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4 मिनट पहले
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पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है।
9 जुलाई 2025, यानी आज का दिन सामान्य दिनों के मुकाबले 1.3 से 1.51 मिली सेकेंड पहले खत्म होगा। इसे इतिहास का सबसे छोटा दिन माना जा सकता है। इससे पहले 5 जुलाई 2024 को पृथ्वी ने 1.66 मिली सेकेंड पहले अपना चक्कर खत्म किया था। पृथ्वी 24 घंटे में पूरा एक चक्कर खत्म करती है।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन (चक्कर लगाना) और रिफरेंस सिस्टम सर्विस (IERS) के मुताबिक 22 जुलाई और 5 अगस्त के दिन भी सामान्य दिनों की तुलना में 1.3 से 1.51 मिली सेकेंड छोटे रह सकते हैं।
न्यूयॉर्क पोस्ट ने सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के जियोफिजिस्ट डंकन एग्न्यू के हवाले से कहा- यह एक अभूतपूर्व स्थिति है और बड़ी बात भी है।
उन्होंने कहा- यह पृथ्वी के चक्कर लगाने में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं है, जिससे कोई आपदा या कुछ और हो जाएगा, लेकिन इस पर ध्यान देना जरूरी है।
Live Science के मुताबिक, चंद्रमा पृथ्वी के रोटेशन (चक्कर लगाना) को प्रभावित कर रहा है, पृथ्वी को थोड़ा तेज घुमा रहा है। IERS ग्लोबल टाइम कीपिंग (समय-निर्धारण) की देखरेख करता है।

पृथ्वी के घूमने की गति क्या होती है?
पृथ्वी पर एक दिन का मतलब होता है- पृथ्वी का अपनी धुरी (Axis) पर एक पूरा चक्कर लगाना। यह एक चक्कर पूरा करने में करीब 86400 सेकेंड लगते हैं यानी लगभग 24 घंटे।
पृथ्वी की घूमने की रफ्तार हमेशा एक जैसी नहीं रहती। इसे कई चीजें प्रभावित करती हैं, जैसे- सूरज और चांद की स्थिति, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव, पृथ्वी के अंदर और बाहर द्रव्यमान (mass) का असमान वितरण, जिसमें बर्फ का पिघलना या समुद्र का स्तर बदलना शामिल है।
पहले पृथ्वी 19 घंटे में चक्कर पूरा करती थी
- वैज्ञानिकों का मानना है कि 1 से 2 अरब साल पहले, पृथ्वी एक दिन में सिर्फ 19 घंटे में घूम जाती थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब था और उसका गुरुत्वाकर्षण बल (gravity) बहुत ज्यादा असर करता था।
- चंद्रमा का यह खिंचाव पृथ्वी को तेजी से घुमाता था। धीरे-धीरे चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता गया, जिससे उसकी पकड़ कमजोर हुई और पृथ्वी की रफ्तार भी धीमी होने लगी। इस वजह से दिन लंबे होने लगे, मतलब एक दिन में लगने वाला समय बढ़ने लगा।
- हाल के सालों में वैज्ञानिकों ने देखा कि यह रफ्तार फिर से थोड़ी बढ़ने लगी है, जो कि हैरान करने वाली बात है। उदाहरण के लिए- 2020 में वैज्ञानिकों ने नोटिस किया कि पृथ्वी पहले से ज्यादा तेज घूम रही है, जितनी तेजी से वह 1970 से पहले कभी नहीं घूमी थी (जब से सटीक नाप शुरू हुई)।
5 जुलाई 2024, पृथ्वी ने 1.66 मिलीसेकेंड पहले चक्कर पूरा किया
सबसे तेज घूमने का रिकॉर्ड बना 5 जुलाई 2024 को, जब पृथ्वी ने अपना एक पूरा चक्कर 1.66 मिलीसेकेंड पहले पूरा कर लिया था, यानी पूरे 24 घंटे से थोड़े कम समय में। हालांकि इसमें कोई खतरा नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे समय मापने की मौजूदा प्रणाली (Atomic Clock) पर असर पड़ सकता है। अगर पृथ्वी ऐसे ही तेज घूमती रही, तो भविष्य में हमें घड़ी में 1 सेकेंड घटाना पड़ सकता है। इसे Negative Leap Second कहा जाता है।
क्या असर होगा?
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसे छोटे दिन लगातार आते रहे, तो भविष्य में घड़ी के समय को भी बदलना पड़ेगा। अभी तक हम Leap Second यानी 1 सेकेंड जोड़ते थे, ताकि समय ठीक रहे, अब शायद हमें Negative Leap Second’, यानी 1 सेकेंड घटाना पड़ेगा। ऐसा पहली बार होगा। उम्मीद है कि यह बदलाव 2029 में किया जाएगा।
हमारे जीवन पर क्या असर होगा? पृथ्वी अपनी धुरी पर ज्यादा तेजी से घूम रही है, इसकी वजह से सभी देशों का समय बदल सकता है। इससे हमारी संचार व्यवस्था में भी दिक्कतें आ सकती हैं क्योंकि सैटेलाइट्स और संचार यंत्र सोलर टाइम के अनुसार ही सेट किए जाते हैं। ये समय तारों, चांद और सूरज की पोजिशन के अनुसार सेट की जाती है। नेविगेशन सिस्टम पर भी इसका असर पड़ेगा।
9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को क्या खास है?
इन तीनों दिनों में चंद्रमा पृथ्वी के भूमध्य रेखा (equator) से सबसे दूर होगा और ध्रुवों के करीब होगा। जब चंद्रमा ऐसी जगह होता है, तो उसका खिंचाव पृथ्वी की घूमने की गति को तेज कर देता है। ठीक वैसे ही, जैसे कोई लट्टू ऊपर से पकड़े तो वो ज्यादा तेज घूमता है।

लियोन फौकॉल्ट के पेंडुलम मॉडल का स्केच।
लियोन के पेंडुलम मॉडल ने साबित किया- धरती घूमती है हर साल 8 जनवरी को अर्थ रोटेशन डे मनाया जाता है। इस दिन को सेलिब्रेट करने की वजह है, फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट का योगदान। लियोन ने 1851 में अपने एक मॉडल से साबित किया कि धरती अपनी धुरी पर कैसे घूमती है। 8 जनवरी को इनका जन्मदिन होता है, इसलिए यह दिन अर्थ रोटेशन डे के लिए चुना गया।
470 ईसा पूर्व के करीब कुछ यूनानी खगोलविदों यह दावा किया था कि धरती घूमती है, लेकिन यह साबित नहीं कर सके कि यह सूर्य का चक्कर भी लगाती है। सैकड़ों सालों तक हुए कई अध्ययनों के बाद लियोन ने पहली बार पेंडुलम मॉडल से समझाया कि धरती अपनी ही धुरी पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाती है।
कुछ सालों बाद लियोन का पैंडुलम मॉडल काफी फेमस हुआ और धरती के मूवमेंट को देखने के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा।

लियोन फौकॉल्ट का जन्म पेरिस में हुआ था।
ब्लड फोबिया के कारण फिजिक्स विषय चुना
पेरिस में जन्मे लियोन की ज्यादातर शिक्षा घर पर हुई थी। हायर स्टडी के लिए उन्होंने मेडिसिन विषय को चुना था, लेकिन ब्लड देखकर डर लगने के कारण उन्होंने बाद में फिजिक्स को चुना। लियोन ने फोटोग्राफिक प्रक्रिया डॉगोरोटाइप पर काम कर रहे लुइस डागुएरे के साथ काम किया। दुनिया की पहली तस्वीर लेने का श्रेय लुइस डागुएरे को जाता है।
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