Traditions about Holika Dahan and phalgun purnima, holi 2025, holika dahan rituals in hindi | होलिका दहन से जुड़ी परंपराएं: फाल्गुन पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही बालगोपाल, श्रीनाथ जी के लिए सजाएं हिंडोला, भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें-सुनें


57 मिनट पहले

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फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन गुरुवार,13 मार्च को है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बोल गोपाल, श्रीनाथ, भगवान विष्णु-महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी-सुननी चाहिए। फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है। शिवलिंग का रुद्राभिषेक भी किया जाता है। इस दिन नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

फाल्गुन पूर्णिमा पर हिंडोला दर्शन की परंपरा

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा पर हिंडोला दर्शन का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा से हिंडोला दर्शन करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं भगवान पूरी करते हैं।

इस संबंध में शास्त्रों में लिखा है कि-

फाल्गुनस्य तु राकायां मण्डयेद्दोलमण्डपम्।

पश्चातसिंहासनं पुष्पैर्नूतनैर्वस्त्रचित्रकै:।।

अर्थ – फाल्गुन पूर्णिमा की रात, सुंदर फूलों से सजे झूले में भगवान को विराजित किया जाता है और विधिवत पूजा-अर्चना के साथ उत्सव मनाया जाता है।

ऐसे बना सकते हैं हिंडोला

  • एक सुंदर झूला तैयार करें या बाजार से बाल गोपाल या श्रीनाथ जी के लिए झूला खरीदें।
  • झूले को सुंदर फूलों से सजाएं।
  • बाल गोपाल के लिए झूले में एक विशेष आसन बनाएं।
  • भगवान का अभिषेक कराकर उन्हें चमकीले लाल-पीले वस्त्र पहनाएं।
  • ऊँ कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें और भगवान को पुष्प अर्पित करें।
  • माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं।
  • भगवान को झूले में विराजित कर, धूप-दीप जलाकर उनकी आरती करें।
  • पूजा के अंत में जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

फाल्गुन पूर्णिमा पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म

इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और धूप-ध्यान करने की परंपरा भी है। माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए इन कर्मों से पितर देवता अत्यंत प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

पौराणिक कथा है कि नारद जी के कहने पर युधिष्ठिर ने फाल्गुन पूर्णिमा पर कई बंदियों को अभयदान दिया था। बंदियों को मुक्त करने के बाद होलिका दहन का आयोजन किया गया और कंडे जलाकर होली मनाई गई। होलिका दहन की पवित्र अग्नि में नकारात्मक ऊर्जा का नाश कर, हिंडोला दर्शन से जीवन में आनंद और समृद्धि आती है।

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