला?
मैं ये किरदार करना चाहती थी। बहुत कम रोल होते हैं, जो लड़कियों के हिसाब से लिख जाते हैं। बतौर एक्टर मुझे खुद को साबित करना था। मुझे अपने आपको चैलेंज देना था। मैं जानती थी कि मालिक का मेरा किरदार मुझे मेरी मंजिल तक ले जाएगा। पुलकित एक बहुत अच्छे डायरेक्टर हैं। उन्होंने फिल्म को बहुत क्लैरिटी के साथ लिखी है, जो आपको पढ़ के समझ आती है। इस फिल्म से जितने लोग जुड़े हैं, मैं उनके साथ काम भी करना चाहती थी। कहीं न कहीं अंदर से मेरी चाहत थी कि मैं इस फिल्म को करूं और सौभाग्य से उन्होंने मुझे ही चुना।
मानुषी ‘मालिक’ एक मेल डॉमिनेटिंग फिल्म है। फिल्म में गैंगस्टर की कहानी और एक्शन है। ऐसे में आपने अपने रोल के लिए क्या प्रोसेस अपनाया?
मैं जब इस रोल के लिए तैयारी कर रही थी, तब मैंने डायरेक्टर के साथ काफी समय बिताया। हम साथ बैठकर इस रोल की तैयारी करते थे। हमारा फोकस किरदार पर होता था कि ये क्या और क्यों कर रहा है? मैंने अपनी तैयारी शालिनी के रोल पर फोकस करके किया। जैसा कि आपने कहा कि गैंगस्टर की कहानी है तो पुरुषों की एक दुनिया बन जाती है। ऐसे में मेरा फोकस उस दुनिया को छोड़, मेरा कैरेक्टर क्या और क्यों कर रहा है? उसका बाकी किरदारों के साथ क्या संबंध हैं, इस पर रहा। और फिर जब आप सेट पर जाते हैं, तो बाकियों के साथ ऑटोमैटिक तालमेल बन जाता है।

मानुषी ने साल 2022 में अक्षय कुमार के अपोजिट अपने करियर की शुरुआत की थी।
आप दोनों ही हरियाणा से आते हैं। राजकुमार से क्या सीखा, कैसी बॉन्डिंग रही? हरियाणवी में कोई बातचीत हुई?
मानुषी- हरियाणवी में हमसे सबसे ज्यादा पुलकित ने बातचीत की है। राजकुमार टैलेंटेड, अच्छे और एक प्रोफेशनल एक्टर हैं, ये बात मैं पहले से जानती थी। इनके साथ काम करके मुझे बहुत मजा आया। मैं इनके साथ और काम करना चाहूंगी। बतौर को एक्टर आप इनसे बहुत कुछ सीखते हैं। सेट पर काफी मदद करते हैं। मुझे इनकी एक बात बेहद पसंद आई कि अगर इन्हें लगता है कि इनके कुछ करने से मेरा परफॉर्मेंस बेहतर होगा तो वो बिना पूछे मदद करते हैं।
इनका ये बिहेवियर सिर्फ मेरे साथ नहीं था। डायरेक्टर, तकनीशियन सबकी हेल्प करते हैं। जब आपको शूटिंग में मजा आता है फिर उसका असर स्क्रीन पर आपके परफॉर्मेंस और प्रोडक्ट में भी दिखता है। कई बार हम सिर्फ अपनी परफॉर्मेंस पर फोकस करते हैं। लेकिन मैंने राजकुमार से सीखा कि ये एक टीम वर्क होता है। हमें सलाह लेने या देने में झिझकना नहीं चाहिए।
इस फिल्म का एक डायलॉग है कि पैदा नहीं हुए लेकिन बन तो सकते हैं। असल जिंदगी में कभी ऐसा मौका आया है, जब इस डायलॉग की बोलना पड़ा हो?
राजकुमार- नहीं, किसी को दिखाने या बताने के लिए तो कभी कुछ नहीं किया है। ऐसा कोई मौका भी नहीं आया कि बोलना पड़ा हो कि एक दिन तू देखना। मैंने एक्टिंग कभी किसी को प्रूव करने के लिए नहीं किया था। मुझे इस आर्ट फॉर्म से प्यार हो गया था। थियेटर करना शुरू किया था। बचपन में ही फिल्मों से मोहब्बत हो गई थी। उसी वक्त तय कर लिया था कि बड़े होकर मुझे भी यही करना है। एक्टिंग में आने के लिए जो भी किया, वो खुद के लिए ही था। मैंने अपनी खुशी के लिए एक्टिंग चुना था।
मानुषी- फिल्म का ये जो डायलॉग है, बड़ा यूनिवर्सल है। इस डायलॉग के पीछे, जो विचार है, वो हमेशा से अंदर रहा है। ऐसा नहीं है कि मुझे किसी से स्पेशली कहा। जिस तरह से मेरी परवरिश ऐसी हुई है, मुझे हमेशा सिखाया गया कि आप लाइफ में जो भी करना चाहती हैं, वो कर सकती हैं। मुझे कभी जरूरत नहीं पड़ी कि मैं किसी को साबित करूं, या कहूं कि देखो मैं करके दिखाऊंगी। ये मेरी लाइफ है। अगर मैंने किसी को प्रूव करने के लिए फैसला लिया तो वो मेरी नहीं, उनकी लाइफ हो जाएगी। मैंने जो भी फैसला किया, अपने लिए ही लिया है। एक्टर बनने के बाद भी अगर मैं कुछ प्रूव करना चाहती हूं तो खुद को करना चाहती हूं।

मानुषी और राजकुमार पहली बार स्क्रीन पर साथ दिखेंगे।
इस तरह की फिल्मों में इंटेंसिटी बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में किरदार से निकलने में कितनी मुश्किल आती है?
राजकुमार- मेरे लिए किरदार से निकलना उतना मुश्किल नहीं होता, जितना उसे समझना और उसमें जाने में होता है। किरदार से निकलना तो आसान होता है। एक बार जब आप फिजिकल अपीयरेंस या उस दुनिया से निकल जाते हैं, फिर निकलने में आसानी होती है। इस रोल को निभाने में मेरे लिए चैलेंजिंग था कि कैसे मैं इसे ह्यूमन रख पाऊं। मेरे किरदार में स्वैग,स्टाइल है। बहुत सारा एक्शन है। डायलॉग बाजी भी अच्छी है। इन सबके बाद, जब लोग उसे देखें तो उन्हें इस किरदार पर यकीन हो। उन्हें यकीन हो कि असल में ऐसा इंसान हो सकता है। मेरी कोशिश थी कि मैं इस किरदार को इतना ह्यूमन बना पाऊं कि जब वो गुस्सा हो तो ऑडियंस को लगे कि वो सच में गुस्सा हो रहा है। जब वो रोये तो आप भी उसके साथ रोएं। उसकी खुशी में आप खुश हों। बस यही चैलेंज था।
मानुषी- शुरुआत में इस रोल के लिए एफर्ट लगाना मेरे लिए चैलेंजिंग रहा। रोल समझने के बाद एक समय ऐसा आता है कि आप किरदार की तरह जीने लगते हैं। लेकिन शुरुआत में हर चीज के लिए एफर्ट लगाना होता है। आप एक्टिंग कर रहे हैं, ये स्क्रीन पर दिखना नहीं चाहिए। शूट के दौरान कभी छुट्टी हुई तो मैं घर जाती थी। इस दौरान मैं काम के बारे में सोचती हूं। नया क्या कर सकती हूं, इसके बारे में सोचती हूं लेकिन किरदार लेकर घर नहीं जाती थी। मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ कि किरदार का इमोशन लेकर घर गई हूं।
अब तक आपने काफी ग्लैमरस रोल किए हैं। इस फिल्म में आप नो मेकअप लुक में दिख रही हैं। क्या आपके लिए ये चैलेंजिंग रहा?
मैं हमेशा ग्लैमरस दिखूंगी, ऐसी फीलिंग मेरे अंदर कभी नहीं थी। बाद में कहीं ना हीं आदत हो जाती कि जब आप कैमरे के सामने हैं तो एक अलग रूप में होते हैं। इस फिल्म में हमारे डायरेक्टर ने मेरे डी ग्लैम लुक को और ज्यादा डी ग्लैम कर दिया। मुझे अब तक लगता था कि मेरे अंदर डी ग्लैम लुक को लेकर कोई झिझक नहीं है लेकिन एक दिन मैंने इस पर रिएक्ट किया। मैंने डायरेक्टर से पूछा कि क्या ऑडियंस ऐसे एक्सेप्ट कर लेगी? उन्होंने मुझे समझाया कि अगर मैं ऐसी नहीं दिखूंगी तो मैं मालिक की दुनिया का हिस्सा नहीं लगूंगी। इस फिल्म के सेट पर मुझे काम करने में इसलिए मजा आया क्योंकि मैं सिर्फ कैरेक्टर की लाइफ जी रही थी। मैं लुक के बारे में ज्यादा सोच नहीं रही थी।

राजकुमार, आपको मालिक बनने या राजनीति में आने के क्या फायदे नजर आते हैं?
देखिए, फिल्म वाला मालिक बनने के फायदे ये हैं कि आपको किसी की सुननी नहीं पड़ेगी। हर तरफ आपका राज है। हालांकि, इसमें रिस्क भी बहुत है। बतौर मालिक कहूंगा कि बहुत ही निर्भीक जीवन होता है। बतौर राजकुमार मैं कहूंगा कि आप ऐसा बिल्कुल ना करें।
मानुषी, इतने पावरफुल इंसान की बीवी होने के क्या फायदे हैं?
अगर लोग उनसे डरेंगे तो आपसे भी डरेंगे। जैसा कि राजकुमार ने कहा कि इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है, तो मैं कभी नहीं चाहूंगी कि मुझे ऐसा पार्टनर मिले। अगर आपके पार्टनर की लाइफ में इतना रिस्क और हेडेक होगा तो वो चीजें घर तक भी आती हैं।
राजकुमार, शूटिंग के दौरान सेट पर कैसा माहौल था?
जब बहुत ज्यादा ड्रमैटिक सीन होता था तो सेट पर सब फोकस्ड होते थे। वरना ऑफ स्क्रीन सेट का माहौल बहुत लाइट होता था। दो महीने हम सब परिवार की तरह एक साथ रहे। जब भी लेट शूट होना होता या ऑफ होता था, तब हम सब साथ बैठते थे। हम सब साथ में खाना खाते और हंसते-बोलते थे।

सेट से जुड़ा कोई यादगार पल जो आप दोनों बताना चाहते हैं?
राजकुमार- मेरे ख्याल से आखिरी दिन सबसे मुश्किल होता है। जब आप अच्छी फिल्म करते थे, तब आखिरी दिन बहुत मुश्किल होता है। हम सबने साथ मिलकर कुछ बनाया है और अब उससे दूर जाना है। ऐसे में वो दिन बहुत इमोशनल होता है।
मानुषी- मैं भी राजकुमार की बात से सहमत हूं। क्योंकि हम सबके साथ एक जर्नी जी रहे होते हैं। दूसरा कि इस फिल्म की शूटिंग के लिए हम मुंबई में भी नहीं थे। हम सब लखनऊ में शूट कर रहे थे। ऐसे में एक-दूसरे की आदत हो जाती है। रोज सुबह उठो और सेट पर जाओ, सबसे मिलो। आखिरी दिन थोड़ा तो बुरा लगता है।