मेष राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती

Shani Sadesati on Aries

शनि की साढ़ेसाती मेष राशि पर किस प्रकार आती है?

इस राशि में पहले भाव में चन्द्रमा है अर्थात मेष राशि पर चन्द्रमा है, इसलिए जातक की राशि मेष राशि है I इस राशि के जातक की साढ़ेसाती तब आरम्भ होगी जब शनि गोचर होकर मीन राशि पर आएगा I ये साढ़ेसाती तब तक रहेगी जब तक शनि गोचर होकर वृष राशि तक जायेगा I 

shani saadesaati kya hai
शनि की साढ़ेसाती

उदाहरण के लिए मोहनलाल की मेष राशि है I राशि मेष से पूर्व मीन राशि तथा मेष से अगली राशि वृष है I अतः मीन से वृष तक शनि का भ्रमण काल साढ़े सात वर्ष होगा I ढाई वर्ष मेष ढाई वर्ष मेष ढाई वर्ष वृष I

साढ़ेसाती के लिए चंद्र कुंडली की प्रधानता रहती है, जो हर जन्म पत्री में विद्यमान रहती है I शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव सिर धड़ व पैरों के रूप में तीन भागों में ढाई-ढाई वर्ष रहता है I

मेष राशि पर शनि साढ़ेसाती के तीन चरण

साढ़े साती को तीन चरणों में विभाजित किया जाता है:

  1. पहला चरण: जब शनि चंद्रमा से बारहवें घर में प्रवेश करता है। शनि जब तक मीन राशि पर २ वर्ष ६ मास रहेगा प्रथम काल या साढ़ेसाती का १/३ भाग रहेगा I
  2. दूसरा चरण: जब शनि चंद्रमा के ऊपर से गुजरता है अर्थात मेष राशि पर आता है तो जातक साढ़ेसाती का मध्य भाग भोगता है इस चरण को सबसे कठिन माना जाता है और इसे व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक समस्याएँ और चुनौतियाँ उत्पन्न करने वाला माना जाता है। इस राशि पर भी शनि २ वर्ष ६ मास रहेगा।
  3. तीसरा चरण: जब शनि चंद्रमा से दूसरे घर में प्रवेश करता है अर्थात वृष राशि पर आता है तो जातक साढ़ेसाती का तृतीय भाग भोगता है इस राशि पर भी शनि २ वर्ष ६ मास रहेगा । यह चरण आम तौर पर समस्याओं के समाधान और स्थिरता की ओर संकेत करता है, लेकिन फिर भी यह कठिनाइयों से मुक्त नहीं होता।
क्रम संo राशि प्रथम ढाई वर्ष द्वितीय तृतीय
मेष
वृष
मिथुन
वृष
मिथुन
कर्क
मिथुन
कर्क
कर्क
सिंह
कन्या
कन्या
सिंह
कन्या
तुला
तुला
कन्या
तुला
वृश्चिक
वृश्चिक
तुला
वृश्चिक
धनु
धनु
वृश्चिक
धनु
मकर
१०
मकर
धनु
मकर
कुम्भ
११
कुम्भ
मकर
कुम्भ
मीन
१२
मीन
कुम्भ
मीन
मेष

मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती के क्या प्रभाव है?

शनि साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा और व्यापक हो सकता है। इसे ज्योतिष में एक चुनौतीपूर्ण अवधि माना जाता है। आइए विस्तार से इसके प्रभावों पर चर्चा करें:

प्रथम चरण के प्रभाव:

शनि की साढ़ेसाती के प्रथम चरण में शनि ग्रह चंद्र राशि से बारहवें भाव में गोचर करता है। मेष राशि वालों के लिए इस चरण का प्रभाव विभिन्न प्रकार से हो सकता है:

  • आर्थिक स्थिति:  मीन राशिस्थ शनि के रहने पर जातक अपने कार्य, व्यापार में बार-बार मूर्खताएं करता है तथा हर संभव प्रयास करने पर भी स्थिति में सुधार नहीं होता है और खर्चों में वृद्धि होती है। आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है और अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखना मुश्किल जाता है। निवेश में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। व्यर्थ के कार्यों के कारण जातक परेशान रहता है जातक जितना अधिक आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करता है, उतना ही अधिक व्ययभार बढ़ता है I  व्यर्थ के कार्यों के कारण जातक परेशान रहता है ।
  • स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ: इस चरण में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ बढ़ सकती हैं। जातक अपच, अजीर्ण, अपस्मार, उन्माद, सन्निपात, पसली के दर्द जैसे रोगों से पीड़ित रहता है और जातक काम वासना से ग्रसित रहता है I शरीर के किसी अंग के टूटने की आशंका रहती है जातक कृतघ्न, चंचल, बुरा वेष धारण करने वाला, शत्रु पक्ष से पीड़ित रहता है और इनका मन घर में नहीं लगता, ये हमेशा बाहर प्रसन्न रहते है I विशेषकर, पैरों, नींद, और मानसिक तनाव से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं। एक प्रकार से जातक मृत्यु तुल्य कष्टों का अनुभव करता है। अशुभ ग्रह के साथ होने पर चोट, दुर्घटना, अग्नि, बारूद, बिजली, अस्त्र- शस्त्र से कुफल प्राप्त हो सकता है I 
  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव:  पारिवारिक जीवन में तनाव और मतभेद हो सकते हैं। परिवार के सदस्यों के साथ संबंधों में खटास जाती है। मित्र साथ छोड़ देते है तथा हर सम्भव धोखा देने का प्रयास करते है I मित्रों के अभाव में जातक भिन्न- भिन्न प्रकार के व्यसनों को अपनाकर अपना स्वास्थ्य बिगाड़ लेता है स्वभाव में चिड़चिड़ापन व् झुंझलाहट बढ़ जाती है I व्यसनों को अपनाकर अपने धन की हानि करता है और व्यर्थ में इधर उधर भटकता रहता है I ये समय माता व मामादि के लिए कष्टकारक रहता है और माता के सुख में भी कमी आ जाती है   इस अवधि में विदेश यात्रा या स्थान परिवर्तन की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं। यह समय नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में स्थानांतरण का भी हो सकता है।  कार्यस्थल पर परेशानियाँ और चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं। सहयोगियों से मतभेद और काम में अस्थिरता महसूस हो सकती है ।

ऐसे मीन राशिस्थ शनि जातक को एकांत प्रेमी, गुप्त शत्रु युक्त, स्वयं का अहित करने वाला, कारावास भोगने वाला, या विषपान करने वाला बनता है और यदि शनि पाप ग्रह से युक्त हो या राशि से बलहीन हो तो बताए गए प्रभाव और तीव्रतर हो जाते है I

द्वादश भाव में शुक्र के साथ होने पर सुखादि की प्राप्ति होती है I यदि शनि शुभ हों तो एकांतप्रियता व अकेलेपन से व्यवसाय में लाभ होता है और गुप्त रीती से धन का संचय करता है I  यदि जन्म का ही मेष लग्न व मेष राशि हों या मेष, कर्क, सिहं, वृश्चिक, धनु, मीन का शनि जन्म कुंडली में हों तो जातक किसी विषय में प्रवीण होता है और तीव्र बुद्धि होने से वकील, बेरिस्टर, राजनीतिज्ञ हो सकता है I 

मेष राशि पर साढ़ेसाती के प्रथम चरण के उपाय

प्रथम चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जिनके उपयोग से जातक शनि की अशुभता को कम कर सकता है :-

  • शराब न पियें और माँस-मछली का सेवन न करें I
  • नंगे पैर मंदिर या धर्मस्थल में जाएं I
  • मिटटी के वर्तन में सरसों का तेल भरकर पानी के अंदर दबाएं I
  • काले घोड़े के नाल की अंगूठी का छल्ला माध्यमिका ऊँगली में पहने I
  • सूखे नारियल व बादाम का दान करें I 

द्वितीय चरण के प्रभाव:

मेष राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती का द्वितीय चरण एक महत्वपूर्ण समय होता है शनि जब राशि के साथ अर्थात मेषस्थ आता है तो शनि का मध्य भाग भोगता है, जो विशेष चुनौतियों और अवसरों से भरा होता है। इस चरण के दौरान, मेष राशि के जातक शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक चुनौतियों का सामना करते हैं। यह समय आत्मविश्लेषण और आत्मसुधार का होता है, जिसमें व्यक्ति का धैर्य और सहनशीलता का परीक्षण होता है।

  • आर्थिक प्रभाव: द्वितीय चरण में मेष राशि के जातकों को आर्थिक स्थिति में कुछ उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। अनपेक्षित खर्चों की वृद्धि हो सकती है, जिससे आर्थिक योजना में समस्याएँ आ सकती हैं। निवेश में सतर्कता बरतनी चाहिए और किसी भी प्रकार के आर्थिक निर्णय सोच-समझकर लेने की आवश्यकता है। हालांकि, इस समय के दौरान आपको अपने व्यय को नियंत्रित करने और आवश्यक बचत के महत्व को समझने का अवसर भी मिलेगा I 
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: इस अवधि में जातक किसी न किसी रोग से पीड़ित रहता है चर्म रोग विशेष रूप से कष्ट देते हैं तथा कफ व जन्य रोग, मानसिक चिंता से जातक पीड़ित रहता हैं I मन-मस्तिष्क में अशांति तथा आर्थिक तंगी का दिनों-दिन अनुभव करता है और शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है I मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में, द्वितीय चरण में चिंता, तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह समय आत्मनिरीक्षण और मानसिक शांति की तलाश के लिए उपयुक्त है। नियमित ध्यान, योग और प्राणायाम जैसी गतिविधियाँ मानसिक स्थिति को सुधारने में सहायक हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, परिवार और मित्रों का समर्थन भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि जातक की आयु इस समय ३६ वर्ष की हुई तो वः दारुण दुःख पता है I 

  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: इस चरण में जातक के सभी मित्र दूरी बना लेते तथा मित्रता की अपेक्षा शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने लगते है इस समय मित्र मात्र दुःख के आलावा कुछ और नहीं दे सकते हैं I उच्चाधिकारी गण से अनबन व विरोध का सामना करना पड़ जाता है I इस अवधि में, मेष राशि के जातक अपने रिश्तों में अधिक संवेदनशील और भावुक हो सकते हैं। कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जैसे की माता-पिता से असहमति या बच्चों के साथ संबंधों में तनाव इत्यादि। 

मेष राशि पर साढ़ेसाती के द्वितीय चरण के उपाय

द्वितीय चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जो जातक पर शनि की अशुभता को कम करने में सहायक हो सकते हैं :-

  • शराब न पियें और माँस-मछली का सेवन न करें I
  • बंदर को पाले या गुड़ खिलाएं I
  • गणेश जी की पूजा अर्चना करें I
  • कन्याओं की सेवा करें या दुर्गा पूजन करें I
  • प्रसन्नता के अवसर पर मीठा न बांटे, यथा सम्भव नमकीन बांटे I

तृतीय चरण के प्रभाव:

साढ़ेसाती के तृतीय चरण का महत्व ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान रखता है। यह चरण तब शुरू होता है जब शनि ग्रह आपकी राशि से बारहवें घर से निकलकर ग्यारहवें घर में प्रवेश करता है। विशेष रूप से मेष राशि के जातकों के लिए, यह चरण विशेष प्रभाव डालता है और उनके जीवन में कई बदलाव लाता है।

इस तृतीय चरण में, शनि का ग्यारहवें घर में प्रविष्ट होना सामाजिक, पेशेवर, और व्यक्तिगत जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन की ओर संकेत करता है। ग्यारहवें घर को आकांक्षाओं, इच्छाओं और सामाजिक संबंधों का घर माना जाता है। इसलिए, इस चरण में शनि का प्रभाव मेष राशि के जातकों के लिए उनके लक्ष्यों और समाज में उनकी स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है।

तृतीय चरण के दौरान मेष राशि के जातक अपने पेशेवर जीवन में उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, यह चरण चुनौतियों से भी भरा हो सकता है, जिसके चलते जातकों को धैर्य, संयम और सतर्कता से काम लेना आवश्यक होता है। शनि की ऊर्जा जातकों को अनुशासन, मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।

कुल मिलाकर, साढ़ेसाती के तृतीय चरण का महत्व मेष राशि के जातकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस चरण के दौरान मिलने वाले अनुभव और सबक जातकों के जीवन को अधिक स्थिर और सफल बना सकते हैं।

  • आर्थिक प्रभाव: यहाँ धन भावस्थ शनि अपनी मित्र राशि में है एवं शुक्र ऐश्वर्य का स्वामी होने के कारण जातक कई तरीकों से धन एकत्र करता है I पैरों पर शनि होने के कारण जातक सुख सुविधाओं और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए भटकता रहता है एवं काफी मात्रा में सफल भी हो जाता है I इतना होने पर भी मन में अशांति बनी रहती है I मानसिक चिंता से जातक किनारा नहीं कर पता I तृतीय चरण के दौरान मेष राशि के जातक अपने पेशेवर जीवन में उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, यह चरण चुनौतियों से भी भरा हो सकता है, जिसके चलते जातकों को धैर्य, संयम और सतर्कता से काम लेना आवश्यक होता है। शनि की ऊर्जा जातकों को अनुशासन, मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: मेष राशि के जातक अपने स्वास्थ्य के प्रति भी अधिक सचेत रहेंगे। वे स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे, जिसका सकारात्मक प्रभाव उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर पड़ेगा। ध्यान, योग और व्यायाम जैसे गतिविधियाँ उनके जीवन का हिस्सा बनेंगी, जिससे वे अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करेंगे। परन्तु फिर भी कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ भी इस चरण में देखने को मिल सकती हैं। सिरदर्द, थकान, और अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जातक को धातु से चोट लगने, आग से जलने व गुप्त रोग का भी डर बना रहता है I

  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: पारिवारिक संबंधों में भी इस चरण का सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। परिवार के सदस्यों के साथ संबंधों में सुधार आएगा और आपसी समझ बढ़ेगी। व्यक्तिगत जीवन में भी खुशहाली और संतुलन का अनुभव होगा। इस दौरान जातक अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने का प्रयास करेंगे, जिससे पारिवारिक बंधन मजबूत होंगे। परन्तु कई स्त्रियों से सम्पर्क जुड़ सकते है और स्वयं की पत्नी से पीड़ित रह सकता है I इस चरण के दौरान विशेष रूप से कार्यस्थल पर सावधानी बरतनी चाहिए। सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मतभेद उभर सकते हैं, जिससे कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।

यदि बृषस्थ पाप ग्रह का सम्पर्क हो जाये तो स्त्रियों को धोखा देने वाला, नेत्ररोगी होता है और अगर पाप ग्रह के साथ होने पर भी लोक निदित, उस समय बुध दृष्ट होने कुकर्मी, धनी, व्यसन प्रिय, भाई का त्याग करने वाला, असत्यवादी, वचनहीन होता है I

बृषस्थ शुभ युति होने पर जातक सत्यवादी, धर्म-कर्म करने वाला, ईश्वर भक्त, साधु-सन्यासियों में प्रीति रखने वाला दयालु होता है I

मेष राशि पर साढ़ेसाती के तृतीय चरण के उपाय

 तृतीय चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जो जातक पर शनि की अशुभता को कम करने में सहायक हो सकते हैं :-

  • नंगे पैर मंदिर या धर्मस्थल में जाएं I
  • घोड़े के नाल की अंगूठी का छल्ला अनामिका ऊँगली में पहने I
  • उड़द के कुछ दाने शनिवार के दिन बहते पानी में प्रवाहित करें I
  • सर्प को दूध पिलाने से शनि की अनिष्टता का प्रभाव कम होता है I
  • भैरो के मदिर में शराब को भेंट चढ़ायेI

*** ॐ कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात***

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