Rouse Avenue Court Issues Notice to Robert Vadra in Gurugram Land Deal Money Laundering Case | गुरुग्राम लैंड डील, रॉबर्ट वाड्रा को कोर्ट का नोटिस: ED चार्जशीट पेश कर चुकी; साढ़े 7 करोड़ की जमीन 58 करोड़ में बेचने का आरोप – gurugram News


गुरुग्राम के शिकोहपुर में जमीन खरीद मामले को लेकर रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी किया गया है। – फाइल फोटो

हरियाणा में गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में जमीन सौदे और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा समेत अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस अगली सुनवाई से पहले आरोपि

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शनिवार की सुनवाई में विशेष न्यायाधीश सुशांत चंगोत्रा ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की दलीलें सुनने के बाद आरोपियों को नोटिस भेजा। बता दें कि ED ने हाल ही में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपपत्र दायर किया था। उन पर साढ़े 7 करोड़ में खरीदी जमीन 58 करोड़ में बेचने का आरोप है।

अदालत ने ED को सभी आरोपियों को आरोपपत्र की एक प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया। इस पेशी में विशेष लोक अभियोजक (SPP) नवीन कुमार मट्टा, मोहम्मद फैजान और विशेष वकील जोहेब हुसैन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए।

कोर्ट में ED ने ये दलीलें दीं…

  • अपराध से हुई आय का इस्तेमाल जमीन खरीदने में किया: इस मामले में 24 जुलाई को ED ने कहा था कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है। ED ने अभियोजन पक्ष की शिकायत पर कहा कि अपराध से हुई आय का इस्तेमाल जमीन खरीदने में किया गया। ED ने यह भी कहा कि सबूतों से साफ होता है कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का है। ED ने कहा कि हमने मनी फ्लो, एसेट्स और गवाहों के बयान पेश किए हैं। जांच के दौरान, अपराध की आय का स्रोत और भूमि सौदे में झूठे बयान पाए गए हैं।
  • कंपनी ने खरीदफरोख्त में झूठे दावे किए: शिकायत के मुताबिक, स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने 3 एकड़ जमीन खरीदी, जिसका दाम करोड़ों में है। बिक्री डॉक्यूमेंट्स में झूठी घोषणाएं थीं कि 7.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था, जबकि कोई पैसा नहीं दिया गया था। स्टाम्प शुल्क से बचने के लिए इसे बाद में भुगतान किया गया था। ED के विशेष वकील की ओर से पेश गवाह ने इसकी पुष्टि की।
  • वाड्रा की कंपनी के माध्यम से किया गया अपराध: वकील जोहेब हुसैन ने आरोप लगाया कि सबसे पहले स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के माध्यम से क्राइम किया गया, जिसके 99 प्रतिशत शेयर वाड्रा के पास हैं। स्काई लाइट ने चेक देकर लगभग 3 एकड़ जमीन खरीदी, जिसकी कीमत साढ़े 7 करोड़ रुपए दिखाई, लेकिन इस चेक को कभी भुनाया नहीं गया। यह जमीन बाद में DLF को ज्यादा कीमत पर बेच दी गई। ईडी ने कहा कि इस हिस्से की अभी भी जांच की जा रही है।
  • लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ: ED के मुताबिक, गवाहों ने अपने बयान में कहा कि लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया का पालन किए बिना जल्दबाजी में मंजूरी दी गई। विशेष वकील ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के निदेशक सत्यानंद याजी के बयान का भी हवाला दिया। कहा कि सत्यानंद याजी ने जानबूझकर घोटाले में सहायता की। ED ने कहा कि जुलाई 2025 तक यानी अंतिम कुर्की तक मनी लॉन्ड्रिंग चलती रही और आज भी जारी है।
  • केस में वाड्रा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार: एजेंसी ने कहा- हमने धारा 70 का भी इस्तेमाल किया है, क्योंकि जिन कंपनियों में PoC गया है, वे सभी 98% या 99% वाड्रा के स्वामित्व में हैं। इसलिए, अपनी व्यक्तिगत भूमिका के अलावा इनडायरेक्टली भी जिम्मेदार हैं। ED के मुताबिक, 17 जुलाई 2025 को दर्ज की गई शिकायत में 11 व्यक्तियों और संस्थाओं को आरोपी बनाया गया है, जिनमें वाड्रा, उनकी कंपनी मेसर्स स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, सत्यानंद याजी और केवल सिंह विर्क शामिल हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए पूरा मामला…

  1. साल 2008 का मामला, 2018 में FIR हुई: यह मामला सितंबर 2008 का है, जो गुरुग्राम के शिकोहपुर (अब सेक्टर-83) लैंड डील से जुड़ा हुआ है। इस केस में रॉबर्ट वाड्रा के साथ हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ और एक प्रॉपर्टी डीलर के खिलाफ साल 2018 में FIR दर्ज की गई थी। FIR में भ्रष्टाचार, जालसाजी और धोखाधड़ी सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं।
  2. साढ़े 7 करोड़ में खरीदी साढ़े 3 एकड़ जमीन: वाड्रा पर आरोप हैं कि उनसे जुड़ी कंपनी ने 7.5 करोड़ रुपए में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस सौदे का म्यूटेशन भी असामान्य तरीके से कर दिया गया। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र हुड्‌डा मुख्यमंत्री थे। उनकी सरकार ने इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन को कॉमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डेवलप करने की इजाजत देते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को इसका लाइसेंस दिया था।
  3. 58 करोड़ रुपए में बेची गई जमीन: आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन की कीमत बढ़ गई। बाद में वाड्रा से जुड़ी कंपनी ने यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ में बेच दी। आगे चलकर हुड्डा सरकार ने आवासीय परियोजना का लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर कर दिया।
  4. पूरी डील में अनियमितताओं का आरोप: आरोप है कि इस पूरी डील में कई अनियमितताएं की गईं। हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस सौदे से जुड़े मामले में केस दर्ज किया। आगे चलकर ईडी ने भी इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की।



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