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19 जून को अहमदाबद में हुआ था विमान हादसा।
12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में इंदौर की सॉफ्टवेयर इंजीनियर हरप्रीत कौर होरा की मौत हो गई थी। अब हरप्रीत के पिता महेंद्र पाल सिंह होरा और मां बलजीत कौर होरा ने हरप्रीत की याद में राम हरप्रीत मेमोरियल ट्रस्ट बनाया है। यह ट्रस्ट लड़कियों की
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शनिवार (19 जुलाई) को श्री गुरु हरकृष्ण जी के गुरुपर्व के दिन इस ट्रस्ट को औपचारिक रूप से शुरू किया गया। हरप्रीत के माता-पिता ने ट्रस्ट के लिए शुरुआत में 2 लाख रुपए दिए हैं। उनका कहना है कि अगर हादसे से जुड़ा कोई मुआवजा या बीमा राशि मिलती है, तो वह पूरी राशि ट्रस्ट को देंगे। गुरुद्वारा समिति को संबोधित एक पत्र में उन्होंने लिखा-

हम यह कार्य हरप्रीत की आत्मा और उसके मूल्यों को जीवित रखने के लिए कर रहे हैं।

पति को जन्मदिन पर सरप्राइज देने जा रही थी हरप्रीत
30 वर्षीय हरप्रीत, इंदौर के राजमोहल्ला क्षेत्र की निवासी थीं और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं। वह अपने पति रॉबी होरा को जन्मदिन पर सरप्राइज देने के लिए लंदन जा रही थीं। पहले उन्होंने 19 जून की फ्लाइट टिकट बुक की थी, लेकिन बाद में उसे बदलकर 12 जून कर दिया और अहमदाबाद से फ्लाइट AI-171 में सवार हुईं। उस समय वह अपने ससुराल में थीं और फ्लाइट से पहले अपने मायके भी गई थीं।
हादसे के बाद उनकी पहचान बहन सिमरन से लिए गए डीएनए सैंपल के जरिए की गई थी। उनका अंतिम संस्कार अहमदाबाद में किया गया।

हरप्रीत बेंगलुरु में रहती थी। पति रॉबी लंदन में नौकरी करते हैं।
बेंगलुरु से लंदन शिफ्ट हुई थीं हरप्रीत
हरप्रीत बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में थी, जिन्होंने उन्हें रिमोट वर्क की अनुमति दी थी। कंपनी की अनुमति से ही वह हाल ही में लंदन शिफ्ट हुई थी, जहां उनके पति क्लाउड आर्किटेक्ट के रूप में जॉब करते हैं।

अहमदाबाद एयरपोर्ट का CCTV फुटेज सामने आया है। इसमें टेकऑफ के 49वें सेकेंड में प्लेन क्रैश होता दिखा।
हम उसके विजन को साकार करना चाहते हैं
माता-पिता ने कहा कि यह ट्रस्ट वंचित बालिकाओं को शिक्षा, नैतिक मूल्यों और सशक्तिकरण की दिशा में सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने गुरुद्वारा समिति से मार्गदर्शन और समुदाय से सहयोग की अपील की है, ताकि यह ट्रस्ट हरप्रीत के मूल्यों की जीवित मिसाल बन सके।

पिता ने कहा- यह ट्रस्ट हरप्रीत के मूल्यों की जीवित मिसाल बन सकेगा।
हरप्रीत के पिता महेन्द्र पाल सिंह होरा ने कहा “यह एक व्यक्तिगत और भावनात्मक निर्णय है, जो बेटी हरप्रीत की स्मृति और उसके आदर्शों को जीवित रखने के लिए लिया गया है। हम ‘वाहेगुरु’ का आशीर्वाद और समाज का सहयोग चाहते हैं, ताकि इस विजन को साकार किया जा सके।”

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