Story of Lord Shiva and Goddess Sati, lesson of shiv-sati story, family management tips in hindi, Savan 2025 | भगवान शिव और देवी सती की कथा: वैवाहिक जीवन की सफलता का सूत्र: पति-पत्नी एक-दूसरे पर भरोसा करेंगे तो प्रेम बना रहेगा


39 मिनट पहले

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आज सावन महीने का दूसरा दिन है। इस महीने में शिव पूजा के साथ ही शिव जी की कथाएं पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। भगवान की कथाओं में छिपी सीख को अपनाने से हमारी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। भगवान शिव और देवी सती का एक ऐसा प्रसंग है, जिसमें बताया गया है कि पति-पत्नी के बीच आपसी विश्वास होना बहुत जरूरी है। आपसी विश्वास ही वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और प्रेम बनाए रखता है। पढ़िए ये प्रसंग…

ये प्रसंग रामायण के समय का है। जब रावण सीता का हरण कर चुका था और भगवान श्रीराम दुःखी होकर जंगलों में “हा सीते! हा सीते!” पुकार रहे थे। वे अपनी पत्नी की खोज में भटकते थे, विलाप करते थे। एक दिन ये दृश्य भगवान शिव और देवी सती ने भी देखा।

शिव जी ने श्रीराम को प्रणाम किया, लेकिन देवी सती को संदेह हुआ कि “जो व्यक्ति इतना दुःखी हो रहा है, वह क्या सच में भगवान हो सकता है? ये तो एक साधारण राजकुमार जैसे लगते हैं।”

यहां से सती के मन में संशय जन्म लेता है और यहीं से संबंधों की परीक्षा शुरू होती है।

शिव जी ने सती को समझाया कि ये सब भगवान राम की लीला है, लेकिन सती का संदेह दूर नहीं हुआ। उन्होंने श्रीराम की परीक्षा लेने का निर्णय लिया और खुद सीता का रूप धारण करके श्रीराम के सामने पहुंच गईं।

श्रीराम ने सती को तुरंत पहचान लिया और कहा, “देवी, आप अकेली इस वन में क्या कर रही हैं? महादेव कहां हैं?”

ये बात सुनते ही सती के मन में जो संशय था, उसे मिटा गया। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन गलती सिर्फ संदेह करना नहीं थी, देवी ने एक और गलती की थी वह थी झूठ बोलना।

जब सती शिव जी के पास लौटीं, उस समय शिव जी ध्यान में थे। जब उन्होंने आंखें खोलीं, तो पूछा, “राम जी की परीक्षा ले ली?”

सती ने उत्तर दिया, “नहीं, मैंने तो सिर्फ आपकी तरह दूर से प्रणाम किया।”

शिव जी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन मन में जानते थे कि उनकी पत्नी झूठ बोल रही हैं। उन्होंने ध्यान लगाया और पूरी घटना को जान लिया। जिस क्षण ये सत्य उनके समक्ष आया, उन्होंने कहा, “देवी, आपने इस देह से मेरी मां सीता का रूप लिया है, अब मैं इस रूप का मानसिक त्याग करता हूं।”

इस घटना के बाद से शिव-सती का वैवाहिक जीवन बिगड़ गया था।

प्रसंग की सीख

  • रिश्तों में संशय हो तो रिश्ता कमजोर हो जाता है। अगर मन में कोई सवाल उठे तो जीवन साथी से बात करें और जीवन साथी की बात पर भरोसा करें। अगर साथी की बात पर भरोसा नहीं करेंगे, अपनी जिद की वजह से कोई परीक्षा लेंगे तो रिश्ता बिगड़ने की संभावना बन सकती है। वैवाहिक जीवन में झूठ सबसे बड़ा दोष है। कभी किसी प्रिय व्यक्ति से कुछ छिपाना या झूठ कहना उस रिश्ते को कमजोर कर देता है।
  • विश्वास ही रिश्ता है। बिना विश्वास, कोई संबंध नहीं टिकता, चाहे कितना भी प्रेम हो या साथ हो।
  • ध्यान रखें वैवाहिक जीवन में मौन भी बहुत कुछ कह जाता है। शिव जी ने सती को कुछ नहीं कहा, लेकिन भगवान का मौन दर्शाता है कि देवी सती की ये बातें उन्हें अच्छी नहीं लगी थीं।
  • शिव-सती की यह कहानी केवल पौराणिक प्रसंग नहीं है, यह आज के वैवाहिक रिश्तों के लिए बड़ी सीख देता है। पति-पत्नी का संबंध केवल साथ रहना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे को समझना, भरोसा करना और सच के साथ खड़ा रहना है। अगर हम इन मूल भावों को अपने जीवन में अपनाएंगे तो रिश्तों में हमेशा प्रेम बना रहेगा।

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