suraiya charge more fees than Dilip Kumar | दिलीप कुमार से ज्यादा फीस लेने वालीं फीमेल स्टार: देव आनंद ने कर्ज लेकर अंगूठी खरीदी, नेहरू से तारीफ पाई, 34 की उम्र में छोड़ी फिल्में


7 मिनट पहले

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सुरैया को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान और बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। सुरैया ने 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और 338 गाने गाए। सुरैया जब केवल 12 साल की थीं जब वे अपने मामा के साथ फिल्म सेट पर जाया करती थीं। एक बार फिल्म ‘ताजमहल’ के सेट पर निर्देशक ने उन्हें छोटी मुमताज महल का रोल दिया।

सुरैया का जन्म 15 जून 1929 को लाहौर में हुआ था।

सुरैया का जन्म 15 जून 1929 को लाहौर में हुआ था।

ऑल इंडिया रेडियो के बच्चों के कार्यक्रमों में भी सुरैया ने काम किया। यहीं पर नौशाद ने उनकी गायकी पहचानी और फिल्म शारदा (1942) में उन्हें मेहताब के लिए गाने का मौका दिया। इसी के बाद उन्हें कई प्लेबैक सिंगिंग के ऑफर मिले।

इसके बाद सुरैया का नाम फूल, सम्राट चंद्रगुप्त, आज की रात, दर्द, दिल्लगी, नाटक, अफसर, काजल, दास्तान, सनम और चार दिन जैसी कई म्यूजिकल फिल्मों से जुड़ गया। सुरैया ने उमर खय्याम (1946), प्यार की जीत (1948), बड़ी बहन (1949) और दिल्लगी (1949) जैसी फिल्मों से करियर में ऊंचाई पाई।

दिलीप कुमार से भी ज्यादा फीस लेती थीं सुरैया इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुरैया, दिलीप कुमार, देव आनंद और अशोक कुमार जैसे अभिनेताओं से ज्यादा फीस लेती थी। वहीं, देव आनंद के साथ उनका रिश्ता भी चर्चा में रहा। अपने करियर के टॉप पर सुरैया ने देव आनंद से प्रेम किया। दोनों ने साथ सात फिल्में कीं।

सुरैया और देव आनंद ने साथ में 'अफसर' 'दो सितारे' और 'शायर' जैसे फिल्में की थीं।

सुरैया और देव आनंद ने साथ में ‘अफसर’ ‘दो सितारे’ और ‘शायर’ जैसे फिल्में की थीं।

देव ने उनके लिए हीरा की अंगूठी खरीदने के लिए कर्ज लिया। उस वक्त वे देव से बड़ी स्टार थीं। साथ ही देव हिंदू थे, जिससे उनकी नानी इस रिश्ते के खिलाफ थीं। नानी ने देव द्वारा दी अंगूठी समुद्र में फेंक दी और निर्देशकों से उनके रोमांटिक सीन हटवाने को कहा।

देव ने शादी करने और यहां तक कि अभिनय छोड़ने तक की बात कही, लेकिन सुरैया को यह मंजूर नहीं था। दोनों अलग हो गए। हालांकि, इसका सुरैया पर गहरा असर पड़ा और उन्होंने कभी शादी नहीं की। देव आनंद ने बाद में 1954 में कल्पना कार्तिक से विवाह कर लिया।

ब्रेकअप के बाद सुरैया का करियर भी प्रभावित हुआ। 1950 के दशक में उनकी कई फिल्में असफल रहीं। हालांकि 1954 में मिर्ज़ा ग़ालिब ने उन्हें थोड़ी सफलता दी। यह फिल्म हिट रही। उन्हें जवाहरलाल नेहरू से भी तारीफ मिली। उन्होंने कहा था, “तुमने मिर्जा गालिब की रूह को जिंदा कर दिया।”

1963 में फिल्मों से लिया संन्यास 1963 में सुरैया ने फिल्में छोड़ दीं, जिसके पीछे दो कारण माने जाते थे, एक तो उनके पिता अज़ीज़ जमाल शेख़ की उसी साल मृत्यु हो गई थी, और दूसरा कारण था उनकी स्वास्थ्य समस्याएं।

1964 में आई फिल्म रुस्तम सोहराब, जिसमें पृथ्वीराज कपूर भी थे, बड़ी फ्लॉप रही। इसके बाद वे न तो फिल्मों में नजर आईं और न ही प्लेबैक सिंगिंग में लौटीं। 2004 में उनका निधन हो गया।



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