सिंह राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती

शनि की साढ़ेसाती सिंह राशि पर किस प्रकार आती है?

साढ़ेसाती का तात्पर्य है शनि ग्रह का किसी जातक की राशि के ऊपर सात साल और छह महीने तक रहना है। यह अवधि तीन भागों में विभाजित होती है: प्रथम चरण, द्वितीय चरण, और तृतीय चरण। प्रत्येक चरण लगभग ढाई साल का होता है, जिससे कुल मिलाकर साढ़े सात साल की अवधि बनती है।

जब शनि किसी राशि के बारहवे घर में प्रवेश करता है, तब साढ़ेसाती की शुरुआत होती है। फिर यह राशि में और उसके बाद दूसरे घर में प्रवेश करता है। इस प्रकार यह तीन चरण पूर्ण करता है।

शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग होता है। कुछ राशियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जबकि कुछ के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है। यह समयावधि जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है जैसे कि करियर, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, और मानसिक स्थिति। शनि की साढ़ेसाती के दौरान जातक को धैर्य, अनुशासन और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है।

सिंह राशिस्ठ चंद्र का अर्थ है कर्क राशि पर शनि के आने पर साढ़ेसाती का प्रारम्भ होगा और कन्या राशि तक के भर्मण काल तक साढ़ेसाती रहेगी और शनि षष्ठेश व् सप्तमेश रहता है I

इस दौरान, यदि ये लोग अपने आत्मविश्वास का सही उपयोग करें और सोच-समझकर निर्णय लें, तो वे साढ़ेसाती के प्रभाव को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि सिंह राशि के लोग अपनी मानसिकता को मजबूत बनाए रखें और चुनौतियों का सामना करें।

सिंह राशि पर शनि साढ़ेसाती के तीन चरण

साढ़े साती को तीन चरणों में विभाजित किया जाता है: प्रारंभिक चरण, मध्य चरण, और अंतिम चरण। प्रत्येक चरण अपने आप में महत्वपूर्ण होता है और व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालता है।

  1. पहला चरण: कर्क राशि पर शनि के रहने पर यदि बहुत अधिक भाग्यशाली योग होने पर अथवा कुंडली में बहुत सुंदर योग हो तो भाग्य उज्वल होता है अन्यथा दुर्भाग्य हर काम में अड़चनें डालता है और जातक अपने कार्यों से अपयश की प्राप्ति करता है I शनि ग्रह, जोकि मकर राशि में होता है, सिंह राशि से १२वें स्थान पर आ जाता है  जिससे जातक को तनाव और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 
  2. दूसरा चरण:जब शनि कर्क राशि से गोचर होकर लग्न भाव में आ जाये तो साढ़ेसाती का द्वितीय चरण आरम्भ हो जाता है I इस समय, जातक अपने आस-पास के वातावरण में बदलाव महसूस कर सकते हैं। यह चरण अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है, जहाँ मानसिक तनाव और नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह समय आत्म-विकास का भी है, क्योंकि इस चरण में व्यक्ति को अपनी क्षमताओं और अंतर्दृष्टि को विकसित करने का अवसर मिलता है।
  3. तीसरा चरण: अंत में ५ वर्ष बाद ढाई वर्ष के लिए कन्या राशि पर शनि का गोचर काल रहता है I इस अवधि में जातक के पेशेवर जीवन और व्यक्तिगत संबंधों में विभिन्न बदलाव आ सकते हैं। यह चरण एक सकारात्मक अंतर्दृष्टि का संकेत देता है, जहाँ व्यक्ति अपने स्थापित किए गए रिश्तों और करियर में स्थिरता को प्राप्त कर सकता है। हालाँकि, इस समय धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
क्रम संo राशि प्रथम ढाई वर्ष द्वितीय तृतीय
मीन
मेष
वृष
मेष
वृष
मिथुन
वृष
मिथुन
कर्क
मिथुन
कर्क
सिंह
कन्या
सिंह
कन्या
तुला
तुला
कन्या
तुला
वृश्चिक
वृश्चिक
तुला
वृश्चिक
धनु
धनु
वृश्चिक
धनु
मकर
१०
मकर
धनु
मकर
कुम्भ
११
कुम्भ
मकर
कुम्भ
मीन
१२
मीन
कुम्भ
मीन
मेष

सिंह राशि पर शनि की साढ़ेसाती के क्या प्रभाव है?

शनि साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा और व्यापक हो सकता है। इसे ज्योतिष में एक चुनौतीपूर्ण अवधि माना जाता है। आइए विस्तार से इसके प्रभावों पर चर्चा करें:

प्रथम चरण के प्रभाव:

शनि की साढ़ेसाती के प्रथम चरण में शनि ग्रह चंद्र राशि से बारहवें भाव में गोचर करता है।सिंह राशि वालों के लिए इस चरण का प्रभाव विभिन्न प्रकार से हो सकता है:

  • आर्थिक स्थिति: साढ़ेसाती के प्रथम चरण  में यदि शनि राहु द्वारा दृष्ट हो तो जातक पिता द्वारा उपार्जित धन का नाश कर देता है और पिता के धन को भोग-विलास व् गलत कार्यों में खर्च कर देता है I यंहा तक अगर जातक अगर नौकरी पेशे वाला है तो वो उस से भी विमुख  रहता है I जातक अगर हिम्मत रखे तो अपने पराक्रम के बल से धनोपार्जन कर सकता है इस अवधि में वह वाहन आदि का सुख भी प्राप्त करता है I
  • स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ: इस चरण में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।जातक को गुप्तांग संबंधी, धात संबंधी, प्रमेह या सुजाक रोग आदि कष्टों का सामना करना पड़ सकता है I आँख कान नाक एवं मुख में घाव होने से जातक परेशान रह सकता है I
  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: भाई मित्र एवं कुटुम्बी जान जातक को अकेला छोड़ देते है और जातक दया -परोपकार, ममता एवं ईश्वर भक्ति से मुख मोड़ कर नास्तिक हो जाता है I मामा को जातक के द्वारा कष्ट या आर्थिक हानि पहुंचती है शत्रु कई तरीकों से जातक को हानि पहुंचाने का प्रयास करते रहते है परन्तु वे सदैव परास्त होते है I जातक के संतान को भी कष्ट होने कई संभावना बनी रहती है उन्हें चोरी से जलने व् पशु द्वारा कष्ट हो सकता है I

जातक यद्यपि अनेक रूप से मानसिक परेशानी से ग्रसित व् दुखी होने पर भी आत्मनिर्भर होने का प्रयास करता रहता है यदि वह ईश्वर भक्त होता है तो देव कृपा से आधे अधूरे कार्य पूर्ण हो जाते है व्यक्ति को अपनी भावुकता पर निंयत्रण रखना चाहिए और अपने क्रोध पर काबू रखना चाहिए नहीं तो बनते काम बिगड़ सकते है और जातक को बुरी संगति से दूर रहना चाहिए नहीं तो उसे धन हानि व् मान हानि का सामना करना पड़ सकता है I

सिंह राशि पर साढ़ेसाती के प्रथम चरण के उपाय

प्रथम चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जिनके उपयोग से जातक शनि की अशुभता को कम कर सकता है :-

  • हनुमान जी की उपासना करें और प्रतिदिन प्रातःकाल हनुमान चालीसा का पाठ करे।
  • मिट्टी के पात्र में सरसों का तेल भरकर पानी के अन्दर दबायें।
  • घोड़े के नाल की अंगूठी बनवाकर धारण करें। काले घोड़े की नाल हो तो अति उत्तम है।
  • हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ा

द्वितीय चरण के प्रभाव:

सिंह राशि, जो कि सूर्य द्वारा शासित है, अपने में आत्मविश्वास, रचनात्मकता, और नेतृत्व के गुण समेटे हुए है। यह राशि उन व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है जो साहसी, उदार और अपने दृष्टिकोण के प्रति दृढ़ होते हैं। इनके विचार और कार्यों में स्पष्टता होती है, जो उन्हें समाज में विशेष स्थान प्रदान करती है। लेकिन जब शनि साढेसाती की बात आती है, तो इस राशि के प्रभाव को अलग ढंग से समझने की आवश्यकता होती है।

साढेसाती एक खगोलीय योग है जो तब उत्पन्न होता है जब शनि ग्रह जन्म के चंद्रमा से बारहवें, पहले, और दूसरे भाव में आता है। यह तीन चरणों में फैली होती है।

सिंह राशि के जातकों के लिए शनि साढेसाती का द्वितीय चरण विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह चरण शनि के गोचर के दौरान जातक की राशि से छठे स्थान पर आता है, और इसे जातक के पारिवारिक, आर्थिक और स्वास्थ्य स्थिति पर प्रभाव डालने वाला समय माना जाता है। द्वितीय चरण की अवधि आमतौर पर  ढाई वर्ष होती है, जिसमें कुछ प्रमुख घटनाएँ एवं परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। इसके दौरान जातक को आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसकी आय में गिरावट संभव है। यह अवधि व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंधों में भी तनाव ला सकती है, जिसका प्रभाव परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सम्बंधों पर पड़ सकता है।

  • आर्थिक प्रभाव:

    सिंह राशि पर शनि साढेसाती का दूसरा चरण आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश कर सकता है। शनि का प्रभाव अक्सर आर्थिक अस्थिरता, धन की कमी, और वित्तीय योजनाओं में अवरोध का कारण बनेगा। ऐसे में, यह आवश्यक है कि व्यक्ति धैर्य रखकर अपने आर्थिक मामलों का समुचित प्रबंधन करें। यह स्थिति उन लोगों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है जो आर्थिक रूप से संवेदनशील हैं या जिन्हें पहले से ही वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

    इस अवधि में, निवेश और व्यय पर निगरानी रखना आवश्यक है। आर्थिक रणनीतियों को पुनर्व्यवस्थित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय में सामान्यत: आर्थिक नुकसान होने की संभावना रहती है। सुरक्षित निवेश, जैसे कि सरकारी बांड या स्थिर रेटिंग वाली कंपनियों में निवेश, को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन निवेशों से बचना चाहिए जो उच्च जोखिम वाले और अस्थिर हैं। जातक को कोयला, लकड़ी, मेडिसिन, तेल, काली वस्तु, केमिकल्स से अवश्य लाभ प्राप्त होता है I 

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: सिंह राशि पर शनि साढ़ेसाती के द्वितीय चरण में न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण हो जाता है। इस अवधि में चंद्र के साथ शनि होने से चरम रोग होने की पूरी आशंका रहती है जो तनाव और चिंता का कारण बन सकती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मानसिक तनाव के स्तर में वृद्धि हो सकती है, जो व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है। जातक को वात रोग आदि की संभावना बनी रहती है और स्त्री को गर्भाशय व् हृदय संबंधी कष्ट हो सकता है I

  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: शनि की साढ़ेसाती के द्वितीय चरण में सिंह राशि के जातकों के लिए परिवारिक संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इस अवधि में, पारिवारिक विवाद, तनाव और समझौतों का संतुलन नितांत आवश्यक है। संभव है कि इस समय के दौरान पारिवारिक सदस्यों के बीच मतभेद होने लगें, जो कि आमतौर पर समर्पित एवं आधारित संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
    जब शनि का प्रभाव सक्रिय होता है, तो पारिवारिक मुद्दों को सुलझाने में कठिनाई आ सकती है। अपने कटु स्वभाव के कारण मित्र वर्ग को शत्रु बना लेता है और शत्रु हर सम्भव हानि पहुंचाने की कोशिश करते है परन्तु वो अपने प्रयासों में सफल नहीं हो पाते I इस समय के दौरान, परिवार के सदस्यों के बीच सहयोग और समझौते की आवश्यकता अधिक होती है। यदि कुटुम्ब के सदस्य एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और खुले दिल से संवाद करें, तो विवादों को आसानी से हल किया जा सकता है। 

सिंह राशि पर साढ़ेसाती के द्वितीय चरण के उपाय

द्वितीय चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जो जातक पर शनि की अशुभता को कम करने में सहायक हो सकते हैं :-

  •  मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर शनिवार के दिन खिलायें।
  •  शनि कुप्रभाव निवारण हेतु गणेश जी की उपासना करें क्योंकि गणेश जी शनि के देवता हैं।
  •  बन्दर पालें और उसकी सेवा करें।
  •  प्रसन्‍नता के अवसर (पुत्रोत्सब, विवाह आदि) पर मिठाई न बांटे

तृतीय चरण के प्रभाव:

आगे पांच वर्ष साढ़ेसाती के तृतीय चरण में शनि द्वितीय भाव में आता है, तब जातक को समाज, मित्रगणों में मान सम्मान प्राप्त होता है I व्यापार में उतार-चढ़ाव रहता है परन्तु वाहन आदि का सुख बना रहता है I

  • आर्थिक प्रभाव: शनि साढेसाती का तृतीय चरण सिंह राशि के जातकों के लिए आर्थिक स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इस चरण के दौरान, जातकों की आय में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। यह समय आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अक्सर देखा गया है कि इस अवधि में कुछ जातकों को अपने व्यवसाय से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाते, जिससे उनके वित्तीय निर्णय लेने में संदेह उत्पन्न होता है।

    इसके अलावा, व्यय की स्थिति में वृद्धि होती है, जिससे जातकों को अपनी बचत प्रबंधन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अप्रत्याशित खर्चों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आर्थिक सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस समय में विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता होती है, ताकि अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखा जा सके। अंत में ५ वर्ष बाद ढाई वर्ष के लिए कन्या राशि पर शनि का गोचर काल रहता है I व्यक्ति खूब मेहनत करके आर्थिक स्थिति संभाल लेता है

    घर का संचलान स्त्री के हाथ में हो तो धन का व्यय श्रृंगार-प्रसाधन, भोग-विलास व् मनोरंजन, पर अधिकतम होता है I यदि शनि शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो स्त्री अच्छे गुणों वाली होती है तथा पति के भाग्य की वृद्धि में भरपूर सहायक होती है और वंश वृद्धि करने वाली भी होती है I

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: सिंह राशि पर शनि की साढेसाती का तीसरा चरण स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विकास और चुनौतियाँ प्रस्तुत कर सकता है। इस समय दौरान, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आसन्न हो सकती हैं। शनि, जो कि एक कठिन ग्रह माना जाता है, व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। मानसिक स्वास्थ्य में चिंता, तनाव और अवसाद जैसे मुद्दे बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, शारीरिक स्वास्थ्य में भी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि शरीर में दर्द, संधिवात या अन्य दीर्घकालिक समस्याएं।

    जातक इस अवधि मुख रोग से पीड़ित रहता है व् वाहन से दुर्घटना और पशु घात से चोट एवं विषपान या जंतु से विष दंश की घटना का भय बना रह सकता है I अगर जातक स्त्री हो तो उसको साढ़ेसाती के इस चरण में गर्भपात , मृत संतान का जन्म व गर्भाशय सम्बन्धी रोग हो सकते है I 

  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: शनि की साढेसाती का तृतीय चरण सिंह राशि वालों के लिए पारिवारिक संबंधों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। इस समय अवधि में पारिवारिक कलह बढ़ने की संभावना होती है, जिससे व्यक्तिगत जीवन में तनाव उभर सकता है। यह जरूरी होता है कि इस समय में परिवार के सदस्यों के बीच संवाद बनाए रखा जाए, जिससे गलतफहमीयों को कम किया जा सके। निरंतर संवाद और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति से पारिवारिक रिश्तों को मजबूत किया जा सकता है।

सिंह राशि पर साढ़ेसाती के तृतीय चरण के उपाय

 तृतीय चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जो जातक पर शनि की अशुभता को कम करने में सहायक हो सकते हैं :-

  • शराब और मांस-मछली का सेवन न करें।
  • काली भैंसे के नाल की बनी अंगूठी धारण करें।
  • शनिवार या मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ायें।
  • काली उड़द के दाने बहती दरिया में प्रवाहित करें

*** ॐ कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात***

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