शनैश्चर तीर्थ व उनकी मान्यता

शनैश्चर तीर्थ व सिद्ध पीठ

गोदावरी नदी के किनारे अश्वत्थ तीर्थ व् पिप्पल तीर्थ के साथ ही शनैश्चर तीर्थ भी है, जिसकी बड़ी महिमा है I
संक्षिप्त ब्रह्मपुराण में कथा आती है कि विंध्य पर्वत नित्य ऊपर की ओर बढ़ रहा था I इस बात से देवता चिंतित हो गए ओर वे अगस्त्य मुनि के पास गए तथा उनसे प्रार्थना करने लगे कि हे मुनिवर ! आप पर्वत को ऊपर की ओर बढ़ने से रोकें I मुनि अगस्त्य को देखकर विंध्य पर्वत ने उनका आतिथ्य सत्कार किया I मुनि ने पर्वत की प्रशंसा करते हुआ कहा कि मेँ मुनिजनों के साथ तीर्थाटन के लिए दक्षिण दिशा कि ओर जा रहा हूँ कृपया मुझे रास्ता दो और  मै जब तक लौट न  आऊं, तब तक आप अधो अवस्था मै ही रहो I पर्वत ने मुनि कि बात मान ली, फिर मुनि दक्षिण दिशा कि ओर चल पड़े ी वे गौतमी नदी के किनारे पहुंचे और सावत्स्रिक यज्ञ मे दीक्षित हो एक वर्ष लिए यज्ञ प्रारम्भ किया I
उन्हीं दिनों कैटभ असुर के पुत्रों अश्वत्थ और पिप्पल का आतंक देवलोक तक था I वे नित्य विप्रों को पीड़ित करते रहते थे I उनकी इस दशा से पीड़ित बहुत पीड़ित थे वे उनके कल्याण हेतु गोदावरी के दक्षिण तट पर गए, जहां शनिदेव जी तपस्यारत थे I मुनि ने राक्षसों के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए शनिदेव जी से आग्रह किया, तब शनिदेव जी ने दोनों राक्षसों का वध करके अत्याचार से मुक्ति दिलाई I
शनिदेव जी अगस्त्य आदि मुनियों से प्रर्थना की कि हे मुनिवरो ! अब मै कौन सा कार्य सिद्ध करू I मुनि बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने शनिदेव जी को वर मांगने के लिए कहा, तो शनिदेव जी ने ये वर माँगा कि जो भी शनिवार के दिन अश्वत्थ का स्पर्श करेंगे उनके कार्यो कि सिद्धि होगी और मेरे द्वारा प्रदत्त पीड़ा से ग्रस्त नहीं होंगे I जो मनुष्य अश्वत्थ तीर्थ पर स्नान करें, उनके सारे कार्य पूर्ण होंगे I

तभी से उस तीर्थ को अश्वत्थ तीर्थ, पिप्पल तीर्थ व् शनैश्चर तीर्थ कहा जाता है I उस तीर्थ मै अगस्त्य, याज्ञिक, सत्रिक आदि सोलह हजार एक सौ आठ तीर्थ वास करते है I उन तीर्थो मै स्नान -दान करने से संपूर्ण यज्ञों का फल प्राप्त होता है I
शिगलापुर, कोकिला वन, ग्वालियर, गोमती के तट पर शनिदेव जी के प्रमुख सिद्ध पीठ है, यहाँ शनिदेव जी कि जो आराधना करता है उस जन को शीघ्र ही शुभ फल की प्राप्ति होती है I


शिगलापुर – कहा जाता है कि यहाँ पर शनिदेव जी स्वयं प्रगट हुए थे I इस सिद्ध पीठ पर पूजन, शनि को तेल से स्नान कराने व् दर्शन करने से शनि के प्रकोप शीघ्र दूर हो जाता है I यहाँ के लोगो मे शनि देव जी प्रति अगाथ श्रद्धा है I यहाँ शनि देव जी प्रभाव से असमाजिक तत्वों के प्रयास विफल रहते है यही कारण है कि लोग अपने घरों मे ताले नहीं लगाते I


वृन्दावन- वृन्दावन स्थित कोकिला वन मे भी शनिदेव जी का सिद्धपीठ है I कहते है कि यहाँ भगवान कृष्ण ने शनिदेव को दर्शन देकर आशीर्वाद दिया था कि जो कोई भी इस कोकिला वन किम प्रदक्षिणा करेगा व् शनि पूजन करेगा, उसको शनि पीड़ा से ग्रस्त नहीं होना पड़ेगा I यह वन नन्दगांव के निकट है I इस सिद्धपीठ पर हर शनिवार को मेला भी लगता है I यहाँ शनिदेव के बीजमंत्र का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है I


ग्वालियर – यहाँ शनिश्चरा मदिंर के नाम से सिद्ध पीठ है यहाँ हर शनिवार को पड़ने वाली अमवस्या को मेला लगता है और यहाँ आने वाले श्रद्धालु जन पहने हुए कपड़े -जूते यही छोड़ जाते हैं और नए वस्त्र -जूते पहनकर जाते हैं इसके पीछे मान्यता यह है कि पुराने जूते -वस्त्र छोड़ने से दरिद्रता व् सब प्रकार के क्लेश दूर हो जाते है I यहाँ शनिदेव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है I
गोमती किनारे – गोमती नदी के तट पर बना शनिदेव मंदिर भी सिद्धपीठ के रूप मेँ जाना जाता है i यहाँ शनि पूजन, दर्शन क्र शनिदेव के बीजमंत्र व् दशरथकृत शनिस्तोत्र का पाठ करने, दान देने से शनिप्रकोप दूर होकर कार्यो की सिद्धि होती है i


उपर्युक्त के अतिरिक्त पूरे भारत वर्ष में कई स्थानों में शनिमंदिर बने हुए है , जहां श्रद्धालुजन पूजा – अर्चना कर मनोकामनाओ की प्राप्ति करते हैं

शनिदेव जी की आरती

*** औम कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात***

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