मेष- इस राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। द्वादश शनि आपकी राशि स्वामी मंगल से समभाव रखता है। ये समय आपके लिए राहत भरा रहेगा। मनोरंजन और यात्राओं पर जाने का मौका मिलेगा। कानूनी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। हनुमान जी को इत्र समर्पित करेंगे तो शनि से शुभ फल मिल सकते हैं।
वृषभ– इस राशि के लिए एकादश शनि रहेगा। आपके राशि स्वामी शुक्र से शनि की मित्रता है। शनि वृष राशि को लाभ पहुंचाएगा। रुका हुआ कार्य बनने की संभावना है। विवाह योग्य लोगों को विवाह प्रस्ताव मिलेंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कार्य की अधिकता रहेगी। व्यापार में नए समीकरण लाभदायक होंगे। राम नाम का जप करते रहेंगे तो परेशानियां दूर हो सकती हैं।
मिथुन– दशम शनि आपकी राशि के स्वामी बुध का मित्र है। ये ग्रह आपके लिए लाभदायक स्थितियां बनाएगा। समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। लाभ होने की संभावना है। विदेश यात्रा पर जाने की इच्छा रखने वालों की अड़चनें समाप्त होंगी। हनुमानजी को लाल वस्त्र चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कर्क- नवम शनि आपकी राशि के स्वामी चंद्र का शत्रु है, लेकिन शनि आने वाले समय में आपके लिए अनुकूल स्थितियां बनाएगा। सब कुछ ठीक होने के बाद भी अज्ञात भय बना रहेगा। मानसिक तनाव महसूस करेंगे। योजनाएं अज्ञात कारणों से बदलनी पड़ सकती हैं। आपको निडर होकर काम करने की जरूरत है। शिव जी का पूजन शांति प्रदान करेगा। शिव जी को आंकड़े का पुष्प अर्पण करें।
सिंह- इस राशि पर शनि का ढय्या शुरू हो गया है। अष्टम शनि आपकी राशि के स्वामी सूर्य से शत्रु भाव रखता है। शनि के कारण पुराने कार्यों में सुधार होगा, लेकिन नया कार्य या निवेश करने से बचना होगा। नए लोगों के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। आपके कार्यों को प्रशंसा मिलेगी। पदोन्नति मिलने के योग बने हैं। हनुमान जी को सुगंधित धूप अर्पण करें।
कन्या- सातवां शनि जो इस राशि के स्वामी बुध का मित्र है। अत: आपको अतिरिक्त परिश्रम नहीं करना पड़ेगा। कार्यों की बाधाएं दूर होंगी। प्रयत्नों में सफलता मिलेगी। वैवाहिक जीवन में सुख रहेगा। प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त होगी। हनुमान जी को चमेली के पुष्प अर्पण करें।
तुला- षष्ठम शनि आपकी राशि के स्वामी शुक्र का मित्र है। आपके लिए विशेष लाभ की स्थितियां बनेंगी। खोया हुआ सम्मान मिलेगा। पुराने रोगों से छुटकारा मिलेगा। आप परिवार के साथ प्रसन्नता पूर्वक समय व्यतीत करेंगे। कार्यस्थल पर आपकी उपयोगिता बढ़ेगी और शुभ प्रसंगों में शामिल होंगे। शिव जी को जल अर्पण करें।
वृश्चिक– पंचम शनि आपकी राशि के स्वामी मंगल के साथ शत्रुता रखता है। अत: सफलता तो मिलेगी, लेकिन परिश्रम अधिक करना होगा। कार्यों में अड़चनें आएंगी। शत्रुओं के प्रयास निष्फल करने होंगे। परिवार के साथ किसी धार्मिक यात्रा पर जाने का मौका मिल सकता हैं। बेरोजगारों को रोजगार की प्राप्ति होगी। गणेश जी को दूर्वा अर्पण करें।
धनु- शनि का ढय्या रहेगा। आपकी राशि के स्वामी गुरु से शनि समभाव रखता है। शनि चतुर्थ रहेगा तथा शत्रु होने के बाद भी कई परेशानियों पर रोक लगाएगा। कोई ऐसा कार्य शुरु हो सकता है, जिसकी आपको कई दिनों से प्रतीक्षा थी। व्यापार में उन्नति होगी और विरोधियों की हार होगी। कोई निर्माण कार्य शुरु हो सकता है। हनुमान जी को रोज दीपक लगाएं।
मकर- तृतीय शनि आपकी राशि का स्वामी है। अप्रत्याशित सफलता मिलेगी। अटके कार्य पूर्ण होंगे। विरोधियों की हार निश्चित है। मान- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी तथा धार्मिक कार्य में रुचि होगी। साथियों का सहयोग प्राप्त होगा। अटके धन की प्राप्ति होगी। कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। हनुमान जी की अराधना करें।
कुंभ- शनि की उतरती साढ़ेसाती रहेगी। द्वितीय शनि आपकी राशि का स्वामी है। ये कुछ परेशानियां निर्मित करेगा। धन की प्राप्ति सामान्य रहेगी। कई अटके कार्यों में सफलता की प्राप्ति होगी। विवादित विषय में पक्ष मजबूत होगा। गरीबों को अन्न का दान करें एवं हनुमान जी का पूजन करें।
मीन- शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण रहेगा। साढ़ेसाती का पूर्ण प्रभाव रहेगा। शनि आपकी राशि के स्वामी गुरु से समभाव रखता है। फिर भी आपको सावधान रहना होगा। मामूली परेशानियों का सामना करना होगा। कार्यस्थल पर तनाव हो सकता है। निवेश से बचें एवं अनजान लोगों पर भरोसा न करें। संतान से असहयोग बना रहेगा। पशु-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें।