शनिदेव जी के स्वरूप, प्रकृति, कार्य क्षमता आदि के बारे में कहा जाता है की शनि देव क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है I आंग्ल भाषा में शनि को ‘SATURAN’ कहते हैं तो फ़ारसी में केदवान व् संस्कृत में असित , मंद , शनेश्चर, सूर्य पुत्र आदि नामो से जाना जाता है I शनि , सूर्य , चंद्र , मंगल , बुध आदि ग्रहों की राशियों में अलग अलग प्रभाव देते है I शुक्र की राशि तुला में शनि जहां उच्च होता है, वहीं मंगल राशि मेष में नीच का होता है I मकर व् कुम्भ शनि की अपनी राशियां हैं I शनि की सप्तम दृष्टि का विशेष महत्व माना गया हैं तो उनकी त्रित्य व् दसम दृष्टि का भी अलग प्रभाव हैं I
शनि की मकर राशि २७० से ३०० अंश तक है जो घुटनों तक प्रभाव देती है I मकर राशि स्वयं ५ घटी व् १५ पल की होती है इस राशि पर सूर्य २५ दिन २४ घटी तक रहता है यह राशि स्त्री जातक , चर संज्ञक वात-प्रकृति युक्त , पिंगलवर्ण, रात्रि बलि वैश्य जाति व् दक्षिण दिशा की स्वामिनी है इसी से घुटनों पर विचार किया जाता है I
कुम्भ शनि की दूसरी राशि है यह ३०० से ३३० अंश तक पैरों पर प्रभाव रखती है I यह राशि ४ घटी ४५ पल की विषम राशि है इस राशि पर सूर्य २९ घटी ४९ पल ४३ विपल रहता है I यह राशि पुरुष जाति स्थिर संज्ञक विचित्र वर्ण , वात-पीत कफ प्रकृति प्रधान, दिन में बली व् पश्चिम दिशा की स्वामी है I
लोहा व् शीशा शनि की विशेष धातु है I शनि ग्रह का मुख्य रत्न नीलम है जिसको धारण करने का समय अर्धरात्रि माना गया है I उन्माद , वातरोग , गठिया , स्नायु रोग का निर्णय शनि द्वारा ही किया जाता है I
शनि को ज्योतिष में विच्छेदात्मक ग्रह माना गया है I एक ओर शनि को मृत्यु का प्रधान ग्रह माना गया है तो दूसरी ओर शुभ होने पर भौतिक जीवन में श्रेष्टता भी देता है I शनि शुभ होकर व्यवहारिक, घोर परिश्रमी , आत्मविश्वासी, महत्वकांक्षी अच्छे आचरण में रहने वाला व्यक्ति बना देता है I व्यक्ति का अध्यात्मक को ओर विशेष झुकाव रहता है योगाभ्यासी, कर्मकांड व् धार्मिक शस्त्रों का अभ्यास और लेखन कार्य में दक्ष होता है I
शनि अशुभ होने पर स्वार्थी, धूर्त, कपटी, दुष्ट , मनमानी करने वाला, आलसी, मंदबुद्धि, ईर्ष्यालु , दुराचारी , अपना हित चाहने वाला, धन की तृष्णा में अँधा हो जाना, चोर , ठग, झगड़ालू बना देता है I
शनि के लिए मेष, सिंह , धनु , कर्क , वृश्चिक , मीन और मिथुन राशियां शुभ हैं तथा तुला और कुंम्भ राशियां अशुभ हैं I वृष , कन्या , व् मकर राशियां अनिष्टकारक हैं I टीन, सीसा , लोहा, हल्के अन्नाज , गुलाम , संपत्ति -विपत्ति का विचार, दरिद्रता , पिशाच बाधा , चोरी , जोड़ -दर्द , जीवन के उपाय , दुख , भय , शोक , नाश , भैंस , हाथी, तेल , कपड़े , श्रृंगार , प्रवास , घरेलू कलह , नील रत्न , विघ्न ,केश , शल्य , शूल रोग, लोभ, मोह , विषमता , दूसरों को कष्ट देना , तिलहन , उड़द , बकरा आदि शनि से जुड़ी चीजें हैं I
*** ॐ कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात***