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आगरा की 2 बहनों के धर्मांतरण मामले में पुलिस ने दिल्ली से अब्दुल रहमान कुरैशी को अरेस्ट किया है। अब्दुल इससे पहले 6 राज्यों से गिरफ्तार 10 लोगों का सरगना है। साथ ही धर्मांतरण के पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। अब्दुल पहले हिंदू था और उसका
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अब्दुल की गिरफ्त से रोहतक (हरियाणा) की एक लड़की को भी छुड़ाया गया है। उस लड़की का भी धर्मांतरण होना था। अब्दुल के घर से कई किताबें मिली हैं? इनमें धर्म परिवर्तन कैसे करें? क्या नियम होते हैं? इसके क्या फायदे हैं? इस बारे में बताया गया है। आगरा में इस पूरे नेटवर्क को लेकर पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
बता दें, 19 जुलाई को आगरा पुलिस ने भारत में धर्मांतरण के लिए 6 देशों से होने वाली फंडिंग और 6 राज्यों तक फैले इस नेटवर्क से पर्दा उठाया था। इसमें एक लड़की समेत 10 लोगों की अरेस्टिंग हुई थी। जांच में पुलिस 200 से ज्यादा लोगों के धर्मांतरण का खुलासा कर चुकी है। पिछले 60 घंटों से इस गैंग के मास्टरमाइंड को तलाश कर रही थी, आखिरकार दिल्ली से अब्दुल पकड़ने में कामयाबी मिल गई।
अब सिलसिलेवार पूरा मामला पढ़िए….

आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने पूरे मामले में प्रेस कान्फ्रेंस की।
धर्मांतरण मामले में आगरा की 2 सगी बहनों की कोलकाता से बरामदगी के बाद पुलिस मास्टरमाइंड की तलाश में जुटी थी। पकड़े गए 10 आरोपियों से पूछताछ के बाद एक नाम अब्दुल रहमान कुरैशी का मिला था। पुलिस को अब्दुल की पहली लोकेशन दिल्ली के मुस्तफाबाद में मिली। सोमवार को आगरा पुलिस की छापेमारी में अब्दुल के घर से धर्मांतरण से जुड़ी बड़ी संख्या में किताबें मिलीं। ये मौलाना कलीम सिद्दीकी ने लिखी थीं, लेकिन बांटता अब्दुल रहमान था।
अब्दुल की पत्नी और दोनों बेटों की पत्नियां भी कन्वर्टेड मुस्लिम हैं, जो पहले हिंदू थीं। वहीं, उसका भतीजा लंदन से फंडिंग को री-रूट करता था।

अब्दुल रहमान के पास से धर्मांतरण की कई किताबें मिली हैं। पुलिस ने इन्हें बतौर सबूत केस में शामिल किया है।
ओसामा लड़कियों को ‘इस्लामी बहन’ बनाने की ट्रेनिंग देता आयशा और मोहम्मद अली की पूछताछ में अब्दुल रहमान के नाम का खुलासा हुआ। आयशा और मो. अली ने बताया था कि रहमान चचा जैसा कहते हैं, वैसा करते हैं। रहमान यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट के जरिए इस्लामी कट्टरपंथ का प्रचार करता था। वह हिंदू धार्मिक प्रतीकों का अपमान करता था। ओसामा लड़कियों को ‘इस्लामी बहन’ बनाने की ट्रेनिंग देता था।
2 बहनों के लापता होने से खुला राज जांच मार्च में शुरू हुई, जब आगरा में दो बहनें (33 और 18 साल) लापता हुईं। पता चला कि उन्हें जबरन धर्मांतरण के लिए निशाना बनाया गया। बड़ी बहन ने सोशल मीडिया पर हथियार के साथ तस्वीर पोस्ट की थी।

अमेरिका और कनाडा से होती थी फंडिंग आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने 19 जुलाई को कहा था कि यह गैंग ‘लव जिहाद’ और अतिवाद में शामिल था, जिसकी फंडिंग अमेरिका और कनाडा से होती थी। गैंग का मकसद धर्मांतरण के साथ-साथ भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश थी। युवाओं को नौकरी और पैसे का लालच देकर, खासकर युवतियों को ‘लव जिहाद’ के लिए निशाना बनाया जाता था। धर्मांतरित व्यक्तियों को आर्थिक मदद, घर और सामाजिक सुरक्षा दी जाती थी।
पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने कहा था कि ‘मिशन अस्मिता’ के तहत लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण और अंतरराष्ट्रीय जिहादी फंडिंग जैसे अपराधों को लक्ष्य बनाया जाता है। गैंग का तौर-तरीका आईएसआईएस की शैली से मिलता-जुलता था।

ऐसे सामने आया था पूरा मामला

सभी आरोपियों को आगरा कोर्ट में पेश किया गया।
आगरा के सदर थाना क्षेत्र की रहने वाली 2 सगी बहनें 24 मार्च को शहर छोड़कर चली गई थीं। इनके पिता ने बेटियों की गुमशुदगी की एप्लिकेशन सदर थाने में दी। पिता ने पुलिस को बताया था कि उनकी बड़ी बेटी ने डीईआई से पढ़ाई की है, वह एमफिल है। वह 2021 में घर छोड़कर चली गई थी।
बेटी की दोस्ती उधमपुर, जम्मू-कश्मीर की रहने वाली साइमा उर्फ खुशबू से है। उसने ही बेटी का ‘ब्रेनवॉश’ किया। काफी समझाने-बुझाने पर उनकी बड़ी बेटी घर लौटी थी। दोबारा घर आकर उसने अपनी छोटी बहन का भी ‘ब्रेनवॉश’ कर दिया। इसके बाद दोनों बेटियां घर से भाग गईं।
41 दिन बाद दर्ज हुआ किडनैपिंग का केस पुलिस से सहयोग नहीं मिलने पर पीड़ित पिता अपनी दोनों बेटियों की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा। तमाम कोशिशों के बाद दोनों बेटियों के गायब होने के 41 दिन बाद (4 मई, 2025) पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया। इसमें साइमा उर्फ खुशबू को नामजद किया गया।पुलिस ने छानबीन की, तो जो बातें सामने आईं, वह चौंकाने वाली हैं।
पता चला कि दोनों बहनें धर्मांतरण की मुहिम से जुड़ गई हैं। ठीक उसी अंदाज में जैसे फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में युवतियां, दूसरी युवतियों को फंसाती दिखती हैं। इस जानकारी के बाद पुलिस हरकत में आई और जांच साइबर क्राइम पुलिस को दी गई।
डीजीपी तक मामला पहुंचा तो 7 टीमें बनाईं

यह आगरा कोर्ट है, जहां धर्मांतरण के आरोपियों को पेश करने से पहले सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए।
इसके बाद डीजीपी राजीव कृष्ण ने इस पर संज्ञान लिया। पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने खुद पूरे मामले को देखना शुरू किया। एडीसीपी सिटी आदित्य के नेतृत्व में 7 टीमें बनाई गईं। सर्विलांस, साइबर सेल से पुलिस को अहम जानकारियां मिलीं। उसके बाद पुलिस की छापेमारी शुरू हुई।पुलिस की एक टीम बैरकपुर (कोलकाता) गई।
सबसे पहले वहां से दोनों सगी बहनों के बारे में जानकारी जुटाई, उन्हें सुरक्षित किया। उसके बाद बैरकपुर छावनी में बकर महल निवासी शेखर रॉय उर्फ हसन अली को पकड़ा। आरोपी बारासात कोर्ट में कर्मचारी है।
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आगरा से गायब हुईं दो सगी बहनें 4 महीने बाद 1300 Km दूर कोलकाता से बरामद हुईं। साथ ही, यूपी को हिला देने वाले धर्मांतरण की नई कहानी के पन्ने भी खुल गए। इसके तार दुनिया के 5 देशों से जुड़े। जोकि भारत में इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग कर रहे। आगरा पुलिस ने भारत के 6 राज्यों में रेड डालकर 10 लोगों को पकड़ा। मास्टर माइंड अभी पुलिस की पहुंच से दूर है। पढ़िए पूरी खबर…
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