2 घंटे पहले
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- हाल ही में ब्रैड पिट की नई फिल्म ‘एफ 1’ रिलीज हुई है। एक लंबा सफर उन्होंने तय किया और यह सफल कैसे हुआ, उन्हीं की जुबानी…
मुझे फिल्में हमेशा से एक खिड़की लगती थीं, जिससे मैं दुनिया को देख पाता था। मैं मिसौरी से हूं, जहां एक्टिंग कभी करियर का ऑप्शन नहीं थी। कॉलेज के ठीक पहले एहसास हुआ कि मैं कोई नॉर्मल जॉब नहीं करना चाहता। बचपन में मुझे बहुत जल्दी समझ आ गया था कि ये दुनिया हमेशा इंसाफ नहीं करती। मैं जानता था कि मैं कुछ चीजें कर सकता हूं, जो और लोग नहीं कर सकते। ये बात मुझे रातों को जगाए रखती थी। मैंने पढ़ाई छोड़ दी…थोड़ा पैसा इकट्ठा किया और अपनी कार उठाकर कैलिफोर्निया निकल पड़ा। शुरुआत आसान नहीं थी। ऑडिशन के लिए बुलावा तक नहीं आता था। लेकिन धीरे-धीरे मौके मिलने लगे… और मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया। लगभग दस साल लगे ये समझने में कि मैं क्या चाहता हूं। मुझे टीवी में खींचने की कोशिश की गई, लेकिन मैंने फिल्मों से अपना प्यार नहीं छोड़ा। वो मेरा मकसद था और आज भी है। जब मैं बच्चा था, तब मुझे हर्लेम ग्लोबट्रोटर्स बहुत पसंद थे। जब वो हमारे शहर आए तो मेरे पास पीछे के स्टैंड्स की सीट थी। लेकिन मैं चुपके से आगे की लाइन में आ गया। तभी मिडोवलार्क ने मुझे भीड़ में से बाहर खींच लिया। मैं वो बच्चा बन गया जिस पर नकली पानी फेंका जाता है। उस पल ने मुझे ऐसा महसूस कराया जैसे किसी बड़ी चीज ने मुझे छू लिया हो। अब लोगों से मिलता हूं, तो सोचता हूं कि शायद मेरे पास भी किसी का दिन बेहतर बनाने का मौका है। मैं महान नहीं हूं पर किसी को एक लम्हे की खुशी देना खास होता है। जब करियर की शुरुआत की थी तो मेरे बारे में एक छोटा-सा लेख ‘यूएसए टुडे’ में छपा था। उस वक्त लगा कि मैंने कुछ बड़ा कर लिया है। लेकिन दो दिन बाद, एक दोस्त के घर गया। किचन में गया तो देखा कैट के लिए जो लिटर बॉक्स रखा था, उसमें मेरा वही लेख पड़ा था। उस पल ने मुझे जिंदगी का सच्चा आईना दिखाया। 90 के दशक का ज्यादातर हिस्सा मैंने छुपते हुए बिताया… खुद से, दुनिया से। शोहरत, इंटरव्यू, रेड कार्पेट… इनके लिए मैं तैयार नहीं था। इंटरव्यू में इतना नर्वस होता था कि डायरेक्टर को मेरा हाथ पकड़ना पड़ता था। फिर एहसास हुआ मैं अपने लिए एक जेल बना रहा हूं। अब जिंदगी जीता हूं और यकीन मानें लोग आमतौर पर अच्छे होते हैं। दुनिया में हर किसी के लिए जगह है और मुझे मेरी जगह मिल गई है।
जीवन में गिरना बहुत जरूरी है, यहीं से सीख मिलेगी मैं मानता हूं कि जिंदगी में गिरना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि यहीं से आपको असली सीख मिलती है। कई बार जो हमें ड्रीम हाउस लगता है, उसमें ही बहुत सारी खामियां निकलती हैं। पर वो भी एक मौका होता है नए सिरे से शुरुआत का। मैं वैसा ही करना चाहता हूं, सब कुछ जमीन से बनाना चाहता हूं। ये बस एक पड़ाव है, असली मंजिल तो आगे है। मैं जान गया हूं कि मुझे किसी और से बेहतर होने की कोशिश नहीं करना है। बस, खुद के लिए काम करना है। इसी सोच के साथ अब काम करने में मजा आता है। (तमाम इंटरव्यूज से)