Ritesh Deshmukh spoke on playing the villain in Raid-2 | ‘रेड-2’ में विलेन के किरदार पर बोले रितेश देशमुख: फिल्म में दिखेगा अलग रूप, करियर के 12 साल एक जैसे रोल करने में निकल गए

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20 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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अजय देवगन की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘रेड-2’ एक मई को थियेटर में लग चुकी है। इस फिल्म में अजय का सामना रितेश देशमुख से होने वाला है। ‘रेड-2’ फिल्म साल 2018 में आई फिल्म ‘रेड’ का सीक्वल है। डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता की इस ड्रामा थ्रिलर मूवी में वाणी कपूर और सौरभ शुक्ला भी नजर आएंगे।

एक्टर रितेश देशमुख और डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता ने दैनिक भास्कर से फिल्म को लेकर खास बातचीत की है।

सवाल- रितेश, आपने हर जॉनर की फिल्में की हैं। आपके फैंस को लगता है कि आप अंडर रेटेड एक्टर हो। क्या कहेंगे?

मैं 22 साल से इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं। शुरुआत के 10-12 साल एक ही तरह के रोल और फिल्मों को करने में चले गए। उस वक्त सोचता था कि कभी ऐसा समय भी आएगा जब लोग कहेंगे कि ये कॉमेडी छोड़कर कुछ और भी कर सकता है। जब राजकुमार जी जैसे डायरेक्टर आपको इतने बेहतरीन रोल में सोचते हैं और फिर कास्ट करते हैं, ऐसे में ऑडियंस से तारीफ मिलती है तो अच्छा लगता है।

मुझे लगता है कि मेरे अंदर कॉमेडी से अलग भी कुछ है। हालांकि, मैं कॉमेडी बहुत पसंद करता हूं लेकिन किसी भी चीज से ज्यादा मुझे एक्टिंग पसंद है।

सवाल- रितेश आपकी एक्टिंग पानी के जैसे है, जिस बर्तन में डाल दो, वैसा ही आकार ले लेता है।

इस तारीफ के लिए शुक्रिया। मेरा मानना है कि मेरी पर्सनैलिटी ऐसी है, जो माहौल होता है, उसमें घुलमिल जाता हूं। अगर मेरे डायरेक्टर राज हैं, तो मैं उनके जैसा होना पसंद करता हूं। उनकी दुनिया में ढल जाता हूं। अगर मैं इंद्र कुमार के सेट पर हूं तो मैं उनके जैसा बन जाता हूं। मैं अपने जैसा तब होता हूं, जब मैं अपनी फिल्मों में काम करता हूं।

सवाल- राजकुमार, ‘रेड-2’ आपके लिए क्या है और इसे बनाने में इतना समय क्यों लगा?

फिल्म का कोई टाइम-टेबल नहीं होता है। टाइम इसलिए लगा कि मुझे ऐसी कहानी चाहिए थी, जो ‘रेड’ की कहानी को आगे ले जाने में सक्षम हो। कहानी के स्क्रीन प्ले और नेरेशन पर मेहनत हुई इसलिए भी टाइम लगा। अजय सर और रितेश जैसे एक्टर को एक साथ कास्ट करने और एक-दूसरे के खिलाफ दिखाने के लिए एक मजबूत कहानी की जरूरत थी। किरदार और कहानी ऐसी होनी चाहिए थी कि जब ऑडियंस देखे तो उन्हें भी मजा आया। इन सबकी वजह से इस फिल्म को लाने में समय लगा। मेरे लिए ‘रेड-2’ के मायने एक अच्छी कहानी और अच्छे पात्र हैं।

सवाल- आप रितेश को दादा भाई के किरदार के लिए कास्ट करते समय क्या सोच रहे थे?

देखिए, जैसा रितेश ने कहा कि वो 22 साल से काम कर रहे हैं। इन्होंने अलग-अलग किरदार निभाए हैं और एक मंझे हुए कलाकार हैं। रितेश बहुत सिंपल और नैचुरल हैं। डायरेक्टर इन्हें जिस भी किरदार में ढालना चाहता तो ये ढल जाते हैं। कॉम्लेक्स रोल को भी ये जिस सिंपलिसिटी के साथ निभाते हैं, वो अपने आप में कमाल है। मैंने दादा मनोहर भाई का किरदार बनाते समय रितेश की इन्हीं बातों को ध्यान में रखा।

इनके साथ ऐसा नहीं है कि किरदार के लिए घंटों प्रैक्टिस करेंगे। मैंने इनके साथ ‘रेड-2’ से भी पहले एक सीरीज में काम किया था। मैंने उस वक्त देखा कि सेट पर हम सब हंसी- मजाक करते रहते थे और जैसे ही कैमरा ऑन होता था, ये अपने किरदार में घुस जाते थे। तभी मैंने सोचा था कि मेरे पास कोई ऐसा किरदार हुआ जिसके लिए रितेश को अप्रोच किया जाना चाहिए, तो मैं जरूर करूंगा। ‘रेड-2’ के समय ऐसा ही हुआ। मुझे पर्सनली ऐसा लगा कि रितेश इस किरदार को बहुत अच्छे से निभाएंगे और इसे एक अलग लेवल पर लेकर जाएंगे।

सवाल-रितेश, आपको इस किरदार में क्या अच्छा लगा था?

मैं सबसे पहले ये देखता हूं कि कहानी कहना क्या चाहती है। दूसरा कि इसे बना कौन रहा है। एक तो कहानी बहुत अच्छी थी और राजकुमार जी इस फिल्म को बना रहे थे। मुझे ऐसे रोल में किसी ने पहले देखा नहीं है। हालांकि, जब मैंने ‘एक विलेन’ किया था, तब उसमें मेरा किरदार एक कॉमन मैन का होता है। जो भीड़ में खोने वाला इंसान था। अगर वो कहीं भीड़ में खड़े हो तो आपको उसमें कोई खास बात नहीं दिखेगी। लेकिन ‘रेड-2’ का मेरा किरदार ऐसा है कि जब ये इंसान कहीं खड़ा होगा तो वहां भीड़ इकट्ठा होगी।

दादा मनोहर भाई की पर्सनैलिटी इतनी डायनेमिक है। ये एक सेल्फ मेड पॉलिटिकल लीडर है, जो रास्ते से शुरुआत करता है और केंद्रीय मंत्री बनता है। कई दफा पावर डर की वजह से होती है। लेकिन दादा भाई की खासियत ये है कि इनकी पावर लोगों के प्यार और इज्जत की वजह से होती है। जब लोग इस तरह से प्यार करते हैं, फिर उस पावर की बात ही अलग होती है। मुझे लगा कि दादा मनोहर भाई कि किरदार में ताकत है और एक समय के बाद जिस तरह से फिल्म में वो उस पावर को यूज करना शुरू करता है। वो डरावना हो सकता है।

सवाल- आप एक पॉलिटिकल फैमिली से आते हैं। इस रोल के लिए निजी अनुभव कितना काम आया?

इस फिल्म में मेरा जो किरदार है, वो काफी अलग है। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि कैरेक्टर में निजी अनुभव कोई काम आया। हां,लोगों के बीच एक पॉलिटिकल लीडर कैसे रहता है, पब्लिक स्पीच के दौरान क्या माहौल होता है ये सब मुझे पता था। मुझे पता है कि बैकस्टेज क्या होता है, स्टेज पर पहुंचने के बाद क्या होता है और स्पीच के बाद जब आप लोगों के बीच जाओ तो क्या बातें होती हैं। मंत्रालय के कॉरिडोर में अगर चल रहे हैं, तो आसपास क्या बातें होती हैं, ये पता है मुझे।

मैंने इन चीजों को नजदीक से देखा है। फिल्म में जब ऐसे सीन्स फिल्माए जा रहे थे, तब मेरा ये अनुभव काम आया। मैं भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे अलग-अलग पार्टी के बहुत सारे नेताओं से मिलने का मौका मिला है। उन सबका अपने तौर-तरीका और स्वैग है। कोई पब्लिक स्पीकिंग में अच्छा है तो किसी में ठहराव है और किसी में सादगी। इस रोल के लिए मैंने कई सारे लीडर्स के कैरेक्टर से कुछ ना कुछ लिया है। लेकिन मैं ऐसा नहीं कह सकता है कि मैंने जो किरदार किया है, वो हूबहू किसी से मिलता है।

सवाल- राजकुमार, आप ओरिजनल कहानी के लिए जाने जाते हैं लेकिन आपकी फिल्म में दो ऐसे स्टार्स हैं, जो हिट फ्रेंचाइजी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।

ऐसा नहीं है। अजय और रितेश दोनों ने फ्रेंचाइजी के अलावा भी फिल्में की हैं। हां, इनकी फ्रेंचाइजी हिट रही है। हमारी इंडस्ट्री ऐसी है कि गारंटी किसी भी चीज की नहीं होती है। ‘रेड-2’ सीक्वल है लेकिन इसकी कहानी ओरिजनल ही है। हमने पहली फिल्म के किरदारों को इसमें आगे बढ़ाया है। किरदारों के इर्द-गिर्द जो दुनिया है, वो ओरिजनल ही है। अगर ऑडियंस फ्रेंचाइजी या ओरिजनल फिल्म समझकर देखने आती है तो इससे अच्छी बात क्या होगी। आखिरकार हम सब यही चाहते हैं कि ऑडियंस आए और फिल्म को देखे।

सवाल- आप दोनों के पास सेट की कोई यादें हैं, जो आप शेयर करना चाहेंगे?

रितेश- मेरे लिए इस फिल्म में दो सीन काफी इमोशनल रहा है। दादा भाई का अपनी मां के साथ जो रिश्ता है, वो मेरे लिए बहुत ज्यादा अहमियत रखता है। हालांकि, फिल्म उस रिलेशनशिप पर आधारित नहीं है। लेकिन उसकी जो नींव है, वो रिलेशनशिप से बंधी है। आप जब फिल्म देखेंगे तो समझ पाएंगे कि मैं क्या बात कर रहा हूं।

राजकुमार- जब आप 60-70 दिन साथ काम करते हैं तो बहुत सारे इमोशनल मोमेंट बन जाते हैं। कभी किसी का परफॉर्मेंस होता है, कभी कोई आ रहा या कोई सीन हो गया। इस हिसाब से बहुत यादें हैं। ऐसे में किसी एक बताना थोड़ा अनफेयर होगा।

सवाल- आखिर में, अजय देवगन के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा है। क्या वो सेट पर भी इतने ही सीरियस होते हैं?

रितेश- मुझे नहीं पता आप किस सेट की बात कर रहे हैं। अजय मेरे साथ तो कभी सीरियस नहीं रहे हैं। मैं और अजय सेट पर हंसी-मजाक करते रहते हैं। हम दोनों पिछले 20 साल एक साथ काम कर रहे हैं। हमारी साथ में चौथी या पांचवी फिल्म है। मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूं और वो मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। मैंने ऑन सेट और ऑफ सेट उनके साथ खूब सारा समय बिताया है।

अजय एक ऐसे एक्टर हैं, जो बिल्कुल ही इनसिक्योर नहीं हैं। कई बार कुछ स्टार फिल्म को अपनी दृष्टिकोण से देखते हैं लेकिन अजय उन दुर्लभ एक्टर्स में हैं, जो पहले फिल्म को देखते हैं। फिर वो अपने आप को स्टार नहीं किरदार मानते हैं। फिल्म के एक सीन में दादा भाई अमय पटनायक की धज्जियां उड़ाता है, उस सीन में अजय अमय ही थे। उन्होंने उसमें वैसे ही एक्सप्रेशन दिए। वो खुद को फिल्म से बड़ा नहीं मानते हैं। ये उनकी खूबी है।

राजकुमार- मैं आपको अजय के प्रैंक का एक किस्सा बताता हूं। हम लोग होली के पहले शूट कर रहे थे। उस दिन कोई सेट पर गुझिया बांट रहा था। उस दिन मेरी वाइफ भी सेट पर थीं। मैं और अजय सीन की बात कर रहे थे। तभी कोई गुझिया लेकर हमारी तरफ आया। अजय ने मुझसे कहा कि ये तुम मत खाना। फिर उन्होंने मुझे बताया कि मेरी वाइफ ने दो गुझिया खा लिया है और वो हंसे जा रही है। मुझे बाद में पता चला कि उसमें कुछ मिला हुआ था।

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