26 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
- कॉपी लिंक

सनी देओल 10 अप्रैल को बड़े पर्दे पर फिल्म ‘जाट‘ लेकर आ रहे हैं। भरपूर एक्शन से लबरेज इस फिल्म में उनके साथ एक्टर रणदीप हुड्डा और विनीत कुमार सिंह नजर आएंगे। फिल्म के ट्रेलर को ऑडियंस से खूब प्यार मिल रहा है।
इस फिल्म को तेलुगु डायरेक्टर गोपीचंद मालिनेनी ने डायरेक्ट किया है। ‘जाट‘ के जरिए वो हिंदी सिनेमा में अपना डेब्यू कर रहे हैं। फिल्म में सनी देओल के आईकॉनिक डायलॉग ढाई किलो का हाथ का भी इस्तेमाल किया गया।

दैनिक भास्कर ने फिल्म को लेकर सनी देओल, रणदीप हुड्डा और विनीत कुमार सिंह से बात की है। पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश…
सवाल- सनी, जाट शब्द सुनते ही आपके जेहन में कौन सी चीज सबसे पहले आती है।
जवाब/सनी- जाट को खाना-पीना, तोड़ना-फोड़ना पसंद होता है। कहीं, कुछ गलत हो रहा है तो उसे जाकर रोकना। लोगों की रक्षा करना, ये काम जाट करता है। मेरे दिमाग में ये शब्द सुनकर सबसे पहले यही चीज आती है।
रणदीप- हमारे यहां तो कहते हैं कि हनुमान जी भी जाट हैं। इसके पीछे कारण ये दिया जाता है कि किसी और की बीवी के लिए अपनी पूंछ में आग लगा लंका जला दी। जस्टिस, एक्शन और ट्रूथ ये जाट की परिभाषा होती है।
हमारी फिल्म ‘जाट’ में भी आपको ये तीनों चीज दिखेंगी। जाट रेजिमेंट का नारा भी होता है- जाट बलवान, जय भगवान। खेती-किसानी, आर्मी, खेल हर जगह जाटों का कंट्रीब्यूशन रहा है। फिजिकली और जिगरा वाले सारे काम इनसे ही जुड़े होते हैं। थोड़े मुंहफट होते हैं, इस वजह लाइफ में चुनौतियां भी झेलनी पड़ती हैं।

विनीत- उनका कमाल का ह्यूमर…जाट शब्द सुनकर मेरे दिमाग में सबसे पहली बात तो ये आती है। ह्यूमर के अलावा तेवर, वीरता, गुड लुक्स, दोस्ती और तमाम खेलों के मेडल्स भी जेहन में आते हैं। मेरे कई सारे दोस्त जाट हैं। वो मुझे कहते हैं कि विनीत जब भी फिल्म के प्रीमियर में जाओ तो हमारी रेंज रोवर ले जाया करो। ऐसे मत जाओ, हमें अच्छा नहीं लगता है।
सवाल- सनी, जाट शब्द तो आपकी असली पर्सनैलिटी से काफी मेल खाता है?
जवाब- हां, ये तो मेरे डीएनए में है। मेरा डीएनए पर काफी यकीन है। वरना हम सब के अंदर कितनी ऐसी चीजें होती हैं, जिसका हमें आइडिया नहीं होता कि ये ऐसा क्यों है। लेकिन उसके पीछे डीएनए ही होता है।

सवाल- रणदीप, फिल्म में आप जाट न बनकर साउथ इंडियन विलेन बने हैं। आपको अजीब नहीं लगा?
जवाब- मुझे शुरू में सुनकर बहुत तकलीफ हुई थी। जब मुझे कहानी सुनाई जा रही थी, तब मैं अपने किरदार के बारे में सुनने का इंतजार कर रहा था। जब रणतुंगा नाम आया फिर मैंने पूछा कि मैं जाट का रोल नहीं कर रहा हूं? जवाब मिला नहीं। मुझे लगा यार गांव में लोग बातें बनाएंगे। मैंने इस रोल के बारे में काफी सोचा। अपने स्कूल के दोस्तों से राय ली, उन्होंने कहा कि फिल्म में सनी देओल है तो चलेगा।
सवाल- विनीत, आप तो फिल्म ‘मुक्काबाज’ के लिए जाटों के बीच रहे और उनसे ट्रेनिंग ली है?
जवाब- हां, मेरे जो अच्छे दोस्त हैं, वो पंजाब-हरियाणा से हैं। बनारस में भी मेरे काफी अच्छे दोस्त हैं। उन्हें तो पता भी नहीं था कि मैं एक्टर हूं। ‘मुक्काबाज’ के ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने मेरे लिए दिल खोलकर रख दिया। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आज के समय में कोई ऐसे भी मदद कर सकता है।
सवाल- विनीत, एक तरफ सनी की दहाड़ है, दूसरी तरफ आप कोयल की आवाज निकालते हैं। इसके पीछे क्या कहानी है?
जवाब- मैं गांव में पला-बढ़ा हूं। वहां सुबह की शुरुआत ही चिड़ियों की आवाज से होती है। कोयल की आवाज जेहन में थी। फिल्म में सोमलू का किरदार काफी कलरफुल है। ऐसे में किरदार का कोयल की आवाज में बोलना सेट पर ही इम्प्रोवाइज हुआ है।
सवाल- सनी, ढाई किलो का हाथ डायलॉग की एक फैन फॉलोइंग है। फिल्म में इस डायलॉग को नए अंदाज में पेश किया गया है। क्या कहना है?
जवाब- फिल्म में मेरे इस डायलॉग का अच्छी तरह से इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, मैं ऐसी चीजें करने से थोड़ा झिझकता हूं। लेकिन डायरेक्टर जो चाहता है, मैंने बस उसे फॉलो करने की कोशिश की। आपने ट्रेलर में देखा होगा कि ये बढ़िया दिख रहा है।

सवाल- आपने असल जिंदगी में ढाई किलो का हाथ इस्तेमाल करके कभी किसी से सॉरी बुलवाया है?
जवाब- देखिए, झगड़े तो बहुत होते थे। यंग एज में झगड़े ना हो, ऐसा हो नहीं सकता था। मैं पंगा लेते रहता था। पंगा लेने के लिए बहाने ढूंढता था। किसी ने घूर के देखा लिए तो उस पर लड़ाई हो जाती थी। बोर हो रहे हैं तो पंगा ले लिया।
मेरे दोस्त के घर वाले उन्हें मेरे साथ आने से रोकते थे। जो माहौल और उम्र थी, उस हिसाब बहुत अजीब-अजीब चीजें करता था। अब सोचता हूं तो लगता है कि आज का जमाना होता तो पापा का नाम खराब कर दिया होता।