- Hindi News
- National
- Tamil Nadu Police Custody Death Case; Sivaganga Temple Guard | Ajith Kumar
चेन्नई13 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

पुलिसकर्मियों ने अजित के साथ मारपीट की, इसका वीडियो वायरल है।
मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को शिवगंगा जिले में मंदिर के गार्ड अजित कुमार (27) की पुलिस कस्टडी में हुई के मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में खुद से नोटिस लिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अजित के शरीर पर चोट के 44 निशान पाए गए हैं। जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने इस पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा- ये सत्ता के नशे में चूर पुलिस की क्रूरता है।
जस्टिस ने कहा- ये क्रूर कृत्य है, राज्य ने अपने ही नागरिक की हत्या की है। शरीर पर 44 चोटों के निशान देखना चौंकाने वाला है। उसके शरीर के सभी हिस्सों पर हमला किया गया है।
अजित को चोरी के आरोपी में 27 जून को हिरासत में लिया गया था। 28 जून को पुलिस कस्टडी में उसकी तबीयत बिगड़ी, इलाज के दौरान मौत हो गई। सादा कपड़े पहने पुलिसकर्मियों का अजित को पीटने का वीडियो वायरल हुआ।
30 जून को अजित की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई। पीड़ित परिवार ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया और हाईकोर्ट में याचिका लगाई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 5 पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए।
BNS की धारा 196(2)(ए) के तहत थिरुप्पुवनम पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया। सभी को 15 जुलाई तक ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है। शिवगंगा एसपी को हटाया गया है।

वायरल फुटेज, जिसमें दो पुलिसकर्मी अजित के साथ मारपीट करते नजर आ रहे हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस ने क्या कहा…
- जस्टिस ने अजित की लगी चोट सवाल उठाते हुए कहा- अजित की पीठ, मुंह और कानों पर मिर्च पाउडर लगाया गया था। उसके पूरे शरीर पर बेरहमी से हमला किया गया, जिससे वो तुरंत मर गया। साधारण हत्यारा भी इस तरह की चोटें नहीं पहुंचा सकता। पुलिस ने मिलकर यह किया है। यह क्रूरता है।
- कुछ उत्तर भारतीय राज्यों, जहां लिट्रेसी रेट कम है, वहां भी ऐसी घटनाएं नहीं होतीं। तमिलनाडु में जहां सरकार कहती है कि हम हर चीज के आगे हैं। आप इस तरह की घटना को कैसे होने दे सकते हैं? तमिलनाडु जैसे राज्य जो शैक्षिक रूप से विकसित है। यहां इस तरह की हरकतें खतरनाक हैं।
- ऐसा किसी भी पुलिस स्टेशन में कभी नहीं होना चाहिए। राज्य की जनता इसे देख रही है। जयराज और बेनिक्स मामले को कोई नहीं भूला है। अजित का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था। फिर भी उसके साथ ऐसा हुआ।
कोर्ट के उठाए सवाल..
जस्टिस ने सवाल पूछा- अजित की मौत के मामले में एफआईआर के बिना विशेष टीम ने मामला कैसे संभाला? कम से कम टीम को एक वरिष्ठ अधिकारी को जोड़ना चाहिए था। मौके से साक्ष्य किसने दर्ज किए, जहां पर अजित के साथ मारपीट की गई थी। वहां से खून-पेशाब के सैंपल क्यों नहीं लिए गए।
इसके जवाब में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि मौके पर खून-पेशाब का धब्बा नहीं था। इस पर अदालत ने कहा- अगर धब्बे नहीं थे तो शिवगंगा एसपी के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। सबूत इकट्ठा किए बिना आप क्या कर रहे थे?
जस्टिस ने पूछा कि अजित की मां की शिकायत के आधार पर कोई मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया। अजित के भाई को ₹50 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की बातचीत शादी के हॉल में क्यों की गई।
कोर्ट ने पूछा- मारपीट वाला CCTV कहां है
अजित पर बाथरूम में हमला किए जाने की बात कही गई है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया- सीसीटीवी फुटेज कहां है? क्या मारपीट रिकॉर्ड की गई थी। इसे सबूत के तौर पर लिया जा सकता है, क्योंकि पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। संभावना है कि समय के साथ सबूत नष्ट हो सकते हैं।
अदालत ने आदेश दिया कि पुलिस स्टेशन और मंदिर सहित मामले से जुड़े सभी सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित किया जाना चाहिए। किसी भी तरह से छेड़छाड़, बदलाव या नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। फुटेज को 2 जून तक जांच करने वाले जज को सौंपा जाना चाहिए।
जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा कि मामले की CBI जांच शुरू की जाए। गैरकानूनी मौत का कारण बनने वाले बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों से लेकर शामिल अन्य लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाए। इस पर राज्य सरकार ने कहा कि जांच CBI को सौंपने पर कोई आपत्ति नहीं है। जस्टिस ने कहा- राज्य सरकार लिखित में अपना रुख बताए।
कोर्ट ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जॉन सुंदरलाल सुरेश के नेतृत्व में ज्यूडिशियल जांच के निर्देश दिए। तिरुभुवनम थाना पुलिस को जरूरत के मुताबिक केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को 8 जुलाई या उससे पहले अपनी रिपोर्ट पेश करने का कहा है।