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अहमदाबाद4 घंटे पहले
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‘माधुरी’ एक 36 साल की हथिनी है। जैन मठ में 32 साल से रह रही थी।
कोल्हापुर जिले के नांदणी गांव के जैन मठ की हथिनी ‘माधुरी’ को शिफ्ट करने के विवाद पर वन्यजीव संस्था वनतारा ने बुधवार को बयान जारी किया। इसमें कहा कि हथिनी ‘माधुरी’ को वनतारा शिफ्ट करने का फैसला उसका नहीं था, बल्कि यह माननीय सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों के तहत हुआ।
वनतारा ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के अनुसार उसकी भूमिका माधुरी की देखभाल, पशु-चिकित्सा सहायता और अस्थायी पुनर्वास तक ही सीमित थी। उसने न तो माधुरी को शिफ्ट करने की कोई सिफारिश की और न ही इससे जुड़ा फैसला लिया। अगर हमारी किसी बात, निर्णय या प्रक्रिया से जैन समुदाय या कोल्हापुरवासियों को दुख पहुंचा हो, तो उसके लिए मन से माफी मांगते हैं।
पहले समझिए मामला क्या है? दरअसल, 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि माधुरी को वनतारा में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश PETA इंडिया की ओर से हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया था।
इससे पहले दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उसे गुजरात के वनतारा पशु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। फिर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। यह मामला 2023 से चल रहा है।
माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने पर कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने उसको वापस लाने के लिए हस्ताक्षर किए। धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।

36 साल की हथिनी माधुरी 1992 से कोल्हापुर जिले के स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ में रह रही थी।
वनतारा ने अपने बयान में और क्या कहा?
- स्थानीय श्रद्धालुओं और मठ से जुड़े साधु-संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए वनतारा ने कहा कि वह कोल्हापुर और जैन समुदाय की भावनाओं को समझता है। उनका आदर करता है।
- यदि महाराष्ट्र सरकार और मठ सुप्रीम कोर्ट में माधुरी की कोल्हापुर वापसी की कानूनी अनुमति के लिए प्रयास करते हैं, तो वनतारा उसका पूरा समर्थन करेगा। उसके सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से लौटने के लिए सभी तकनीकी और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराएगा।
- कोल्हापुर के नजदीक नांदणी क्षेत्र में ही माधुरी के लिए एक दूरस्थ पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जा सकता है, जिसे मठ और राज्य सरकार के सहयोग से चलाया जाएगा। इस प्रस्तावित केंद्र में आधुनिक सुविधाएं जैसे हाइड्रोथैरेपी तालाब, तैरने के लिए अलग जलाशय, लेजर थेरेपी, रबर फ्लोरिंग प्लेटफॉर्म, सुसज्जित पशु चिकित्सालय और खुली हरी जगहें होंगी, ताकि माधुरी को स्वास्थ्य लाभ और आरामदायक जीवन मिल सके। वहां उसे बिना जंजीरों के स्वतंत्र रूप से चलने की सुविधा भी दी जाएगी।
- यह प्रस्ताव किसी प्रकार का श्रेय लेने या संस्था के लाभ के लिए नहीं है, बल्कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन और माधुरी की भलाई के लिए है। संस्था ने यह भी कहा कि यदि मठ या महाराष्ट्र सरकार कोई वैकल्पिक प्रस्ताव कोर्ट के सामने रखना चाहे, तो वे पूरी तरह से उसके लिए खुले हैं और उसमें सहयोग देंगे।
वनतारा संस्थान ने कहा- “मिच्छामी दुक्कड़म” यानी अगर हमने किसी को जाने-अनजाने ठेस पहुंचाई हो, तो कृपया हमें क्षमा करें। हमारा उद्देश्य केवल माधुरी की भलाई है। हम सभी को मिलकर उसके हित में एकजुट होना चाहिए।

नांदणी जैन मठ में पूजा कर माधुरी को विदाई दी गई थी।
जैन मठ में 32 साल से रह रही थी कोल्हापुर के नांदणी गांव के जैन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ में माधुरी नाम की हथिनी को 1992 में लाया गया था। इस जैन मठ में 700 सालों से ये परंपरा है कि यहां हाथी पाला जाता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। यहां माधुरी हथिनी को तब लाया गया था, जब वह सिर्फ 4 साल की थी। वह यहां 32 सालों से रह रही थी।

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