Solar eclipse today but there will be no Sutak, Solar eclipse on 29th March, Chaitra Amawasya signiifcance in hindi | आज सूर्य ग्रहण, लेकिन नहीं रहेगा सूतक: चैत्र अमावस्या पर करें पितरों के लिए श्राद्ध, शनि को चढ़ाएं सरसों का तेल और करें हनुमान चालीसा का पाठ


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2 घंटे पहले

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आज (शनिवार, 29 मार्च) चैत्र मास की अमावस्या है और आज सूर्य ग्रहण भी हो रहा है, लेकिन ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इस वजह से यहां सूतक नहीं है। सूतक न होने से पूरे दिन चैत्र अमावस्या से जुड़े सभी धर्म-कर्म कर सकते हैं।

जिन जगहों पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने तक रहता है। सूतक के समय में पूजा-पाठ, हवन जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं, इस दौरान मंदिरों के पट भक्तों के लिए बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिरों की शुद्धि की जाती है, इसके बाद मंदिर भक्तों के लिए फिर से खोल दिए जाते हैं। सूर्य ग्रहण के सूतक के समय में मंत्र जप और इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण नॉर्थ-वेस्ट अफ्रीका, यूरोप, नॉर्थ रूस में दिखाई देगा। ग्रहण भारतीय समय अनुसार दोपहर 2.21 बजे शुरू होगा और शाम 6.14 बजे खत्म होगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जब अमावस्या तिथि शनिवार को आती है तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि इस योग में किए गए धर्म-कर्म का अक्षय पुण्य मिलता है, ऐसा पुण्य, जिसका शुभ असर जीवनभर बना रहता है। इस दिन नदी स्नान, तीर्थ दर्शन, पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने के साथ ही पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है।

पितरों के लिए ऐसे करें धूप-ध्यान

अमावस्या पितरों की तिथि मानी जाती है, इसलिए इस दिन पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे शुभ काम किए जाते हैं। इन शुभ कर्मों से पितर देव तृप्त होते हैं।

आज दोपहर करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करें, दोपहर में इसलिए, क्योंकि दोपहर के समय के स्वामी पितर देव माने जाते हैं। सुबह और शाम देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। गाय के गोबर से बने कंडे (उपले) जलाएं और पितरों का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को तर्पण दें। धूप-ध्यान के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और धन, अनाज, जूते-चप्पल का दान करें। अभी गर्मी का समय है तो छाते और जल का दान भी कर सकते हैं।

जानिए चैत्र अमावस्या पर और कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  • अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए पीपल की सात परिक्रमा करें। पीपल की पूजा करने से कुंडली के पितृदोष का अशुभ असर कम होता है।
  • चैत्र अमावस्या पर पंचदेवों की पूजा करें। पंचदेवों में गणेश जी, भगवान शिव, विष्णु, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। इन पांचों देवताओं की विधिवत पूजा करें। इनके साथ ही अमावस्या पर महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए।
  • हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। दीपक जलाकर सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, विष्णु सहस्रनाम और श्रीसूक्त का पाठ करना शुभ होता है।
  • अमावस्या पर गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। जो लोग इन नदियों में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय सभी पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी घर पर तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिलता है।

राहु से जुड़ी है सूर्य ग्रहण की कथा

  • चंद्र और सूर्य ग्रहण की कथा राहु से जुड़ी है। जब राहु सूर्य या चंद्र को ग्रसता है यानी निगलता है, तब ग्रहण होता है। पौराणिक कथा के मुताबिक, जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया तो उससे अमृत निकला। उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और वे देवताओं को अमृत पान करा रहे थे, राहु नाम का एक असुर भी देवताओं का वेश धारण करके देवताओं के बीच बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया।
  • सूर्य-चंद्र राहु को पहचान गए और उन्होंने विष्णु जी को राहु की सच्चाई बता दी, इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था। राहु अमृत पी चुका था, इस वजह से वह मरा नहीं। राहु के दो हिस्से हो गए। एक हिस्सा राहु और दूसरा हिस्सा केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • तब से राहु सूर्य-चंद्र को अपना शत्रु मानता है और समय-समय पर सूर्य-चंद्र को निगल लेता है, इस घटना को ग्रहण कहते हैं।

वैज्ञानिक मान्यता – पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्र आता है, तब सूर्य ग्रहण होता है। पृथ्वी अपने चंद्र के साथ सूर्य का चक्कर लगाती है। चंद्र पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के साथ चलता है। जब ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, चंद्र पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, तब पृथ्वी के जिस हिस्से पर चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य दिखना बंद हो जाता है, इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

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